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'किसान संसद' को 'निरर्थक' कहकर कृषि मंत्री ने हमारा मजाक उड़ाया : युद्धवीर सिंह - युद्धवीर सिंह

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की संसद को 'निरर्थक' कहकर किसानों का मजाक उड़ाया गया है. उन्होंने कहा कि उन्हें याद रहना चाहिए कि एक दिन समय आएगा जब वह खुद उपहास के पात्र बन जाएंगे. पढ़िए ईटीवी संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट...

युद्धवीर सिंह
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Published : Aug 2, 2021, 9:24 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की संसद को 'निरर्थक' कहकर किसानों का मजाक उड़ाया गया है. उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि इस संसद में वही लोग हैं जो देश की संसद में प्रतिनिधि भेजते हैं. ये देश की सरकार को बदलने की ताकत रखते हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री जो खुद ग्रामीण परिवेश से आते हैं पर दिल्ली शहर की चकाचौंध में आकर उनका संतुलन बिगड़ गया है. सरकार को समझना चाहिए कि वह सर्वोच्च नहीं हैं, बल्कि उन्हें सिर्फ एक जनादेश मिला है कि वह देश की सेवा करे. आज यदि वह किसानों का उपहास कर रहे हैं तो उन्हें याद रहना चाहिए कि एक दिन समय आएगा जब वह खुद उपहास के पात्र बन जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

उक्त बातें भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहीं. उन्होंने कहा कि 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन और 22 जुलाई से लगातार दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रही किसानों की संसद को केंद्रीय कृषि निरर्थक बता रहे हैं. किसान संसद और आंदोलन से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि देश की एक ही संसद होती है जिसका सत्र अभी चल रहा है. इसके अलावा किसान संसद निरर्थक है. वह लगातार किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़ बातचीत से मामले का निपटारा करने की बात कहते रहे हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलनरत किसान मोर्चा के अलावा सभी किसान नेताओं ने कृषि मंत्री के बयान की आलोचना की है. उन्होंने इसे सरकार की खीझ बताया.

ये भी पढ़ें- 'किसान संसद' को लेकर सिंघु बॉर्डर और जंतर मंतर पर कड़ी सुरक्षा

भाकियू नेता युद्धवीर सिंह ने किसान संसद को देश की सर्वोच्च संसद बताते हुए कहा कि अभी लोकसभा चुनाव में समय है, शायद इसलिए मंत्री इस तरह की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने आप को निरंकुश मान लिया था, उन्हें लगता है कि जो निर्णय उन्होंने कर दिया वही अंतिम है. यदि उनके निर्णय के विरुद्ध कोई आवाज उठाता है तो उनका रवैया दुर्भावनापूर्ण हो जाता है. यही वजह है कि सरकार तीन कृषि कानूनों का विरोध हजम नहीं कर पा रही है.

हालांकि 26 जनवरी की घटना के बाद अब 15 अगस्त पर सबकी नजर है. हरियाणा में भाजपा ने तिरंगा यात्रा की शुरुआत कर दी है जिसमें उनके तमाम नेता, कार्यकर्ता और मंत्री भी शामिल होंगे. हरियाणा और पंजाब में जगह-जगह भाजपा और उनके समर्थक दलों के साथ आंदोलनकारी किसानों की झड़प भी देखी गई हैं. ऐसे में भाजपा की तिरंगा यात्रा के दौरान यदि किसान आंदोलनकारियों की तरफ से कोई भी टकराव जैसी स्थिति होती है तो एक बार फिर आंदोलन की बदनामी हो सकती है.

युद्धवीर सिंह ने कहा कि किसान मोर्चा इसको लेकर सतर्क है. इसको लेकर लगातार किसान नेता अपने समर्थकों से संवाद करने के साथ ही उनसे अपील कर रहे हैं कि वह तिरंगा यात्रा के दौरान किसी तरह का हस्तक्षेप न करें. हालांकि मोर्चा के द्वारा घोषित बाकी कार्यक्रम सामान्य रूप से चलते रहेंगे. युद्धवीर सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि किसानों के कारण ही सही भाजपा वालों को तिरंगे के सम्मान का ध्यान तो मन में आया. आरएसएस ने पांच दशक तक अपने कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं फहराया, आज उनके संगठन से निकली पार्टी एक रणनीति के तहत तिरंगा यात्रा निकाल रही है.

