नई दिल्ली: अगरतला-अखुरा रेल लिंक (Agartala Akhura Railway Link Project) अगली समय सीमा जून 2022 है, लेकिन संभावना है कि तब तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाएगा. एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि लगातार चौथी बार समय सीमा समाप्त होने से लागत बढ़ने की संभावना है. यह परियोजना 2016 में शुरू की गई थी और इसे 2018 तक पूरा कर लिया जाना था. हालांकि अब तक तीन बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है.
2016 में शुरू की गई 12.26 किलोमीटर लंबी इस परियोजना से पश्चिम बंगाल में कोलकाता और त्रिपुरा में अगरतला के बीच यात्रियों, सामानों के लिए लागत व समय दोनों के कम होने की उम्मीद है. गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह बताया है कि परियोजना के भारतीय हिस्से को रेल मंत्रालय के माध्यम से 967.50 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ लागू किया जा रहा है. जिसमें केवल 59 प्रतिशत भौतिक प्रगति हुई है.
संसदीय समिति का आकलन
संसदीय समिति ने कहा कि बहुत कम संभावना है कि परियोजना जून तक पूरी हो जाएगी. राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि यह परियोजना जून 2022 तक पूरी नहीं हो पायेगी. दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने हाल ही में संसद में कहा है कि रेलवे परियोजना के भारतीय हिस्से को जून तक पूरा करने का लक्ष्य है, जबकि बहुप्रचारित परियोजना के बांग्लादेश हिस्से के इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की संभावना है.
कितना काम पूरा, कितना अधूरा
अगरतला-अखुरा रेल लिंक अगरतला स्टेशन को बांग्लादेश के गंगासागर स्टेशन से जोड़ने के लिए सीमा पार रेल संपर्क परियोजना है. रेल लिंक के 6.57 किमी लंबे हिस्से को बांग्लादेश विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने भारतीय कंपनी मेसर्स टेक्समाको रेल एंड इंजी को नियुक्त किया है. अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश के हिस्से की स्वीकृत लागत 392.52 करोड़ रुपये है. 31 जनवरी 2022 तक 50 प्रतिशत की भौतिक प्रगति हासिल कर ली गई है.
एक्ट ईस्ट नीति के तहत योजना
भारतीय हिस्से को रेलवे के माध्यम से 967.50 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ पूरा किया जाना है. अब तक शामिल व्यय 579.99 करोड़ रुपये है. अगरतला-अखुरा रेल लिंक परियोजना, केंद्र सरकार द्वारा एक्ट ईस्ट नीति और पूर्वोत्तर के लिए अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. हालांकि इस परियोजना को दिसंबर 2018 में पूरा किया जाना था लेकिन इसे लगातार तीन बार नई समय सीमा मिल चुकी है.