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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं, पढ़ें रिपोर्ट

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Published : May 12, 2021, 10:40 PM IST

आज कल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मांग तेजी से बढ़ रही है. आखिर यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर है क्या और कैसे इसका इस्तेमाल किया जाता है? ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में क्या अंतर है? इसे समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के बारे में वह सब कुछ है जो आप जानना चाहते हैं.

important information about oxygen concentrator
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कैसे काम करता है

रांची : जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन यूं तो जरूरी है, लेकिन इन दिनों कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन लाइफ लाइन बन गई है. गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है. अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर जोर दिया जा रहा है तो कुछ लोग अपने घर में ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के जरिए मरीज की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, इसके लिए लंबी बुकिंग भी चल रही है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्या है और यह कैसे काम करता है इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

क्या है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक पोर्टेबल मशीन है जिससे ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है. इसे कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं. इसे चलाने के लिए बिजली या बैटरी की जरूरत पड़ती है. यह मशीन हवा से नाइट्रोजन और अन्य गैस को अलग करती है और ऑक्सीजन को छानती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन प्रेशर स्विंग एड्सॉप्शन टेक्निक (पीएसए) पर काम करती है. तुरंत ऑक्सीजन बनाने की प्रक्रियाओं में यह सस्ता साधन है. इस मशीन को ऑक्सीजन गैस जनरेटर या ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट के नाम से भी जाना जाता है.

कैसे काम करती है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन से किसी भी मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए नेजल केनुला की जरूरत पड़ती है. नेजल केनुला एक प्लास्टिक की नली होती है जिसके दोनों सिरे जोड़ने लायक होते हैं. नेजल केनुला के जरिए एक सिरे को मशीन में फिट किया जाता है और दूसरा सिरे को नाक में डाला जाता है. इससे मरीज को आराम से ऑक्सीजन मिल पाती है. फेस मास्क के जरिए भी ऑक्सीजन दी जा सकती है. इसमें मुंह और नाक को कवर करना पड़ता है. ये तब जरूरी होता है जब शरीर को हाई लेवल ऑक्सीजन की जरूरत हो. ट्रांसट्रैक्चियल कैथेलर के जरिए भी शरीर को ऑक्सीजन दी जा सकती है. इसमें एक नली सीधे गले में लगाई जाती है, लेकिन इस प्रक्रिया में गले में संक्रमण का खतरा रहता है.

oxygen concentrator
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में अंतर.

यह भी पढ़ें: चिकित्सा उपकरणों की बढ़ी मांग, दाम बढ़ने से डेढ़ लाख में मिल रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में अंतर क्या ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए सही रहता है जिनका ऑक्सीजन लेवल 80 से ऊपर हो जबकि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन(एलएमओ) का इस्तमाल 80 से कम वाले मरीजों के लिए होता है. कंसंट्रेटर से एक मिनट में 5 से 10 लीटर ऑक्सीजन फिल्टर किया जाता है, वहीं लिक्विड ऑक्सीजन एक बार में 40 से 50 लीटर ऑक्सीजन फ्लो कर सकता है. कंसंट्रेटर के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है. बिजली कटने पर बैक अप रखना आवश्यक है. कंसंट्रेटर में ऑक्सीजन की शुद्धता 90 से 95% तक होती है जबकि एलएमओ में यह 99% होती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन को स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन इसमें फिल्टर बदलने की जरूरत पड़ती है.

रांची : जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन यूं तो जरूरी है, लेकिन इन दिनों कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन लाइफ लाइन बन गई है. गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है. अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर जोर दिया जा रहा है तो कुछ लोग अपने घर में ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के जरिए मरीज की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, इसके लिए लंबी बुकिंग भी चल रही है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्या है और यह कैसे काम करता है इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

क्या है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक पोर्टेबल मशीन है जिससे ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है. इसे कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं. इसे चलाने के लिए बिजली या बैटरी की जरूरत पड़ती है. यह मशीन हवा से नाइट्रोजन और अन्य गैस को अलग करती है और ऑक्सीजन को छानती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन प्रेशर स्विंग एड्सॉप्शन टेक्निक (पीएसए) पर काम करती है. तुरंत ऑक्सीजन बनाने की प्रक्रियाओं में यह सस्ता साधन है. इस मशीन को ऑक्सीजन गैस जनरेटर या ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट के नाम से भी जाना जाता है.

कैसे काम करती है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन से किसी भी मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए नेजल केनुला की जरूरत पड़ती है. नेजल केनुला एक प्लास्टिक की नली होती है जिसके दोनों सिरे जोड़ने लायक होते हैं. नेजल केनुला के जरिए एक सिरे को मशीन में फिट किया जाता है और दूसरा सिरे को नाक में डाला जाता है. इससे मरीज को आराम से ऑक्सीजन मिल पाती है. फेस मास्क के जरिए भी ऑक्सीजन दी जा सकती है. इसमें मुंह और नाक को कवर करना पड़ता है. ये तब जरूरी होता है जब शरीर को हाई लेवल ऑक्सीजन की जरूरत हो. ट्रांसट्रैक्चियल कैथेलर के जरिए भी शरीर को ऑक्सीजन दी जा सकती है. इसमें एक नली सीधे गले में लगाई जाती है, लेकिन इस प्रक्रिया में गले में संक्रमण का खतरा रहता है.

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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में अंतर.

यह भी पढ़ें: चिकित्सा उपकरणों की बढ़ी मांग, दाम बढ़ने से डेढ़ लाख में मिल रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में अंतर क्या ?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए सही रहता है जिनका ऑक्सीजन लेवल 80 से ऊपर हो जबकि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन(एलएमओ) का इस्तमाल 80 से कम वाले मरीजों के लिए होता है. कंसंट्रेटर से एक मिनट में 5 से 10 लीटर ऑक्सीजन फिल्टर किया जाता है, वहीं लिक्विड ऑक्सीजन एक बार में 40 से 50 लीटर ऑक्सीजन फ्लो कर सकता है. कंसंट्रेटर के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है. बिजली कटने पर बैक अप रखना आवश्यक है. कंसंट्रेटर में ऑक्सीजन की शुद्धता 90 से 95% तक होती है जबकि एलएमओ में यह 99% होती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन को स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन इसमें फिल्टर बदलने की जरूरत पड़ती है.

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