लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण के साथ-साथ हार्ड हिंदुत्व की लाइन पर आगे बढ़ते हुए नजर आएंगे. नैमिषारण्य में समाजवादी पार्टी के प्रशिक्षण शिविर में अखिलेश यादव ने 'हार्ड हिंदुत्व' के सहारे आगे बढ़ने की बात कही है. आखिर अखिलेश यादव अब कैसे रणनीति बनाएंगे कि मुस्लिम वोट बैंक के साथ-साथ हार्ड हिंदुत्व की लाइन को लेकर आगे बढ़ पाएंगे? ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिम समाज के लोग भी उनसे दूर जा सकते हैं. पिछले कई चुनाव हार चुके अखिलेश यादव बार-बार अपनी रणनीति बदलने को लेकर मजबूर हो रहे हैं.
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 2017 विधानसभा चुनाव उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. अखिलेश यादव कभी अति पिछड़ा कार्ड तो कभी एमवाई पर फोकस करते हुए चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन समाजवादी पार्टी को सफलता नहीं मिल पाई. अब जब 2024 का लोकसभा चुनाव अगले साल होना है उसको लेकर अखिलेश यादव हर स्तर पर अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रहे हैं. संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं, साथ ही लोकसभा क्षेत्रों में प्रभारियों की नियुक्ति भी अखिलेश यादव कर चुके हैं. अखिलेश यादव ने एमवाई समीकरण के साथ ही 'हार्ड हिंदुत्व' के सहारे चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, यही कारण है कि अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य तीर्थ स्थली से प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत की और कार्यकर्ताओं को मंत्र दिया कि अब हमें हार्ड होने की जरूरत है. अब सवाल उठ रहा है कि अब 'हार्ड हिंदुत्व' की राह पर आगे बढ़ने में मुस्लिम समाज के लोग अखिलेश के इस कदम को किस प्रकार से लेंगे?
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि 'समाजवादी पार्टी के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नैमिषारण्य में किया गया था. अखिलेश यादव ने वहां हवन पूजन भी किया और उन्होंने साफ किया कि हमारे ऊपर जिस प्रकार से सॉफ्ट हिंदुत्व के आरोप लगते हैं तो ऐसे में हमें अब हार्ड होने की जरूरत है. भारतीय जनता पार्टी से हम हार्ड होकर ही मोर्चा ले सकते हैं. समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर आगे बढ़ेगी और चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने का काम करेगी.'
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राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार प्रभात त्रिपाठी कहते हैं कि 'सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरी तरह से भ्रमित हो चुके हैं. उन्हें यह नहीं पता कि वह किस लाइन पर आगे बढ़ रहे हैं. समाजवादी पार्टी तुष्टीकरण करने वाली पार्टी मानी जाती है. अखिलेश यादव इससे खुद को कभी दूर नहीं कर सकते ऐसे में अब वह हार्ड हिंदुत्व की जो बात कर रहे हैं. उससे मुस्लिम समाज भी उनसे दूर हो सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव की इस रणनीति का उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में क्या फायदा मिलेगा.'