आम तौर पर देखा गया है कि जब भी किसान मोर्चा और सरकार के बीच स्थिति शांतिपूर्ण रहती है तब या तो किसान नेताओं या फिर किसी मंत्री की तरफ से कुछ ऐसे बयान सामने आते हैं और एक बार फिर दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति कायम हो जाती है.

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की संसद को 'निरर्थक' कहकर किसानों का मजाक उड़ाया गया है. उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि इस संसद में वही लोग हैं जो देश की संसद में प्रतिनिधि भेजते हैं. ये देश की सरकार को बदलने की ताकत रखते हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री जो खुद ग्रामीण परिवेश से आते हैं पर दिल्ली शहर की चकाचौंध में आकर उनका संतुलन बिगड़ गया है. सरकार को समझना चाहिए कि वह सर्वोच्च नहीं हैं, बल्कि उन्हें सिर्फ एक जनादेश मिला है कि वह देश की सेवा करे. आज यदि वह किसानों का उपहास कर रहे हैं तो उन्हें याद रहना चाहिए कि एक दिन समय आएगा जब वह खुद उपहास के पात्र बन जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

उक्त बातें भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहीं. उन्होंने कहा कि 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन और 22 जुलाई से लगातार दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रही किसानों की संसद को केंद्रीय कृषि निरर्थक बता रहे हैं. किसान संसद और आंदोलन से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि देश की एक ही संसद होती है जिसका सत्र अभी चल रहा है. इसके अलावा किसान संसद निरर्थक है. वह लगातार किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़ बातचीत से मामले का निपटारा करने की बात कहते रहे हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलनरत किसान मोर्चा के अलावा सभी किसान नेताओं ने कृषि मंत्री के बयान की आलोचना की है. उन्होंने इसे सरकार की खीझ बताया.

ये भी पढ़ें- 'किसान संसद' को लेकर सिंघु बॉर्डर और जंतर मंतर पर कड़ी सुरक्षा

भाकियू नेता युद्धवीर सिंह ने किसान संसद को देश की सर्वोच्च संसद बताते हुए कहा कि अभी लोकसभा चुनाव में समय है, शायद इसलिए मंत्री इस तरह की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने आप को निरंकुश मान लिया था, उन्हें लगता है कि जो निर्णय उन्होंने कर दिया वही अंतिम है. यदि उनके निर्णय के विरुद्ध कोई आवाज उठाता है तो उनका रवैया दुर्भावनापूर्ण हो जाता है. यही वजह है कि सरकार तीन कृषि कानूनों का विरोध हजम नहीं कर पा रही है.

हालांकि 26 जनवरी की घटना के बाद अब 15 अगस्त पर सबकी नजर है. हरियाणा में भाजपा ने तिरंगा यात्रा की शुरुआत कर दी है जिसमें उनके तमाम नेता, कार्यकर्ता और मंत्री भी शामिल होंगे. हरियाणा और पंजाब में जगह-जगह भाजपा और उनके समर्थक दलों के साथ आंदोलनकारी किसानों की झड़प भी देखी गई हैं. ऐसे में भाजपा की तिरंगा यात्रा के दौरान यदि किसान आंदोलनकारियों की तरफ से कोई भी टकराव जैसी स्थिति होती है तो एक बार फिर आंदोलन की बदनामी हो सकती है.

युद्धवीर सिंह ने कहा कि किसान मोर्चा इसको लेकर सतर्क है. इसको लेकर लगातार किसान नेता अपने समर्थकों से संवाद करने के साथ ही उनसे अपील कर रहे हैं कि वह तिरंगा यात्रा के दौरान किसी तरह का हस्तक्षेप न करें. हालांकि मोर्चा के द्वारा घोषित बाकी कार्यक्रम सामान्य रूप से चलते रहेंगे. युद्धवीर सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि किसानों के कारण ही सही भाजपा वालों को तिरंगे के सम्मान का ध्यान तो मन में आया. आरएसएस ने पांच दशक तक अपने कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं फहराया, आज उनके संगठन से निकली पार्टी एक रणनीति के तहत तिरंगा यात्रा निकाल रही है.

आम तौर पर देखा गया है कि जब भी किसान मोर्चा और सरकार के बीच स्थिति शांतिपूर्ण रहती है तब या तो किसान नेताओं या फिर किसी मंत्री की तरफ से कुछ ऐसे बयान सामने आते हैं और एक बार फिर दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति कायम हो जाती है.

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