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एयर इंडिया विनिवेश: टाटा समूह, स्पाइसजेट के चेयरमैन आज लगा सकते हैं वित्तीय बोलियां

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Published : Sep 15, 2021, 1:14 PM IST

सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश के अंतिम चरण के लिए वित्तीय बोलियां लगाने की समय सीमा आज (15 सितंबर) समाप्त हो रही है. बोली लगाने वालों में टाटा समूह (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) शामिल हैं.

एयर इंडिया विनिवेश
एयर इंडिया विनिवेश

नई दिल्ली : सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश के अंतिम चरण के लिए वित्तीय बोलियां लगाने की समय सीमा आज (15 सितंबर) समाप्त हो रही है. बोली लगाने वालों में टाटा समूह (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) शामिल हैं. बोलियां जमा करने के बाद, कंपनी की बिक्री के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी की आवश्यकता होगी.

हालांकि मोदी सरकार द्वारा सरकारी विमानन को बेचने का यह दूसरा प्रयास है, 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की गई थी लेकिन उसे पहले दौर में ही कोई लाभ नहीं मिला था. फलस्वरूप अप्रैल में, सरकार ने वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी और बोली लगाने की समय सीमा 15 सितंबर तय की थी.

साथ ही सरकार का लक्ष्य इस साल दिसंबर तक बिक्री पूरी करना है क्योंकि बढ़ते राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए विनिवेश आय का एक प्रमुख स्रोत होगा. सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जो 2007 में घरेलू ऑपरेटर भारतीय एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है.

ये भी पढ़ें- सरकार ने एयर इंडिया की विशेष इकाई को संपत्तियों के स्थानांतरण पर टीडीएस और टीसीएस की छूट दी

सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जो 2007 में घरेलू ऑपरेटर भारतीय एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है. इस संबंध में एक सरकारी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया, हमें बहुत उम्मीद है कि इस बार एयर इंडिया को एक नया बोलीदाता मिलेगा. कोरोना महामारी के कारण हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में देरी हुई थी जिसकी वजह से सरकार ने प्रारंभिक बोलियां जमा करने की समय सीमा पांच गुना बढ़ा दी थी.

फिलहाल केंद्र एयरलाइन और इसकी कम लागत वाली सहायक एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहा है, जो प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करता है. सूत्रों के मुताबिक, कुल कर्ज बढ़कर करीब 43,000 करोड़ रुपये हो गया है और सरकार इस कर्ज को एयरलाइन के नए मालिकों को ट्रांसफर करने से पहले वहन करेगी.

नई दिल्ली : सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश के अंतिम चरण के लिए वित्तीय बोलियां लगाने की समय सीमा आज (15 सितंबर) समाप्त हो रही है. बोली लगाने वालों में टाटा समूह (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) शामिल हैं. बोलियां जमा करने के बाद, कंपनी की बिक्री के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी की आवश्यकता होगी.

हालांकि मोदी सरकार द्वारा सरकारी विमानन को बेचने का यह दूसरा प्रयास है, 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की गई थी लेकिन उसे पहले दौर में ही कोई लाभ नहीं मिला था. फलस्वरूप अप्रैल में, सरकार ने वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी और बोली लगाने की समय सीमा 15 सितंबर तय की थी.

साथ ही सरकार का लक्ष्य इस साल दिसंबर तक बिक्री पूरी करना है क्योंकि बढ़ते राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए विनिवेश आय का एक प्रमुख स्रोत होगा. सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जो 2007 में घरेलू ऑपरेटर भारतीय एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है.

ये भी पढ़ें- सरकार ने एयर इंडिया की विशेष इकाई को संपत्तियों के स्थानांतरण पर टीडीएस और टीसीएस की छूट दी

सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जो 2007 में घरेलू ऑपरेटर भारतीय एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है. इस संबंध में एक सरकारी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया, हमें बहुत उम्मीद है कि इस बार एयर इंडिया को एक नया बोलीदाता मिलेगा. कोरोना महामारी के कारण हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में देरी हुई थी जिसकी वजह से सरकार ने प्रारंभिक बोलियां जमा करने की समय सीमा पांच गुना बढ़ा दी थी.

फिलहाल केंद्र एयरलाइन और इसकी कम लागत वाली सहायक एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहा है, जो प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करता है. सूत्रों के मुताबिक, कुल कर्ज बढ़कर करीब 43,000 करोड़ रुपये हो गया है और सरकार इस कर्ज को एयरलाइन के नए मालिकों को ट्रांसफर करने से पहले वहन करेगी.

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