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अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चलाया गया व्यापक तलाशी अभियान

जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में सीमा पार सुरंगों का पता लगाने और अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) के दौरान आतंकवादियों की घुसपैठ के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया. बता दें कि 43 दिवसीय अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू हो रही है.

Amarnath Yatra search operation international border
अमरनाथ यात्रा अंतरराष्ट्रीय सीमा तलाशी अभियान
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Published : Jun 25, 2022, 10:59 PM IST

जम्मू: सुरक्षा बलों ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में सीमा पार सुरंगों का पता लगाने और अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सांबा, कठुआ और जम्मू के जिलों के सीमावर्ती गांवों में संयुक्त रूप से तलाशी अभियान चलाया.

कोविड-19 महामारी के कारण दो साल बाद 43 दिवसीय अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू हो रही है. यह यात्रा दो मार्गों - दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में नुनवान के पारंपरिक 48 किलोमीटर और मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल से 14 किलोमीटर छोटे मार्ग - से शुरू होगी. सांबा के पुलिस उपाधीक्षक (अभियान) जी आर भारद्वाज ने कहा, 'विभिन्न खुफिया सूचनाओं से पता चलता है कि आतंकवादी यात्रा को बाधित करने के लिए सीमा पार से घुसपैठ करने की साजिश रच रहे हैं.'

अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चलाया गया तलाशी अभियान

संयुक्त तलाशी अभियान का नेतृत्व कर रहे भारद्वाज ने कहा कि सुचेतगढ़ सीमा से रीगल तक लगभग आठ किलोमीटर के क्षेत्र में संयुक्त बलों द्वारा किसी भी संभावित सीमा पार सुरंग का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. संभव है कि घुसपैठ के लिए आतंकवादियों द्वारा सीमा पार से सुरंग खोदी गई हो. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने अभियान के दौरान आम तौर पर इस्तेमाल नहीं होने वाले सभी इलाकों में तलाशी ली, जो आगामी यात्रा के लिए किए गए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम का हिस्सा है.

भारद्वाज ने कहा, 'हम खतरे के प्रति सतर्क हैं और यात्रा को बाधित करने के आतंकवादियों के किसी भी मंसूबे को विफल करने के लिए इलाके में गश्त, तलाशी अभियान और रात की चौकसी बढ़ा दी गई है.' उन्होंने कहा कि सीमा और राजमार्ग ग्रिड को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त चौकियां भी स्थापित की गई हैं. अधिकारियों ने कहा कि जम्मू जिले के आरएस पुरा सेक्टर और कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में भी किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के लिए तलाशी ली गई.

वहीं थलसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी कि इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को अधिक खतरा होने की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा बलों ने सुरक्षा की अभूतपूर्व व्यवस्था की है. अधिकारी ने बताया कि यात्रा के दौरान आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने की विश्वसनीय सूचना मिलने के मद्देनजर इस बार पहले से तीन से चार गुना अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जा रही है. उन्होंने कहा, 'इस साल अमरनाथ यात्रा को खतरा अधिक है. आमतौर पर हमें हर साल यात्रा को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जा सकने की सूचना मिलती है, लेकिन इस बार ऐसी जानकारी अधिक है.'

अधिकारी ने बताया कि प्रशासन को इस बार श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रहने की उम्मीद है क्योंकि गत चार साल में यह पहली यात्रा हो रही है. उन्होंने बताया कि इससे पहले वर्ष 2019 में अमरनाथ यात्रा केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने की वजह से बीच में ही रोक दी गई थी जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से यात्रा स्थगित कर दी गई थी. उन्होंने बताया कि इन तथ्यों पर भी गौर करने के बाद सुरक्षा तैयारियां की जा रही हैं. अधिकारी ने कहा कि, 'हमें उम्मीद है कि यात्रियों की संख्या दो से तीन गुना तक अधिक होगी. इसके मद्देनजर सारी तैयारियां की गई हैं. यात्रा को सुचारु तरीके से संपन्न कराने के लिए जमीन पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती पूर्व के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक की गई है.'

अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा, हाल के दिनों में आतंकवादियों द्वारा की गई लक्षित हत्याओं की पृष्ठभूमि में भी बढ़ाई गई है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है. अधिकारी ने कहा कि प्रशासन द्वारा सुरक्षित यात्रा संपन्न कराने की तमाम कोशिशों के बावजूद हम नहीं कह सकते हैं कि हमने यात्रा को शत प्रतिशत सुरक्षित बना दिया है. उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी के साथ-साथ आरएफआईडी चिप भी श्रद्धालुओं की त्री स्तरीय सुरक्षा का हिस्सा होगा.

उल्लेखनीय है कि कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने 14 जून को बताया था कि लश्कर ए तैयबा के मारे गए तीन आतंकवादियों को पाकिस्तान से वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर हमला करने के लिए भेजा गया था. उन्होंने बताया कि मारे गए तीन आतंकवादियों में दो पाकिस्तानी और एक स्थानीय आतंकी था. गौरतलब है कि 10 जुलाई 2017 को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस को आतंकवादियों ने निशाना बनाया था जिसमें सात लोग मारे गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे. इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू होगी और 11 अगस्त को संपन्न होगी.

यह भी पढ़ें-अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले पहलगाम में मॉक ड्रिल का आयोजन

बता दें कि पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से आने वाले कई ड्रोन को मार गिराया. वहीं कई जगहों पर स्टिकी बम के साथ कई आईईडी एवं टीफिन बम भी बरामद किए गए. सूत्रों की मानें तो सुरक्षा एजेंसियां स्टिकी बम को एक बड़े खतरे के रूप में देख रही हैं. इसके मद्देनजर स्टिकी बम को लेकर सुरक्षाबलों के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है. वहीं लश्कर और जैश के टेररिस्ट कैंप के एक्टिवेट होने के साथ 300 से भी अधिक आतंकियों के सीमा पार करने की कोशिश करने के भी इनपुट मिले हैं जिसके लिए सेना और सुरक्षा बलों को अवगत कराकर हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने को कहा गया है.

जम्मू: सुरक्षा बलों ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में सीमा पार सुरंगों का पता लगाने और अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सांबा, कठुआ और जम्मू के जिलों के सीमावर्ती गांवों में संयुक्त रूप से तलाशी अभियान चलाया.

कोविड-19 महामारी के कारण दो साल बाद 43 दिवसीय अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू हो रही है. यह यात्रा दो मार्गों - दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में नुनवान के पारंपरिक 48 किलोमीटर और मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल से 14 किलोमीटर छोटे मार्ग - से शुरू होगी. सांबा के पुलिस उपाधीक्षक (अभियान) जी आर भारद्वाज ने कहा, 'विभिन्न खुफिया सूचनाओं से पता चलता है कि आतंकवादी यात्रा को बाधित करने के लिए सीमा पार से घुसपैठ करने की साजिश रच रहे हैं.'

अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चलाया गया तलाशी अभियान

संयुक्त तलाशी अभियान का नेतृत्व कर रहे भारद्वाज ने कहा कि सुचेतगढ़ सीमा से रीगल तक लगभग आठ किलोमीटर के क्षेत्र में संयुक्त बलों द्वारा किसी भी संभावित सीमा पार सुरंग का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. संभव है कि घुसपैठ के लिए आतंकवादियों द्वारा सीमा पार से सुरंग खोदी गई हो. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने अभियान के दौरान आम तौर पर इस्तेमाल नहीं होने वाले सभी इलाकों में तलाशी ली, जो आगामी यात्रा के लिए किए गए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम का हिस्सा है.

