पटना : पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन जेल से रिहाई के बाद राजनीति में एक बार फिर से सक्रिय हैं. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि आनंद मोहन नवंबर में कभी भी जदयू का दामन थाम सकते हैं. सियासी गलियारों में भी इसकी खूब चर्चा हो रही है. जब से आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की है, तभी से यह चर्चा जोर पकड़ रही है.
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जेडीयू में शामिल हो सकते हैं आनंद मोहन : वहीं, जेडीयू सूत्रों की मानें तो आनंद मोहन इसी महीने जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो सकते हैं. हालांकि इसपर पार्टी का कोई भी लीडर कुछ भी बोलने से बच रहा है. पिछले दिनों आनंद मोहन राबड़ी आवास पर भी गए थे. लेकिन लालू प्रसाद यादव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी. उसके बाद आरजेडी सांसद मनोज झा के ठाकुर कविता विवाद के कारण आनंद मोहन चर्चा में आ गए और उनकी नाराजगी साफ दिख रही थी.
नीतीश कुमार से आनंद मोहन की मुलाकात : फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद अब उनके जदयू में शामिल होने की चर्चा शुरू है. ऐसे में आनंद मोहन अभी बिहार से बाहर हैं, बिहार लौटने पर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात में संभवत जदयू में शामिल होने पर सहमति बनी है. आनंद मोहन पहले भी नीतीश कुमार के नजदीकी माने जाते रहे हैं. हालांकि बाद में संबंध बिगड़ गया, लेकिन जब से जेल से रिहाई हुई है, फिर से नीतीश कुमार से नजदीकियां बढ़ी हैं.
बिहार में राजपूत वोट बैंक पर नजर : आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद फिलहाल राजद के विधायक हैं. ऐसे में यदि आनंद मोहन जदयू में शामिल होते हैं, तो महागठबंधन के एक पार्टी में उनके बेटे रहेंगे और दूसरी पार्टी में आनंद मोहन. जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काटने और जेल से रिहाई के बाद आनंद मोहन जिलों का दौरा भी कर रहे हैं. नवंबर में गांधी मैदान में एक बड़ी रैली की भी घोषणा कर रखी है. आने वाला लोकसभा चुनाव 2024 पर जदयू की नजर भी है. ऐसे में आनंद मोहन को नीतीश कुमार अपनी पार्टी में शामिल करा कर राजपूत वोट बैंक को साधने की कोशिश भी करेंगे. खासकर सीतामढ़ी शिवहर जैसे इलाकों में महागठबंधन को लाभ मिल सकता है.
बिहार में 8 लोकसभा सीटों पर राजपूतों का दबदबा : बिहार की राजनीति में राजपूत अपना दमखम रखते हैं. 7 से 8 लोकसभा सीटों पर राजपूतों का वोट निर्णायक भूमिका अदा करता है. 2024 में जीत के लिए जरूरी है कि राजपूत वोट बैंक को जेडीयू अपनी ओर खींच लाए. ऐसे में आनंद मोहन को एक विकल्प के तौर पर जेडीयू देख रही है. जातीय गणना 2023 के मुताबिक बिहार में राजपूतों की संख्या 3.45 फीसदी है. इसलिए इस जाति को अपने पाले में लाने के लिए सभी जोर आजमाइश करना चाहते हैं.
कौन हैं आनंद मोहन? : बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की दबंग छवि उनकी पहचान है. ये सांसद और विधायक भी रह चुके हैं. गोपलगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता थे. फिलहाल उनकी बिहार जेल मैनुअल में बदलाव के बाद आनंद मोहन की रिहाई सहरसा जेल से हुई है. उनकी इस रिहाई को जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज दिया हुआ है. इस मामले में अभी भी सुनवाई चल रही है. आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा मिली थी.
जेल से कैसे हुई रिहाई : आनंद मोहन की जेल से रिहाई को संदिग्ध नजरिए से देखा जा रहा है. इस संबंध में आनंद मोहन के खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में ये अपील कर शिकायत दर्ज कराईं हैं कि उनकी रिहाई राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है. इसलिए कोर्ट उनकी रिहाई को वापस ले और बिहार जेल नियमावली को रद्द करे. आरोप ये भी लगे हैं कि आनंद मोहन को रिहा करने के लिए ही जेल मैनुअल को बदला गया है. इन आरोपों का ट्रायल सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
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