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मुख्तार अंसारी को मायावती का 'रेड' सिग्नल, ओवैसी ने दी 'हरी झंडी'

बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती (Mayawati) के मुख्तार अंसारी को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने से इनकार करने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM ) ने अंसारी को टिकट देने की पेशकश की है.

मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी
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Published : Sep 10, 2021, 3:35 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 3:48 PM IST

लखनऊ : यूपी में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव 2022 से पहले बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती (Mayawati) ने मुख्तार अंसारी को पार्टी से टिकट ना देने का एलान किया है. मायावती की इस घोषणा के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM )ने बाहुबली नेता को टिकट देने की घोषणा की है.

मीडिया रिपोर्टों को मुताबिक AIMIM के यूपी अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि अगर मुख्तार अंसारी हमारी पार्टी में शामिल होते हैं, तो हम आगामी यूपी चुनाव में उन्हें टिकट देंगे. उन्होंने कहा कि सभी मुसलमान शोषित वंचित समाज का हिस्सा हैं ,जिनपर गलत तरीके से कार्रवाई हो रही है.

इससे पहले BSP की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती ने मुख्तार अंसारी को पार्टी से टिकट ना देने और मऊ सीट से भीम राजभर को यूपी विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि 'बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली और माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए.

इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मंडल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.

मायावती ने आगे कहा कि जनता की कसौटी और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो.

पढ़ें - मायावती का एलान- किसी माफिया को नहीं उतारेंगे, मुख्तार अंसारी का काटा टिकट

इतना ही नहीं चुनाव से पहले ही मुख्तार को बीएसपी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है.

मायावती की पार्टी ने मुख्तार को बीएसपी से आउट करने की रणनीति इसलिए बनाई है, ताकि योगी सरकार द्वारा इन दिनों माफियाओं-बाहुबलियों और दूसरे अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे आपरेशनों को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाते हुए उस पर दागियों को बढ़ावा देने का सियासी हमला न बोल सके.

मऊ से पांच बार विधायक

बता कि अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वहीं, उनके नाना महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार थे. उनके पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट नेता थे. मुखतार पांच बार मऊ विधानसभा से विधायक हैं. वह पहली बार 2002 में यहां से विधायक बने थे. उसके बाद वह 2007,2012 और 2017 में भी मऊ विधानसभा सीट से जीत विधायक बने. मुख्तार के दूसरे भाई अफजल अंसारी गाजीपुर सीट से बसपा सांसद हैं और उन्होंने भाजपा के मनोज सिन्हा को चुनाव में हराया था.

कौमी एकता दल का किया था गठन

उल्लेखनीय है कि अंसारी ने आखिरी की तीन चुनावों में देश की अलग- अलग जेलों में रहकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई के साथ कौमी एकता दल का भी गठन किया, हालांकि बाद में उनकी पार्टी का सपा के साथ विलय हो गया.

लखनऊ : यूपी में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव 2022 से पहले बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती (Mayawati) ने मुख्तार अंसारी को पार्टी से टिकट ना देने का एलान किया है. मायावती की इस घोषणा के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM )ने बाहुबली नेता को टिकट देने की घोषणा की है.

मीडिया रिपोर्टों को मुताबिक AIMIM के यूपी अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि अगर मुख्तार अंसारी हमारी पार्टी में शामिल होते हैं, तो हम आगामी यूपी चुनाव में उन्हें टिकट देंगे. उन्होंने कहा कि सभी मुसलमान शोषित वंचित समाज का हिस्सा हैं ,जिनपर गलत तरीके से कार्रवाई हो रही है.

इससे पहले BSP की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती ने मुख्तार अंसारी को पार्टी से टिकट ना देने और मऊ सीट से भीम राजभर को यूपी विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि 'बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली और माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए.

इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मंडल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.

मायावती ने आगे कहा कि जनता की कसौटी और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो.

पढ़ें - मायावती का एलान- किसी माफिया को नहीं उतारेंगे, मुख्तार अंसारी का काटा टिकट

इतना ही नहीं चुनाव से पहले ही मुख्तार को बीएसपी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है.

मायावती की पार्टी ने मुख्तार को बीएसपी से आउट करने की रणनीति इसलिए बनाई है, ताकि योगी सरकार द्वारा इन दिनों माफियाओं-बाहुबलियों और दूसरे अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे आपरेशनों को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाते हुए उस पर दागियों को बढ़ावा देने का सियासी हमला न बोल सके.

मऊ से पांच बार विधायक

बता कि अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वहीं, उनके नाना महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार थे. उनके पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट नेता थे. मुखतार पांच बार मऊ विधानसभा से विधायक हैं. वह पहली बार 2002 में यहां से विधायक बने थे. उसके बाद वह 2007,2012 और 2017 में भी मऊ विधानसभा सीट से जीत विधायक बने. मुख्तार के दूसरे भाई अफजल अंसारी गाजीपुर सीट से बसपा सांसद हैं और उन्होंने भाजपा के मनोज सिन्हा को चुनाव में हराया था.

कौमी एकता दल का किया था गठन

उल्लेखनीय है कि अंसारी ने आखिरी की तीन चुनावों में देश की अलग- अलग जेलों में रहकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई के साथ कौमी एकता दल का भी गठन किया, हालांकि बाद में उनकी पार्टी का सपा के साथ विलय हो गया.

Last Updated : Sep 10, 2021, 3:48 PM IST
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