वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों के बीच चल रहे संयुक्त रिसर्च में बड़ा दावा हुआ है, इस दावे में कहा गया है कि वैक्सीनेशन के दोनों डोज के बाद भी लोगों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट का खतरा बरकरार है. दरअसल, बीएचयू के मल्टी स्प्लेंडर रिसर्च यूनिट और हैदराबाद के सीसीएमबी के वैज्ञानिक ने संयुक्त रुप से कोविड-19 पर रिसर्च टीम ने इस दौरान पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों के दोनों टीका लगा चुके 14 ऐसे लोगों का सैंपल लिया जिनमें कोरोना वायरस लक्षण थे. यह रिसर्च अंतरराष्ट्रीय जनरल मेड आकाईव के 23 सितंबर के डिजिटल अंक में प्रकाशित हुआ है.
वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरोधक क्षमता को तोड़ना
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया हम लोगों ने यह देखा कि जो लोग वैक्सीनेटेड हैं वह भी इफेक्टेड हो रहे हैं, उसमें कौन वैरिएंट है जो व्यक्ति वैक्सीनेशन से बनी हुई यूनिटी को ब्रेक कर पा रहा है. इसके लिए हम लोगों ने 14 सैंपल कलेक्ट किए हैं. सभी लोग वैक्सीनेटेड थे, लेकिन उनको इंफेक्शन हुआ था. इसके साथ ही एक महीने तक हम लोगों ने उनको ट्रेस किया. उनके हेल्थ की क्या स्टेटस है. यह चारों लोग कुछ दिन बीमार पड़ने के बाद ठीक हो गए. इसमें दो लोग ऐसे थे जिनको हाई ब्लड प्रेशर था, डायबिटीज थी और यह 85 साल के भी थे. इन लोगों का जीरोम फिकेवनसी कर के आया. लोगों में 79 फीसदी डेल्टा वेरिएंट मिला.
अभी तक रिसर्च में ज्यादा खतरा नहीं
प्रोफेसर चौबे ने बताया कि डेल्टा वेरिएंट वैक्सीनेशन से बने यूमिनिटी को ब्रेक तो कर सकता है. कोई सीवीआरटी लोगों में नहीं हो रही है. उन लोगों को हॉस्पिटल भी जाने की जरूरत नहीं हो रही है. इसके साथ ही ऑक्सीजन की कमी भी नहीं हो रही है. वैक्सीनेशन से बने रोग प्रतिरोधक क्षमता को ब्रेक कर रहा है लेकिन इससे किसी व्यक्ति की ज्यादा बीमार नहीं पड़ रहा है.
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