भारद्वाज ने कहा, 'हम खतरे के प्रति सतर्क हैं और यात्रा को बाधित करने के आतंकवादियों के किसी भी मंसूबे को विफल करने के लिए इलाके में गश्त, तलाशी अभियान और रात की चौकसी बढ़ा दी गई है.' उन्होंने कहा कि सीमा और राजमार्ग ग्रिड को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त चौकियां भी स्थापित की गई हैं. अधिकारियों ने कहा कि जम्मू जिले के आरएस पुरा सेक्टर और कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में भी किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के लिए तलाशी ली गई.

वहीं थलसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी कि इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को अधिक खतरा होने की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा बलों ने सुरक्षा की अभूतपूर्व व्यवस्था की है. अधिकारी ने बताया कि यात्रा के दौरान आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने की विश्वसनीय सूचना मिलने के मद्देनजर इस बार पहले से तीन से चार गुना अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जा रही है. उन्होंने कहा, 'इस साल अमरनाथ यात्रा को खतरा अधिक है. आमतौर पर हमें हर साल यात्रा को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जा सकने की सूचना मिलती है, लेकिन इस बार ऐसी जानकारी अधिक है.'

अधिकारी ने बताया कि प्रशासन को इस बार श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रहने की उम्मीद है क्योंकि गत चार साल में यह पहली यात्रा हो रही है. उन्होंने बताया कि इससे पहले वर्ष 2019 में अमरनाथ यात्रा केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने की वजह से बीच में ही रोक दी गई थी जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से यात्रा स्थगित कर दी गई थी. उन्होंने बताया कि इन तथ्यों पर भी गौर करने के बाद सुरक्षा तैयारियां की जा रही हैं. अधिकारी ने कहा कि, 'हमें उम्मीद है कि यात्रियों की संख्या दो से तीन गुना तक अधिक होगी. इसके मद्देनजर सारी तैयारियां की गई हैं. यात्रा को सुचारु तरीके से संपन्न कराने के लिए जमीन पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती पूर्व के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक की गई है.'

अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा, हाल के दिनों में आतंकवादियों द्वारा की गई लक्षित हत्याओं की पृष्ठभूमि में भी बढ़ाई गई है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है. अधिकारी ने कहा कि प्रशासन द्वारा सुरक्षित यात्रा संपन्न कराने की तमाम कोशिशों के बावजूद हम नहीं कह सकते हैं कि हमने यात्रा को शत प्रतिशत सुरक्षित बना दिया है. उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी के साथ-साथ आरएफआईडी चिप भी श्रद्धालुओं की त्री स्तरीय सुरक्षा का हिस्सा होगा.

उल्लेखनीय है कि कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने 14 जून को बताया था कि लश्कर ए तैयबा के मारे गए तीन आतंकवादियों को पाकिस्तान से वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर हमला करने के लिए भेजा गया था. उन्होंने बताया कि मारे गए तीन आतंकवादियों में दो पाकिस्तानी और एक स्थानीय आतंकी था. गौरतलब है कि 10 जुलाई 2017 को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस को आतंकवादियों ने निशाना बनाया था जिसमें सात लोग मारे गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे. इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू होगी और 11 अगस्त को संपन्न होगी.

यह भी पढ़ें-अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले पहलगाम में मॉक ड्रिल का आयोजन

बता दें कि पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से आने वाले कई ड्रोन को मार गिराया. वहीं कई जगहों पर स्टिकी बम के साथ कई आईईडी एवं टीफिन बम भी बरामद किए गए. सूत्रों की मानें तो सुरक्षा एजेंसियां स्टिकी बम को एक बड़े खतरे के रूप में देख रही हैं. इसके मद्देनजर स्टिकी बम को लेकर सुरक्षाबलों के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है. वहीं लश्कर और जैश के टेररिस्ट कैंप के एक्टिवेट होने के साथ 300 से भी अधिक आतंकियों के सीमा पार करने की कोशिश करने के भी इनपुट मिले हैं जिसके लिए सेना और सुरक्षा बलों को अवगत कराकर हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने को कहा गया है.

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