हैदराबाद : ऑल इंडिया सर्वे के बाद सामने आई उच्च शिक्षा (AISHE) की रिपोर्ट 2019-20 में देश में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर प्रमुख प्रदर्शन के संकेतक शामिल हैं. इस सर्वे में कुल 1,019 विश्वविद्यालय, 39,955 कॉलेज और 9,599 स्टैंड-एलोन संस्थानों ने हिस्सा लिया.
रिपोर्ट के मुताबिक-
भारत का सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio-GER) वर्ष 2019-20 में 26.3 प्रतिशत से बढ़कर 27.1 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी सबसे कम है, जबकि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिला भागीदारी अकादमिक पाठ्यक्रमों की तुलना से भी कम है. हालांकि, 2015-16 से 2019-20 तक उच्च शिक्षा में महिलाओं के नामांकन में कुल मिलाकर 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.
पिछले पांच वर्षों में 2015-16 से 2019-20 तक, छात्रों के नामांकन में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में छात्राओं के नामांकन में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उच्च शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक (Gender Parity Index -GPI) 2019-20 में 2018-19 के 1.00 के मुकाबले 1.01 रहा. यह उच्च शिक्षा में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में सुधार को दर्शाता है.
विश्वविद्यालयों में छात्राएं
राज्य विधानमंडल अधिनियम (State Legislature Act) (3,702) के तहत संस्थानों के बाद राज्य के निजी मुक्त विश्वविद्यालय (2,499) के अंतर्गत आने वाले संस्थानों में छात्राओं की संख्या कम है. जबकि राज्य सरकारी विश्वविद्यालयों में इनकी हिस्सेदारी अधिक है.
राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के लिए छात्राओं की हिस्सेदारी सबसे कम (24.7 प्रतिशत) है, इसके बाद सरकार के डिम्ड विश्वविद्यालय (33.4 प्रतिशत) और राज्य के निजी विश्वविद्यालयों (34.7 प्रतिशत) आते हैं. जबकि राज्य विधानमंडल अधिनियम के तहत संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी 61.2 प्रतिशत है.
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राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में छात्राओं की हिस्सेदारी 50.1 प्रतिशत और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यह 48.1% है. सर्वे में पाया गया है कि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर अकादमिक पाठ्यक्रमों के मुकाबले व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में छात्राओं की संख्या काफी कम है.
स्नातक स्तर पर छात्रों का नामांकन
स्नातक स्तर पर दाखिला लेने वाले 50.8 फीसदी छात्र और 49.2 फीसदी छात्राएं होती हैं. पीएचडी स्तर पर 55 प्रतिशत छात्र और 45 प्रतिशत छात्राएं होती हैं. एकीकृत स्तरों में 56.2 प्रतिशत छात्र और 43.8 प्रतिशत छात्राएं होती हैं. पीजी डिप्लोमा में दाखिला लेने वाले 53.6 प्रतिशत छात्र होते हैं जबकि 46.4 प्रतिशत छात्राएं होती हैं.
विषयवार नामांकन
2019-20 में, स्नातक स्तर पर कला/मानविकी/सामाजिक विज्ञान में सबसे अधिक संख्या में 32.7 प्रतिशत छात्रों ने दाखिला लिया, जिनमें 16 प्रतिशत विज्ञान, 14.9 प्रतिशत वाणिज्य और 12.6 प्रतिशत इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में हैं.
स्नातकोत्तर स्तर पर, सबसे अधिक छात्रों का नामांकन सामाजिक विज्ञान (Social Science) स्ट्रीम में हुआ, जिसमें विज्ञान (Science) दूसरे नंबर पर रहा. पीएचडी स्तर पर, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी स्ट्रीम को सबसे अधिक छात्रों चुना जिसके बाद विज्ञान को छात्रों ने चुना.
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भारत में विदेशी छात्र
भारत में विदेशी छात्रों की संख्या पर रिपोर्ट कहती है कि वर्तमान यहां 49,348 विदेशी छात्रों ने विभिन्न भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (Indian higher education institutions) में दाखिला लिया है.
दुनिया भर से 168 विभिन्न देशों से विदेशी छात्र आते हैं. विदेशी छात्रों का सबसे अधिक हिस्सा पड़ोसी देशों से आता है, जिसमें नेपाल से कुल 28.1 प्रतिशत शामिल होते हैं, उसके बाद अफगानिस्तान 9.1 प्रतिशत, बांग्लादेश 4.6 प्रतिशत और भूटान 3.8 प्रतिशत आते हैं.
टॉप 10 देशों से आने वाले छात्रों की संख्या में सुडान (3.6 प्रतिशत), यूएस (3.3 प्रतिशत), नाईजेरिया (3.1 प्रतिशत), यमन (2.9 प्रतिशत), मलेशिया (2.7 प्रतिशत) और यूएई (2.7 प्रतिशत) से भी शामिल हैं. अधिकांश राज्यों में छात्राओं की हिस्सेदारी के मुकाबले बड़ी संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं.
भारत में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक विद्यार्थी दाखिला लेते हैं जिनमें 49.1 प्रतिशत छात्र और 50.9 प्रतिशत छात्राएं होती हैं. इस क्रम में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है जहां दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों में 54.2 प्रतिशत छात्र और 45.8 प्रतिशत छात्राएं होती हैं.
इसके बाद तमिलनाडु में 50.5 प्रतिशत छात्र और 49.5 प्रतिशत छात्राएं और राजस्थान में 52.5 प्रतिशत छात्र और 47.8 प्रतिशत छात्राएं हैं. कर्नाटक में छात्राओं की संख्या 50.2 प्रतिशत है.