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बिना मिट्टी की खेती मुमकीन, अल्मोड़ा के दिग्विजय ने कर दिखाया कमाल

अल्मोड़ा के प्रगतिशील काश्तकार दिग्विजय सिंह विगत एक साल से बिना मिट्टी यानि हाइड्रोपोनिक तकनीक से काश्तकारी में जुटे हैं. इस तकनीक का सहारा लेने वाले वह अल्मोड़ा के पहले काश्तकार हैं. दिग्विजय सिंह हाइड्रोपोनिक तकनीक से सलाद पत्ता और अन्य मौसमी सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. इनकी शहरों से भारी मांग आ रही है.

हाइड्रोपोनिक तकनीक
हाइड्रोपोनिक तकनीक
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Published : Apr 12, 2022, 6:10 PM IST

अल्मोड़ा : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में किसानों को अब हाइड्रोपोनिक तकनीक (uttarakhand Hydroponic Technology) से काश्तकारी रास आ रही है. वे बिना मिट्टी के खेती कर भारी मात्रा में फल और हरी सब्जियां उगा रहे हैं. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप किसी भी मौसम में फल-सब्जी की खेती कर सकते हैं. अब इस तकनीक का सहारा पहाड़ के काश्तकार भी (Hydroponic Farming In Almora) लेने लगे हैं. अल्मोड़ा के प्रगतिशील काश्तकार दिग्विजय सिंह बोरा पिछले एक साल से हाइड्रोपोनिक तकनीक से काश्तकारी में जुटे हैं. इस तकनीक का सहारा लेने वाले वह अल्मोड़ा के पहले काश्तकार हैं. दिग्विजय सिंह हाइड्रोपोनिक तकनीक (Digvijay Singh Hydroponic Techniques) से सलाद पत्ता और अन्य मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसकी दिल्ली समेत अन्य महानगरों में भारी मांग है.

जनपद के पहले किसान : अल्मोड़ा के स्याही देवी क्षेत्र में दिग्विजय सिंह बोरा पिछले 20 वर्षों से काश्तकारी में जुटे हैं. वह लंबे समय से नए-नए प्रयोग के साथ मौसमी सब्जी और फलों की खेती करते हैं. लेकिन एक साल से वह अब हाइड्रोपोनिक तकनीक से काश्तकारी कर रहे हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती किसानी करने वाले दिग्विजय सिंह पहला उदाहरण बन गए हैं. दिग्विजय सिंह ने बताया कि एक साल पहले उन्होंने एक बाहरी कंपनी की मदद से 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पॉलीहाउस लगाया. हाइड्रोपोनिक तकनीक से यूनिट तैयार की. इसमें वह सलाद पत्ता की करीब आधा दर्जन से अधिक किस्म और मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसकी मार्केटिंग दिल्ली की कोई कंपनी कर रही है.

बिना मिट्टी की खेती मुमकीन

अन्य शहरों से बढ़ी मांग : वह हर हफ्ते एक वातानुकूलित वैन के माध्यम से सलाद पत्ता और सब्जियां दिल्ली, लखनऊ समेत कई महानगरों को भेजते हैं. वह बताते हैं कि इसकी डिमांड पांच सितारा होटल से लेकर सात सितारा होटलों में काफी है. वह अब तक लाखों रुपये का सलाद पत्ता और सब्जियां बेच चुके हैं. सलाद पत्ता में वह ओकलीफ लेट्यूस, लोकार्नो लेट्यूस, रेड़िकियो लेट्यूस, फ्रिजी लेट्यूस समेत विभिन्न प्रजातियां उगा रहे हैं.

पानी की कम खपत में ज्यादा मुनाफा : दिग्विजय बोरा बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक तकनीक में पानी की खपत कम बचत ज्यादा है. पानी की थोड़ी मात्रा में ज्यादा उत्पादन होता है, बढ़ते जल संकट में यह तकनीक जल संरक्षण में भी मददगार साबित होगी. दूसरा, इस विधि से उगाई सब्जियों के पौधों में रोग नहीं लगता है. साथ ही इस विधि से उत्पादन में समय भी कम लगता है.

