कोच्चि: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 (international women's day 2022) के मौके पर देशभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में केरल में भी अनूठा प्रयोग किया गया. यहां महिला न्यायाधीशों वाली एक पीठ का गठन किया गया है. बता दें, केरल उच्च न्यायालय के इतिहास में यह पहली बार है कि केवल महिला पीठ का गठन किया गया है. बेंच की जज जस्टिस अनु शिवरामन, जस्टिस एमआर अनीता और जस्टिस वी शिरसी हैं.
पीठ राज्य द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका पर विचार करेगी, जिसमें सरकार के आपदा राहत कोष में गुरुवायुर देवस्वम कोष द्वारा किए गए योगदान को रद्द करने वाले पूर्ण पीठ के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई है. इससे पहले बेंच में जस्टिस ए हरिप्रसाद, अनु शिवराम और एमआर अनीता शामिल थे और जस्टिस हरिप्रसाद की सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस शिरसी ने उनकी जगह ली. प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता साजिथ कुमार वी ने बताया कि यह पहली बार है कि केरल उच्च न्यायालय में महिलाओं की पूर्ण पीठ बनी है.
साजिथ कुमार वी ने आगे कहा कि अधिक से अधिक महिलाएं कानून की डिग्री के साथ स्नातक हो रही हैं और यहां तक कि अधीनस्थ न्यायपालिका में भी महिला न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जो स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो भविष्य में हम उच्च न्यायपालिका में अधिक महिला न्यायाधीशों के साथ-साथ सभी महिला पूर्ण पीठों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं. वहीं, अधिवक्ता एके प्रीथा ने कहा कि कानूनी पेशे में सभी सक्षम वकील समान हैं, चाहे वह कोई भी हो.
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इससे पहले न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि गुरुवायूर देवस्वम प्रबंध समिति के पास अपने धन से मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष या किसी अन्य सरकारी एजेंसी को किसी भी राशि का योगदान करने का कोई अधिकार नहीं है. अदालत ने यह भी देखा था कि सभी संपत्ति (चल, अचल, नकद, आदि) भगवान गुरुवायुरप्पन के नाम पर समर्पित या समर्पित या गुरुवायुर देवस्वम द्वारा अर्जित अन्य संपत्ति भगवान गुरुवायुरप्पन की मूर्ति में निहित होगी जो श्री कृष्ण मंदिर में प्रतिष्ठित हैं. ये टिप्पणियां उच्च न्यायालय ने गुरुवायूर मंदिर की प्रबंध समिति के गैर-धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान करने के संदर्भ में जवाब देते हुए की थीं.
पीटीआई