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अकाल तख्त ने मिशनरियों पर सिखों का जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया - धर्मांतरण कराने का आरोप

काल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई मिशनरियों पर सीमावर्ती गांवों में सिख परिवारों के जबरन धर्मांतरण के लिए कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि निर्दोष सिखों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण सिख समुदाय के आंतरिक मामलों पर सीधा हमला है और यह असहनीय है.

मिशनरी
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Published : Oct 13, 2021, 7:11 PM IST

अमृतसर : अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई मिशनरियों पर सीमावर्ती गांवों में सिख परिवारों के जबरन धर्मांतरण के लिए कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया है. इस इल्ज़ाम का बिशप ऑफ डाइअसीस ऑफ अमृतसर ने खंडन किया है.

जत्थेदार ने आरोप लगाया कि सिख समुदाय के कई सदस्यों को धर्मांतरण के लिए पैसे का लालच दिया जा रहा है. अकाल तख्त के जत्थेदार ने आरोप लगाया, 'पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में सिख परिवारों और अनुसूचित जाति के सिखों के जबरन धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई मिशनरी बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चला रहे हैं. मिशनरी सीमावर्ती क्षेत्र के सिख परिवारों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने के लिए धन और हर संभव साधन का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'निर्दोष सिखों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण सिख समुदाय के आंतरिक मामलों पर सीधा हमला है और यह असहनीय है.' सिंह ने कहा कि इस संबंध में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को कई शिकायतें मिली हैं. उन्होंने कथित जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने पर जोर दिया.

सिंह ने कहा कि एसजीपीसी ने इसे गंभीरता से लिया है और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए हाल में 'घर घर अंदर धर्मशाला' शुरू की है. उन्होंने कहा, 'सिख प्रचारकों को पंजाब के सभी सीमावर्ती गांवों में जाकर ऐतिहासिक पुस्तकों और अन्य सामग्री सहित सिख धार्मिक पुस्तकों का मुफ्त में वितरित करने का काम सौंपा गया है. इसके अलावा, सीमावर्ती गांवों के सभी गुरुद्वारों को भी ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण मिशन का मुकाबला करने के लिए मदद दी जा रही है.'

बिशप ऑफ डाइअसीस ऑफ अमृतसर, नॉर्थ इंडिया चर्च, प्रदीप कुमार सामंतराय ने संपर्क करने पर इन दावों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया.

पढ़ें - जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ में शहीद सैनिकों को पंजाब में नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

उन्होंने कहा, 'यह बिल्कुल गलत और बेबुनियाद आरोप हैं. ईसाई कभी जबरन धर्मांतरण में विश्वास नहीं करते हैं, क्योंकि यह ईसाई धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है. हम आलोचना के प्रति खुले हैं, लेकिन मैं उनसे तथ्यों के साथ आने कहता हूं और यहां तक कि वे जबरन धर्मांतरण का एक भी उदाहरण लेकर आए हैं.'

उन्होंने कहा, 'अगर कुछ मिलता है तो मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या एनजीओ से कराई जानी चाहिए. हर धर्म को प्रचार करने का अधिकार है और सिख और गैर-सिख सहित कई लोग अपनी मर्जी से हमारे साथ शामिल होंगे, लेकिन हम उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर नहीं करते हैं या उनपर दबाव नहीं बनाते हैं.'

(पीटीआई-भाषा)

अमृतसर : अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई मिशनरियों पर सीमावर्ती गांवों में सिख परिवारों के जबरन धर्मांतरण के लिए कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया है. इस इल्ज़ाम का बिशप ऑफ डाइअसीस ऑफ अमृतसर ने खंडन किया है.

जत्थेदार ने आरोप लगाया कि सिख समुदाय के कई सदस्यों को धर्मांतरण के लिए पैसे का लालच दिया जा रहा है. अकाल तख्त के जत्थेदार ने आरोप लगाया, 'पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में सिख परिवारों और अनुसूचित जाति के सिखों के जबरन धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई मिशनरी बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चला रहे हैं. मिशनरी सीमावर्ती क्षेत्र के सिख परिवारों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने के लिए धन और हर संभव साधन का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'निर्दोष सिखों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण सिख समुदाय के आंतरिक मामलों पर सीधा हमला है और यह असहनीय है.' सिंह ने कहा कि इस संबंध में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को कई शिकायतें मिली हैं. उन्होंने कथित जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने पर जोर दिया.

सिंह ने कहा कि एसजीपीसी ने इसे गंभीरता से लिया है और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए हाल में 'घर घर अंदर धर्मशाला' शुरू की है. उन्होंने कहा, 'सिख प्रचारकों को पंजाब के सभी सीमावर्ती गांवों में जाकर ऐतिहासिक पुस्तकों और अन्य सामग्री सहित सिख धार्मिक पुस्तकों का मुफ्त में वितरित करने का काम सौंपा गया है. इसके अलावा, सीमावर्ती गांवों के सभी गुरुद्वारों को भी ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण मिशन का मुकाबला करने के लिए मदद दी जा रही है.'

बिशप ऑफ डाइअसीस ऑफ अमृतसर, नॉर्थ इंडिया चर्च, प्रदीप कुमार सामंतराय ने संपर्क करने पर इन दावों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया.

पढ़ें - जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ में शहीद सैनिकों को पंजाब में नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

उन्होंने कहा, 'यह बिल्कुल गलत और बेबुनियाद आरोप हैं. ईसाई कभी जबरन धर्मांतरण में विश्वास नहीं करते हैं, क्योंकि यह ईसाई धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है. हम आलोचना के प्रति खुले हैं, लेकिन मैं उनसे तथ्यों के साथ आने कहता हूं और यहां तक कि वे जबरन धर्मांतरण का एक भी उदाहरण लेकर आए हैं.'

उन्होंने कहा, 'अगर कुछ मिलता है तो मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या एनजीओ से कराई जानी चाहिए. हर धर्म को प्रचार करने का अधिकार है और सिख और गैर-सिख सहित कई लोग अपनी मर्जी से हमारे साथ शामिल होंगे, लेकिन हम उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर नहीं करते हैं या उनपर दबाव नहीं बनाते हैं.'

(पीटीआई-भाषा)

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