बता दें कि हाइड्रोपोनिक तकनीक से कम समय में अच्छी और ताजा सब्जी उग सकेगी. इस तकनीक में मेहनत भी कम लगती है और जिन किसानों के पास जमीन का अभाव है वह इस तकनीक को अपनाकर ताजा सब्जियां घर बैठे उगा सकेंगे. खेतों की बजाय हाइड्रोपोनिक खेती में सब्जियां जल्द तैयार हो जाती हैं.

क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक: बिना मिट्टी और कम पानी में पेड़-पौधे उगाने की इस तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं. इस तकनीक में पेड़ पौधों को एक पाइप में एक निश्चित दूरी में होल कर लगाया जाता है. पौधों को पाइप के अंदर लिक्विड फॉर्म में वो सभी पोषक तत्व दिए जाते हैं जोकि उन्हें मिट्टी के जरिए मिलते हैं. इस तकनीक की खास बात यह है कि इससे सामान्य की तुलना में पैदावार ज्यादा होती है और पेड़ पौधों का विकास भी बेहतर तरीके से होता है.

पढ़ें : Hydroponic Farming: बिना मिट्टी के घर के अंदर ऐसे उगाएं केमिकल मुक्त सब्जियां

दुनिया में तेजी से बढ़ रही तकनीक: इसमें प्लास्टिक की एक पाइप में छेद करके पौधों को लगाया जाता है. साथ ही इससे एक मोटर कनेक्ट कर दी जाती है. जिससे एक निश्चित मात्रा में पौधे को पानी मिलता रहता है और उसका विकास होता रहता है. साथ ही इस पानी में पौधों को दिए जाने वाले न्यूट्रिशन डाल दिये जाते हैं. इससे कम क्षेत्रफल में ज्यादा पौधों को लगाया जा सकता है. देश दुनिया में तेजी से बढ़ती आधुनिक कृषि तकनीक हाइड्रोपोनिक में पाइपों का बड़ा रोल है. इसमें सौ वर्ग फुट में करीब 200 पौधे लगाए जा सकते हैं. इसमें मौसम या अन्य कारणों का प्रभाव भी नहीं पड़ता.

हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जो दो शब्दों के मेल से बना है. हाइड्रो यानी पानी और पोनोज यानी लेबर. ये मिलकर एक नया शब्द बनता है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के. यानी वो तकनीक, जिसमें मिट्टी के बगैर ही केवल पानी की मदद से पौधे उगाए जा सकते हैं हाइड्रोपोनिक्स कहलाती है.

अल्मोड़ा : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में किसानों को अब हाइड्रोपोनिक तकनीक (uttarakhand Hydroponic Technology) से काश्तकारी रास आ रही है. वे बिना मिट्टी के खेती कर भारी मात्रा में फल और हरी सब्जियां उगा रहे हैं. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप किसी भी मौसम में फल-सब्जी की खेती कर सकते हैं. अब इस तकनीक का सहारा पहाड़ के काश्तकार भी (Hydroponic Farming In Almora) लेने लगे हैं. अल्मोड़ा के प्रगतिशील काश्तकार दिग्विजय सिंह बोरा पिछले एक साल से हाइड्रोपोनिक तकनीक से काश्तकारी में जुटे हैं. इस तकनीक का सहारा लेने वाले वह अल्मोड़ा के पहले काश्तकार हैं. दिग्विजय सिंह हाइड्रोपोनिक तकनीक (Digvijay Singh Hydroponic Techniques) से सलाद पत्ता और अन्य मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसकी दिल्ली समेत अन्य महानगरों में भारी मांग है.

जनपद के पहले किसान : अल्मोड़ा के स्याही देवी क्षेत्र में दिग्विजय सिंह बोरा पिछले 20 वर्षों से काश्तकारी में जुटे हैं. वह लंबे समय से नए-नए प्रयोग के साथ मौसमी सब्जी और फलों की खेती करते हैं. लेकिन एक साल से वह अब हाइड्रोपोनिक तकनीक से काश्तकारी कर रहे हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती किसानी करने वाले दिग्विजय सिंह पहला उदाहरण बन गए हैं. दिग्विजय सिंह ने बताया कि एक साल पहले उन्होंने एक बाहरी कंपनी की मदद से 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पॉलीहाउस लगाया. हाइड्रोपोनिक तकनीक से यूनिट तैयार की. इसमें वह सलाद पत्ता की करीब आधा दर्जन से अधिक किस्म और मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसकी मार्केटिंग दिल्ली की कोई कंपनी कर रही है.

