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Search For Tigress : बिछड़े शावकों को मिलाने की कोशिश, बाघिन की तलाश कर रहे 300 वन कर्मचारी

आंध्र प्रदेश के वन क्षेत्र में 300 वन कर्मचारियों की टीम एक बाघिन की तलाश कर रही है. बाघिन अपने शावकों से बिछड़ गई है. शावकों को उसकी मां से मिलाने के लिए ये पूरी कवायद की जा रही है (Search For Tigress).

Search For Tigress
बिछड़े शावक
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Published : Mar 9, 2023, 7:36 PM IST

देखिए वीडियो

अमरावती : आंध्र प्रदेश के नांदयाल-कुरनूल इलाके में वन अधिकारी पिछले 72 घंटों से एक बाघिन की तलाश कर रहे हैं ताकि वे उसके चार शावकों को उससे मिला सकें (Search For Tigress). शावक भटक कर कृषि क्षेत्र में आ गए थे, जो किसानों को मिले. आवारा कुत्तों से बचाने के लिए पहले वह उन्हें सुरक्षित जगह ले गए फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी. वन विभाग की टीम ने चारों शावकों का बयारलूटी पशु चिकित्सा केंद्र में स्वास्थ्य परीक्षण कराया.

यही वजह है कि करीब 300 अधिकारी और कर्मचारी शावकों को उनकी मां तक ​​पहुंचाने के लिए जोर लगा रहे हैं. पिछले तीन दिनों से पुलिस अधिकारी और वन विभाग के अधिकारी बाघिन की तलाश में लगे हैं. वन अधिकारियों ने कहा कि वे बहुत जल्द बाघिन का पता लगा लेंगे और शावकों को कुछ ही समय में उनकी मां के पास पहुंचाएंगे.

40 सीसीटीवी लगाकर हो रही तलाश : रिपोर्ट के अनुसार, नल्लामाला वन क्षेत्र के पास गुम्मदापुरम गांव में इस महीने की 6 तारीख को चार बाघ शावक भटक गए थे. निवासियों ने शावकों को पाया और बाद में वन अधिकारियों को सौंप दिया. बयारलूटी वन विभाग केंद्र में मेडिकल जांच के बाद पता चला कि चारों शावक मादा हैं और पूर्ण स्वस्थ हैं.

बाघिन की तलाश के लिए कोथापल्ली और आत्मकुरु मंडलों के अंतर्गत नल्लामाला वन क्षेत्र में 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनके जरिए बाघिन की लोकेशन पता करने की कोशिश की जा रही है. मिशन में 300 कर्मियों को लगाया गया है.

वहीं दूसरी ओर कोठापल्ली मंडल के मुसलीमाडुगु गांव के पास चरवाहों ने एक बाघ की पहचान की थी. तत्काल रिपोर्ट मिलने पर वन अमले ने इस इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जहां बाघ के पैरों के निशान मिले हैं. हालांकि, अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि पैरों के निशान नर बाघ के हैं या मादा बाघ के.

अधिकारियों ने कहा कि अगर उन्हें बाघिन का पता चलता है, तो वे तत्काल प्रभाव से इस क्षेत्र में शावकों को फिर से मिलाने के लिए कदम उठाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जल्द से जल्द फिर से मिलाने के लिए पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं. विशेषज्ञों ने गांव के निवासियों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है क्योंकि बाघिन अपने बच्चों को खोने के कारण उग्र हो सकती है.

पढ़ें- Tigress T 19 death: रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघिन टी 19 'कृष्णा' की हुई मौत, वजह आई सामने

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अमरावती : आंध्र प्रदेश के नांदयाल-कुरनूल इलाके में वन अधिकारी पिछले 72 घंटों से एक बाघिन की तलाश कर रहे हैं ताकि वे उसके चार शावकों को उससे मिला सकें (Search For Tigress). शावक भटक कर कृषि क्षेत्र में आ गए थे, जो किसानों को मिले. आवारा कुत्तों से बचाने के लिए पहले वह उन्हें सुरक्षित जगह ले गए फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी. वन विभाग की टीम ने चारों शावकों का बयारलूटी पशु चिकित्सा केंद्र में स्वास्थ्य परीक्षण कराया.

यही वजह है कि करीब 300 अधिकारी और कर्मचारी शावकों को उनकी मां तक ​​पहुंचाने के लिए जोर लगा रहे हैं. पिछले तीन दिनों से पुलिस अधिकारी और वन विभाग के अधिकारी बाघिन की तलाश में लगे हैं. वन अधिकारियों ने कहा कि वे बहुत जल्द बाघिन का पता लगा लेंगे और शावकों को कुछ ही समय में उनकी मां के पास पहुंचाएंगे.

40 सीसीटीवी लगाकर हो रही तलाश : रिपोर्ट के अनुसार, नल्लामाला वन क्षेत्र के पास गुम्मदापुरम गांव में इस महीने की 6 तारीख को चार बाघ शावक भटक गए थे. निवासियों ने शावकों को पाया और बाद में वन अधिकारियों को सौंप दिया. बयारलूटी वन विभाग केंद्र में मेडिकल जांच के बाद पता चला कि चारों शावक मादा हैं और पूर्ण स्वस्थ हैं.

बाघिन की तलाश के लिए कोथापल्ली और आत्मकुरु मंडलों के अंतर्गत नल्लामाला वन क्षेत्र में 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनके जरिए बाघिन की लोकेशन पता करने की कोशिश की जा रही है. मिशन में 300 कर्मियों को लगाया गया है.

वहीं दूसरी ओर कोठापल्ली मंडल के मुसलीमाडुगु गांव के पास चरवाहों ने एक बाघ की पहचान की थी. तत्काल रिपोर्ट मिलने पर वन अमले ने इस इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जहां बाघ के पैरों के निशान मिले हैं. हालांकि, अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि पैरों के निशान नर बाघ के हैं या मादा बाघ के.

अधिकारियों ने कहा कि अगर उन्हें बाघिन का पता चलता है, तो वे तत्काल प्रभाव से इस क्षेत्र में शावकों को फिर से मिलाने के लिए कदम उठाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जल्द से जल्द फिर से मिलाने के लिए पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं. विशेषज्ञों ने गांव के निवासियों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है क्योंकि बाघिन अपने बच्चों को खोने के कारण उग्र हो सकती है.

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