नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता सौहार्दपूर्ण रही. उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों पर चर्चा हुई. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन पर विस्तृत चर्चा हुई.
तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के साथ वार्ता के दौरान उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई. उन्होंने कहा कि 9वें दौर की वार्ता के दौरान चर्चा निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच सकी, ऐसे में दोनों पक्षों ने तय किया कि 19 जनवरी को दोबारा वार्ता करेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि सर्वोच्च न्यायालय गठित समिति के समक्ष सरकार अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी.
उन्होंने आगे कहा कि किसान सर्दी में बैठे हुए हैं, कोरोना का भी संकट है. इसलिए हमारी कोशिश है कि वार्ता के माध्यम से रास्ता निकले और किसान आंदोलन समाप्त हो. सरकार खुले मन और बड़प्पन से लगातार चर्चा कर रही है.आशा है हम समाधान के लिए बड़ सकेंगे.
सरकार ने कहा है कि किसान संगठन एक अनौपचारिक समूह बना सकते हैं. किसान इस पर मसौदा बना कर दे, तो सरकार खुले मन से चर्चा के लिए तैयार है. कृषिमंत्री ने कहा कि किसानों के साथ अलग-अलग दौर में हुई वार्ता के दौरान शंकाओं की पहचान कर सरकार ने अपना मत व्यक्त करने के अलावा लिखित प्रस्ताव भी दिया है. फिलहाल किसान संगठनों ने प्रस्ताव खारिज कर दिया, इस कारण वार्ता चल रही है.
उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठन राज्यों के किसान हमारे समर्थन में हमले बात कर रहे हैं और सरकार भी उन्हें किसानों के प्रतिनिधि मानकर बात कर रही है.
इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी के बयानों और कार्यों पर कांग्रेस पार्टी खुद हंसती है, उनका मजाक उड़ाती है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में, कांग्रेस ने वादा किया था कि वे कृषि कानून में सुधार लाएंगे. अगर उसे याद नहीं है, तो उसे फिर से घोषणापत्र पढ़ना चाहिए.
अगर घोषणा पत्र में इसका उल्लेख है, तो राहुल गांधी और सोनिया गांधी को मीडिया के सामने आना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि वे उस समय झूठ बोल रहे थे या अब झूठ बोल रहे हैं.
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वहीं, वार्ता के बाद ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए भारतीय किसान युनियन(टिकैत) के राष्ट्रीय महामंत्री युद्धवीर सिंह ने कहा कि आज भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार रहा. सरकार की तरफ से प्रस्ताव था कि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के लागू करने पर फिलहाल रोक लगा दी है, तो किसान नेता अब बिंदुवार तरीके से चर्चा करें कि उन्हें इन कानूनों से क्या समस्या है, लेकिन किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा कि उनकी सीधी मांग है कि ये कानून रद्द किये जाएं और इसके अलावा वह किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं करेंगे.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसान नेताओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के हटाये जाने पर विस्तार से चर्चा कर समझाना चाहा कि आज के परिपेक्ष्य में इस कानून का न होना ही लाभकारी होगा, लेकिन किसान नेताओं ने इस पर अपनी सहमति नहीं जताते हुए कहा कि यह कालाबाजारी को जन्म देगा और अंततः किसानों और उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.