लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को बड़ी राहत देते हुए, वर्ष 2021 में सहादतगंज थाने में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में दुराचार व लूटपाट की धारा जोड़ने की मांग वाली वादिनी की ओर से दाखिल याचिका को खारिज (Petition filed against removal of rape section rejected) कर दिया है. इस मामले में पुलिस ने विवेचना के उपरांत सिर्फ मारपीट, गालीगलौज व जान से मारने की धमकी के आरोपों में चार्जशीट दाखिल की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने मामले की वादिनी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका में मांग की गई थी कि मामले के तथ्यों व साक्ष्यों को देखते हुए, निचली अदालत को आदेश दिया जाए कि वह अभियुक्त वसीम रिजवी (Wasim Rizvi alias Jitendra Narayan Tyagi) को दुराचार व लूटपाट के मामले में भी समन करे. याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि याची ने सम्बंधित अदालत में बिना कोई प्रार्थना पत्र दिए, सीधा हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की है, जो पोषणीय नहीं है.
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि निचली अदालत द्वारा आरोप पत्र पर लिया गया संज्ञान विधि सम्मत है. वहीं याचिका में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर, डीसीपी पश्चिमी, एसीपी बाजार खाला, एसएचओ सहादतगंज व विवेचनाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश डीजीपी को दिए जाने की भी मांग की गई थी. न्यायालय (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने वादिनी के इस मांग को अस्पष्ट करार देते हुए, याचिका को खारिज करदिया.
उल्लेखनीय है कि मामले में वादिनी ने 15 जुलाई 2021 को सहादतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि चार साल पहले वसीम रिजवी पीड़िता के पति की गैर मौजूदगी में कमरे में घुस गए और उसके साथ दुराचार किया एवं वादिनी की अश्लील फोटो भी खींची. यह भी आरोप था कि फोटो को वायरल करने के नाम पर वसीम रिजवी ने कई बार उसके साथ दुराचार किया. हालांकि विवेचना में दुराचार के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी.