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कोरोना काल में स्क्रब टाइफस का सता रहा डर, जानें इसके लक्षण व बचाव

बरसात के मौसम में वायरल फीवर आम बात होती है, लेकिन यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि कोरोना काल चल रहा है. ऐसे में किसी भी बुखार को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है. इसी बीच एक रहस्यमयी बुखार का डर भी बना हुआ है. क्या है यह बुखार, इसकी जानकारी देने के लिये एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

डॉक्टर नीरज निश्चल
डॉक्टर नीरज निश्चल
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Published : Sep 7, 2021, 8:40 PM IST

नई दिल्ली : बुखार कई बीमारियों का एक गंभीर लक्षण है, लेकिन मौजूदा समय में अलग-अलग तरीके से बुखार लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. कोरोना वायरस, डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल के अलावा इन दिनों रहस्यमयी बुखार का डर बना हुआ है. इस बुखार को स्क्रब टाइफस (scrub typhus) भी कहा जा रहा है. यह कौन सा बुखार है? और किस कारण से यह होता है? दिल्ली में इस बुखार को लेकर कितना खतरा है? इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के वरिष्ठ डॉक्टर नीरज निश्चल से खास बातचीत की.

एम्स अस्पताल (AIIMS hospital) में इंटरनल मेडिसिन विभाग (Internal Medicine Department) के हेड डॉक्टर नीरज निश्चल (Dr. Niraj Nischal) ने बताया कि बुखार कई गंभीर बीमारियों का लक्षण है. मौजूदा समय में कोरोना से पिछले करीब दो सालों से जूझ रहे हैं. उसमें अहम लक्षण बुखार है. वहीं, मानसून के सीजन में मच्छरों के काटने के बाद डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि बीमारियों का भी अहम लक्षण बुखार ही है. इसके साथ ही गंदा पानी पीने के बाद होने वाली टाइफाइड बीमारी में भी बुखार अहम लक्षण देखने को मिलता है.

डॉक्टर नीरज निश्चल से ईटीवी भारत की बातचीत

डॉक्टर निश्चल ने बताया कि इस मौसम में स्क्रब टाइफस नाम का भी एक बुखार काफी देखने को मिलता है. हालांकि, इसका खतरा पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है. अब देखा जा रहा है कि यह बुखार मैदानी इलाकों में भी फैल रहा है. डॉक्टर ने कहा कि यह बीमारी नई नहीं है. यह फीवर (माइट) कीड़े के काटने से फैलता है, जो अधिकतर पहाड़ी इलाकों के झाड़ियों में पाया जाता है. इस मौसम में झाड़ियों वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए. यदि पहाड़ी वाले इलाकों में जा रहे हैं, तो शरीर को अच्छे से ढककर जाएं.

पढ़ें : भारत में अब तक कोविड टीकों की 70 करोड़ से अधिक खुराक लगाई गईं : सरकार

डॉक्टर निश्चल ने बताया कि अलग-अलग बीमारियों का महत्वपूर्ण लक्षण बुखार देखने को मिलता है. इसका पता लगाने के लिए जांच बेहद आवश्यक है. बुखार लगातार आ रहा है, तो कोरोना टेस्ट करवाएं. कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी एंटीबायोटिक न लें. कई बार बुखार खुद ठीक हो जाता है. एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन लोग मर्जी से एंटीबायोटिक ले लेते हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी टेस्ट करवा लेते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है.

डॉक्टर नीरज निश्चल ने बताया कि काफी लंबे समय से स्कूल बंद थे. छात्र घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे. ऐसे में छात्रहित का ध्यान रखते हुए स्कूलों को खोला गया है. इस दौरान किसी भी तरीके की लापरवाही न बरती जाए. अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि यदि बच्चों को बुखार, खांसी या कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उन्हें स्कूल न भेजें. स्कूल स्टाफ और टीचर भी इस चीज का ध्यान रखें कि तबीयत खराब होने पर स्कूल न आएं और वैक्सीन जरूर लगवाएं.

नई दिल्ली : बुखार कई बीमारियों का एक गंभीर लक्षण है, लेकिन मौजूदा समय में अलग-अलग तरीके से बुखार लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. कोरोना वायरस, डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल के अलावा इन दिनों रहस्यमयी बुखार का डर बना हुआ है. इस बुखार को स्क्रब टाइफस (scrub typhus) भी कहा जा रहा है. यह कौन सा बुखार है? और किस कारण से यह होता है? दिल्ली में इस बुखार को लेकर कितना खतरा है? इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के वरिष्ठ डॉक्टर नीरज निश्चल से खास बातचीत की.

एम्स अस्पताल (AIIMS hospital) में इंटरनल मेडिसिन विभाग (Internal Medicine Department) के हेड डॉक्टर नीरज निश्चल (Dr. Niraj Nischal) ने बताया कि बुखार कई गंभीर बीमारियों का लक्षण है. मौजूदा समय में कोरोना से पिछले करीब दो सालों से जूझ रहे हैं. उसमें अहम लक्षण बुखार है. वहीं, मानसून के सीजन में मच्छरों के काटने के बाद डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि बीमारियों का भी अहम लक्षण बुखार ही है. इसके साथ ही गंदा पानी पीने के बाद होने वाली टाइफाइड बीमारी में भी बुखार अहम लक्षण देखने को मिलता है.

डॉक्टर नीरज निश्चल से ईटीवी भारत की बातचीत

डॉक्टर निश्चल ने बताया कि इस मौसम में स्क्रब टाइफस नाम का भी एक बुखार काफी देखने को मिलता है. हालांकि, इसका खतरा पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है. अब देखा जा रहा है कि यह बुखार मैदानी इलाकों में भी फैल रहा है. डॉक्टर ने कहा कि यह बीमारी नई नहीं है. यह फीवर (माइट) कीड़े के काटने से फैलता है, जो अधिकतर पहाड़ी इलाकों के झाड़ियों में पाया जाता है. इस मौसम में झाड़ियों वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए. यदि पहाड़ी वाले इलाकों में जा रहे हैं, तो शरीर को अच्छे से ढककर जाएं.

पढ़ें : भारत में अब तक कोविड टीकों की 70 करोड़ से अधिक खुराक लगाई गईं : सरकार

डॉक्टर निश्चल ने बताया कि अलग-अलग बीमारियों का महत्वपूर्ण लक्षण बुखार देखने को मिलता है. इसका पता लगाने के लिए जांच बेहद आवश्यक है. बुखार लगातार आ रहा है, तो कोरोना टेस्ट करवाएं. कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी एंटीबायोटिक न लें. कई बार बुखार खुद ठीक हो जाता है. एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन लोग मर्जी से एंटीबायोटिक ले लेते हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी टेस्ट करवा लेते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है.

डॉक्टर नीरज निश्चल ने बताया कि काफी लंबे समय से स्कूल बंद थे. छात्र घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे. ऐसे में छात्रहित का ध्यान रखते हुए स्कूलों को खोला गया है. इस दौरान किसी भी तरीके की लापरवाही न बरती जाए. अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि यदि बच्चों को बुखार, खांसी या कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उन्हें स्कूल न भेजें. स्कूल स्टाफ और टीचर भी इस चीज का ध्यान रखें कि तबीयत खराब होने पर स्कूल न आएं और वैक्सीन जरूर लगवाएं.

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