बिना मिट्टी की खेती मुमकीन

अन्य शहरों से बढ़ी मांग : वह हर हफ्ते एक वातानुकूलित वैन के माध्यम से सलाद पत्ता और सब्जियां दिल्ली, लखनऊ समेत कई महानगरों को भेजते हैं. वह बताते हैं कि इसकी डिमांड पांच सितारा होटल से लेकर सात सितारा होटलों में काफी है. वह अब तक लाखों रुपये का सलाद पत्ता और सब्जियां बेच चुके हैं. सलाद पत्ता में वह ओकलीफ लेट्यूस, लोकार्नो लेट्यूस, रेड़िकियो लेट्यूस, फ्रिजी लेट्यूस समेत विभिन्न प्रजातियां उगा रहे हैं.

पानी की कम खपत में ज्यादा मुनाफा : दिग्विजय बोरा बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक तकनीक में पानी की खपत कम बचत ज्यादा है. पानी की थोड़ी मात्रा में ज्यादा उत्पादन होता है, बढ़ते जल संकट में यह तकनीक जल संरक्षण में भी मददगार साबित होगी. दूसरा, इस विधि से उगाई सब्जियों के पौधों में रोग नहीं लगता है. साथ ही इस विधि से उत्पादन में समय भी कम लगता है.

बता दें कि हाइड्रोपोनिक तकनीक से कम समय में अच्छी और ताजा सब्जी उग सकेगी. इस तकनीक में मेहनत भी कम लगती है और जिन किसानों के पास जमीन का अभाव है वह इस तकनीक को अपनाकर ताजा सब्जियां घर बैठे उगा सकेंगे. खेतों की बजाय हाइड्रोपोनिक खेती में सब्जियां जल्द तैयार हो जाती हैं.

क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक: बिना मिट्टी और कम पानी में पेड़-पौधे उगाने की इस तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं. इस तकनीक में पेड़ पौधों को एक पाइप में एक निश्चित दूरी में होल कर लगाया जाता है. पौधों को पाइप के अंदर लिक्विड फॉर्म में वो सभी पोषक तत्व दिए जाते हैं जोकि उन्हें मिट्टी के जरिए मिलते हैं. इस तकनीक की खास बात यह है कि इससे सामान्य की तुलना में पैदावार ज्यादा होती है और पेड़ पौधों का विकास भी बेहतर तरीके से होता है.

पढ़ें : Hydroponic Farming: बिना मिट्टी के घर के अंदर ऐसे उगाएं केमिकल मुक्त सब्जियां

दुनिया में तेजी से बढ़ रही तकनीक: इसमें प्लास्टिक की एक पाइप में छेद करके पौधों को लगाया जाता है. साथ ही इससे एक मोटर कनेक्ट कर दी जाती है. जिससे एक निश्चित मात्रा में पौधे को पानी मिलता रहता है और उसका विकास होता रहता है. साथ ही इस पानी में पौधों को दिए जाने वाले न्यूट्रिशन डाल दिये जाते हैं. इससे कम क्षेत्रफल में ज्यादा पौधों को लगाया जा सकता है. देश दुनिया में तेजी से बढ़ती आधुनिक कृषि तकनीक हाइड्रोपोनिक में पाइपों का बड़ा रोल है. इसमें सौ वर्ग फुट में करीब 200 पौधे लगाए जा सकते हैं. इसमें मौसम या अन्य कारणों का प्रभाव भी नहीं पड़ता.

हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जो दो शब्दों के मेल से बना है. हाइड्रो यानी पानी और पोनोज यानी लेबर. ये मिलकर एक नया शब्द बनता है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के. यानी वो तकनीक, जिसमें मिट्टी के बगैर ही केवल पानी की मदद से पौधे उगाए जा सकते हैं हाइड्रोपोनिक्स कहलाती है.

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