नई दिल्ली: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा का मुद्दा G23 के एक प्रमुख सदस्य कपिल सिब्बल के बाहर होने के बाद से महत्वपूर्ण हो गया है. सिब्बल समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. अगस्त 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखने के बाद इन तीनों को पार्टी में अलग-थलग कर दिया गया था.
पिछले महीने सोनिया गांधी ने आजाद और शर्मा को उस पार्टी पैनल में शामिल किया, जिसे उन्होंने 13-15 मई तक उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर के लिए बनाया था. सिब्बल, जिन्होंने सुझाव दिया था कि मार्च में पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद गांधी परिवार को नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाना चाहिए. उन्हें न तो शिविर के लिए छह पैनल में शामिल किया गया और न ही उन्हें मेगा कॉन्क्लेव में आमंत्रित किया गया था.
अब सबसे पुरानी पार्टी में अटकलें हैं कि क्या सोनिया गांधी आजाद और शर्मा दोनों को फिर से राज्यसभा भेजेंगी या उनमें से एक को ही भेजा जाएगा. क्योंकि उन्हें पी चिदंबरम, जयराम रमेश, अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक जैसे अन्य दिग्गजों को समायोजित करना होगा. संसद के ऊपरी सदन में विपक्ष के पूर्व नेता आजाद, विभिन्न क्षेत्रीय दलों तक पहुंचने और राज्यसभा में विपक्षी एकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. इसलिए वे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उपयोगी हो सकते हैं. क्योंकि कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने की उम्मीद है.
आजाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के भी एक महत्वपूर्ण नेता हैं. शर्मा पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के प्रमुख हैं और अर्थव्यवस्था पर भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. पार्टी आलाकमान को इस साल के अंत में आने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों पर भी ध्यान देना होगा. हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कड़ी टक्कर को ध्यान में रखते हुए आलाकमान ने पहाड़ी राज्य से ताल्लुक रखने वाले शर्मा को संचालन समिति का प्रमुख बनाया था.
आज़ाद और शर्मा दोनों को 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए कांग्रेस प्रमुख द्वारा स्थापित राजनीतिक मामलों के समूह में शामिल किया गया है. एआईसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वे राज्यसभा सीट के मामले में फैसला लेंगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दोनों के बीच आजाद को बढ़त है. एआईसीसी के पदाधिकारी ने आगे कहा कि चिदंबरम, सोनी और रमेश भी आलाकमान के लिए महत्वपूर्ण हैं. सोनिया गांधी ने हाल ही में चिदंबरम को टास्क फोर्स 2024 के प्रमुख के रूप में नामित किया, जिसमें रमेश भी शामिल हैं.
कर्नाटक से राज्यसभा सीट पर नजर गड़ाए रमेश ने गुरुवार को इस मुद्दे पर बेंगलुरु में पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता के सिद्धारमैया से मुलाकात की. दिग्विजय सिंह, जो कि राजनीतिक मामलों के समूह के सदस्य हैं, को सोनिया गांधी ने 2 अक्टूबर से शुरू होने वाली प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी भारत जोड़ो यात्रा के समन्वय के लिए पैनल के प्रमुख के रूप में नामित किया है. इसके अलावा नेतृत्व को उन युवा लोगों की आकांक्षाओं को भी समायोजित करने की आवश्यकता है, जो वर्षों से पार्टी के साथ काम कर रहे हैं. इसमें संभावित नाम अजय माकन, जितेंद्र सिंह, राजीव शुक्ला, रणदीप सुरजेवाला और मनीष चतरथ के हैं.
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