चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा के लिए सीटों पर डीएमके और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पाई है. डीएमके 18 सीटों से ज्यादा देने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस ने 40 सीटों की मांग की है. 2016 में भी डीएमके ने इतनी ही सीटें कांग्रेस को दी थी. तब कांग्रेस के आठ उम्मीदवार जीते थे. डीएमके का कहना है कि इस बार की परिस्थिति कुछ और है.
कांग्रेस का कहना है वह सम्मानजनक संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि अगर डीएमके तैयार नहीं होती है, तो कांग्रेस को अलग चुनाव लड़ना चाहिए. हालांकि, डीएमके के नेताओं का कहना है कि बातचीत जारी है. उम्मीद करते हैं कि जल्द समाधान निकल पाएगा.
कांग्रेस नेता बताते हैं कि भाजपा का तमिलनाडु में आधार नहीं है. इसके बावजूद एआईडीएमके भाजपा को 24 सीटें देने के लिए तैयार है. पर, कांग्रेस का इससे भी बुरा हाल है. यह पार्टी के लिए शर्मिंदगी वाली स्थिति होगी.
सूत्र बताते हैं कि बिहार चुनाव में कांग्रेस क्योंकि बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर सकी, लेकिन वहां पर अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी. ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में न हो जाए, इसलिए डीएमके अधिक सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि कांग्रेस सीटों के तालमेल के संदर्भ में कड़ा स्पष्ट रुख अपनाए हुए है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि द्रमुक को इसका अहसास जरूर है कि तमिलनाडु में धर्मनिरपेक्ष दलों का साथ आना जरूरी है.
मोइली ने कहा, 'भाजपा के नेतृत्व वाला राजग जिन विभाजनकारी ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है, उनको पराजित किया जाना जरूरी है और तमिलनाडु संघवाद और राष्ट्रवाद की भावना को बनाए रखने का एक मजबूत स्थान है.'
इससे पहले मोइली ने संकेत दिया था कि डीएमके के साथ सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत बहाल होगी.
कांग्रेस के तमिलनाडु प्रभारी दिनेश गुंडुराव ने सीटों को लेकर द्रमुक की पेशकश के संदर्भ में तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं के साथ चर्चा की है.
कांग्रेस और द्रमुक के बीच अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है जो बेनतीजा रही है.
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प्रदेश की सभी 234 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल को मतदान है.
डीएमके को 2016 में 89 सीटें मिली थीं. डीएमके वाम दलों के साथ चुनाव लड़ रही है. डीएमके ने छह सीटें वीसीके को दी हैं. तीन सीटें आईयूएमएल और दो सीटें एमएमके को दी गई हैं. सीपीआई और सीपीएम को पांच-पांच सीटें मिलने के आसार हैं.
कांग्रेस और डीएमके का गठबंधन पिछले 15 सालों से चला आ रहा है.