चेन्नई: भारत सरकार अंतरिक्ष उद्योग में निजी भागीदारी को बढ़ावा दे रही है. इसका लाभ भी अब नजर आ रहा है. इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम के तौर पर चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस सितंबर में अग्निबाण ('एरो ऑफ फायर') का परीक्षण के साथ अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाला देश की पहली निजी संस्था बन जायेगी.
रॉकेट को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में स्थापित लॉन्चपैड पर तैनात किया गया है. अग्निबाण की निगरानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कर रहा है. आईआईटी-मद्रास के विभाग एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती ने कहा कि एक बार जब क्रायोजेनिक तकनीक वाला यह रॉकेट जिसका उद्देश्य केवल 30 से 40 किमी की ऊंचाई तक पहुंचना है, सफल हो जाता है, तो आईआईटी-मद्रास के स्टार्टअप को वाणिज्यिक लॉन्च के लिए हरी झंडी मिल जाएगी.
उन्होंने कहा कि 3-डी तकनीक से डिजाइन और निर्मित रॉकेट उपग्रह प्रक्षेपण की लागत को काफी कम कर देगा. उन्होंने बताया कि 3-डी प्रिंटिंग तकनीक के साथ, रॉकेट और उसके इंजन को एक सप्ताह से भी कम समय में तैयार किया जा सकता है. जिससे यह एक लागत प्रभावी प्रक्षेपण यान बन जाएगा. उनके अनुसार, 'एरो ऑफ फायर' में 30 किलोग्राम से 300 किलोग्राम वजन के पेलोड ले जाने और उन्हें पृथ्वी की कक्षा में 500 किमी से 700 किमी तक की ऊंचाई पर तैनात करने की क्षमता है, जहां अधिकांश उपग्रह रखे गए हैं.
ये भी पढ़ें |
उन्होंने बताया कि इस परीक्षण के लिए इसरो ने 800 फीट का छोटा लॉन्च पैड विशेष रूप से आवंटित किया गया है. पिछले साल इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इसका परियोजना का उद्घाटन किया था. पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस पर, लॉन्च के लिए तैयार 'एरो ऑफ फायर' को वहां तैनात किया गया था. प्रोफेसर चक्रवर्ती ने बताया कि स्टार्ट-अप 2025 से उपग्रहों के वाणिज्यिक लॉन्च के बढ़ते बाजार में प्रवेश करेगा.