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अकाली दल कोर कमेटी की बैठक खत्म, गठबंधन की खबरों पर सुखबीर बादल ने तोड़ी चुप्पी - अकाली दल का बसपा से गठबंधन

अकाली दल की चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में कोर कमेटी की बैठक खत्म हो गई है. राजनीतिक गलियारों में अकाली दल और बीजेपी के फिर से गले मिलने की चर्चाएं जोरों पर हैं. इस मामले पर पार्टी नेता दलजीत चीमा और सुखबीर बादल ने गठबंधन के बारे में क्या कहा, पढ़ें पूरी खबर..

Akali Dal President Sukhbir Badal
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल
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Published : Jul 6, 2023, 10:42 PM IST

चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक शिरोमणि अकाली दल के चंडीगढ़ कार्यालय में खत्म हो गई है. इस मुलाकात पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि राजनीतिक गलियारों में शिअद और बीजेपी के फिर से गले मिलने की चर्चाएं जोरों पर हैं. हालांकि, पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने इन चर्चाओं को नजरअंदाज कर दिया है और इस बैठक को पार्टी की हर महीने होने वाली औपचारिक बैठक बताया है. सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल का बीजेपी के साथ गठबंधन हो सकता है, इसकी चर्चा सिर्फ मीडिया में हो रही है.

अकाली दल की कोर कमेटी और विभिन्न पदाधिकारियों की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने साफ कर दिया कि बीजेपी के साथ अभी समझौते की कोई संभावना नहीं है. पत्रकारों से बातचीत में चीमा ने कहा कि आज की बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर कोई एजेंडा नहीं था. उन्होंने कहा कि मीडिया को किसी भी अनधिकृत स्रोत से मिली जानकारी के आधार पर कोई खबर नहीं चलानी चाहिए.

सरकार खोलेगी पोल: बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा किये गये वादों की पोल गांवों में खोली जायेगी. पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे और लोगों को पंजाब सरकार की कमजोरियों के बारे में बताएंगे. संसदीय चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है.

समान नागरिक संहिता पर चर्चा: इसके अलावा यूसीसी पर भी चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो यूसीसी मुद्दे का सभी पक्षों से अध्ययन करेगी, बुद्धिजीवियों और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेगी और पार्टी की ओर से अपना पक्ष रखेगी.

सरकार द्वारा संशोधित विधेयक को अस्वीकार: शिरोमणि अकाली दल ने सरकार द्वारा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के मुद्दे पर भी चर्चा की और एक प्रस्ताव पारित करके पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (1925) में किए गए संशोधन को खारिज कर दिया, क्योंकि यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब के राज्यपाल से मिलकर इसे रद्द करने का अनुरोध किया जायेगा.

अकाली दल का बसपा से गठबंधन: सुखबीर बादल ने सभी चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि अकाली दल का बसपा के साथ गठबंधन है तो फिर बीजेपी के साथ गठबंधन कैसे हो सकता है. प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने इस गठबंधन की वकालत की. पिछले दिनों हुई बैठक में ज्यादातर अकाली नेताओं ने अकाली बीजेपी गठबंधन का समर्थन किया था. चर्चा है कि सुखबीर बादल पार्टी के हर कार्यकर्ता से इस पर चर्चा कर रहे हैं. यह भी बात सामने आ रही है कि दोनों के बीच 8 और 5 सीटों पर सहमति बनी थी, जो गठबंधन टूटने से पहले 10 और 3 सीटों पर थी. सूत्रों की मानें तो हरसिमरत कौर बादल को फिर से केंद्रीय मंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है. ये सारी चर्चाएं इसी बात की ओर इशारा करती हैं कि आग लगी है तो धुआं भी उठ रहा है.

प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद शुरू हुई गठबंधन की चर्चा: आपको बता दें कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद अकाली बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. प्रकाश सिंह बादल के अंतिम दर्शन के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचे. बादल के भोग कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की शिरकत ने इन चर्चाओं को और तेज कर दिया है. जालंधर उपचुनाव के नतीजों के बाद दोनों पार्टियों ने अपना-अपना मंथन किया. पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच गठबंधन को लेकर कई तरह के समझौते हो रहे हैं.

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अकाली दल की कोर कमेटी और विभिन्न पदाधिकारियों की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने साफ कर दिया कि बीजेपी के साथ अभी समझौते की कोई संभावना नहीं है. पत्रकारों से बातचीत में चीमा ने कहा कि आज की बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर कोई एजेंडा नहीं था. उन्होंने कहा कि मीडिया को किसी भी अनधिकृत स्रोत से मिली जानकारी के आधार पर कोई खबर नहीं चलानी चाहिए.

सरकार खोलेगी पोल: बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा किये गये वादों की पोल गांवों में खोली जायेगी. पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे और लोगों को पंजाब सरकार की कमजोरियों के बारे में बताएंगे. संसदीय चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है.

समान नागरिक संहिता पर चर्चा: इसके अलावा यूसीसी पर भी चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो यूसीसी मुद्दे का सभी पक्षों से अध्ययन करेगी, बुद्धिजीवियों और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेगी और पार्टी की ओर से अपना पक्ष रखेगी.

सरकार द्वारा संशोधित विधेयक को अस्वीकार: शिरोमणि अकाली दल ने सरकार द्वारा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के मुद्दे पर भी चर्चा की और एक प्रस्ताव पारित करके पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (1925) में किए गए संशोधन को खारिज कर दिया, क्योंकि यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब के राज्यपाल से मिलकर इसे रद्द करने का अनुरोध किया जायेगा.

अकाली दल का बसपा से गठबंधन: सुखबीर बादल ने सभी चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि अकाली दल का बसपा के साथ गठबंधन है तो फिर बीजेपी के साथ गठबंधन कैसे हो सकता है. प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने इस गठबंधन की वकालत की. पिछले दिनों हुई बैठक में ज्यादातर अकाली नेताओं ने अकाली बीजेपी गठबंधन का समर्थन किया था. चर्चा है कि सुखबीर बादल पार्टी के हर कार्यकर्ता से इस पर चर्चा कर रहे हैं. यह भी बात सामने आ रही है कि दोनों के बीच 8 और 5 सीटों पर सहमति बनी थी, जो गठबंधन टूटने से पहले 10 और 3 सीटों पर थी. सूत्रों की मानें तो हरसिमरत कौर बादल को फिर से केंद्रीय मंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है. ये सारी चर्चाएं इसी बात की ओर इशारा करती हैं कि आग लगी है तो धुआं भी उठ रहा है.

प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद शुरू हुई गठबंधन की चर्चा: आपको बता दें कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद अकाली बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. प्रकाश सिंह बादल के अंतिम दर्शन के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचे. बादल के भोग कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की शिरकत ने इन चर्चाओं को और तेज कर दिया है. जालंधर उपचुनाव के नतीजों के बाद दोनों पार्टियों ने अपना-अपना मंथन किया. पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच गठबंधन को लेकर कई तरह के समझौते हो रहे हैं.

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