नई दिल्ली : गलवान में चीन की पीएलए आर्मी से झड़प के बाद भारत सरकार ने भी सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास तेज कर दिया है. गलवान की घटना के बाद से चीन के बॉर्डर पर लगे इलाकों में 32 सड़कों के निर्माण की मंजूरी दी गई. यह जानकारी सोमवार को राज्यसभा में पेश एक रिपोर्ट में दी गई. इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसदीय पैनल को बताया है कि चीन बॉर्डर पर 32 हेलीपैड बनाए जा रहे हैं और उसे अपग्रेड किया जा रहा है.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में चीन सीमा पर होने वाले निर्माण कार्यों की जानकारी दी है. रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों (2022-23) पर कहा गया है कि मंत्रालय ने आने वाले वित्तीय वर्ष में सीमा इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 3637.92 करोड़ रुपये की मांग की थी. समिति यह जानकर हैरान है कि 31 दिसंबर, 2021 तक मंत्रालय 2021-22 के संशोधित अनुमान राशि ₹1481.10 करोड़ का सिर्फ 50 फीसदी खर्च कर पाया था.
गृह मंत्रालय ने 2022-23 फाइनेंशल ईयर के लिए बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम के लिए ₹3637.92 करोड़ की राशि की मांग की है. स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब गृह मंत्रालय पिछले सत्र में आवंटित राशि का उपयोग नहीं कर पाया तो वह अब 2022-23 के लिए इतनी भारी-भरकम धनराशि की मांग क्यों कर रही है. समिति ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम का सही मूल्यांकन के बाद उचित आवंटन की सिफारिश की है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि चीन बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा बलों की ऑपरेशनल एक्टिविटी बढ़ाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इंडो चाइना बॉर्डर रोड फेज वन (ICBR-I) के तहत , 3482.52 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 751.58 किलोमीटर की 25 सड़कों का निर्माण किया गया है. इसमें से 475.29 किमी की 18 सड़कें ऑपरेशनल थीं जबकि शेष सात सड़कों पर काम चल रहा है. इंडो चाइना बॉर्डर रोड फेज वन की शुरुआत 2005 में हुई थी. तब गृह मंत्रालय ने चीन बॉर्डर के साथ कुल 608 किलोमीटर वाली 27 सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी.
पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के महीनों बाद 21 सितंबर, 2020 को इंडो चाइना बॉर्डर रोड फेज टू (ICBR-II) को मंजूरी दी गई. बता दें कि गलवान के बाद पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच अनिर्धारित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर विवाद चल रहा है. दोनों देशों ने सीमा गतिरोध को हल करने के लिए 15 दौर की बातचीत की है. संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने दिसंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी मंजूरी दी है.
भारत सरकार ने 23 दिसंबर 2020 को 1162.19 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 598.27 किलोमीटर के18-फुट ट्रैक के निर्माण को मंजूरी दी थी. इसके तहत जरूरत के अनुसार फुट सस्पेंशन ब्रिज, लॉग ब्रिज और स्टेजिंग कैंप बनाए जाएंगे. इसके लिए भूमि अधिग्रहण और अन्य वैधानिक प्रक्रिया पूरी की जा रही है. संसदीय समिति को यह भी बताया गया कि गृह मंत्रालय 2022-23 के केंद्रीय बजट में घोषित वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तौर-तरीकों पर काम कर रहा है. पांच राज्यों में चीन की सीमा से लगे गांवों के लिए बनाई गई इस स्कीम से खुफिया जानकारी जुटाने में भी मदद मिलेगी. इस योजना से चीन की सीमा पर बसे गांवों रहने वाले लोगों को सुविधा दी जाएगी, ताकि वे वहां टिके रहे. 14 फरवरी को हुई बैठक में गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वाइब्रेंट बॉर्डर स्कीम में सीमावर्ती गांवों में सड़क, बैंक, मोबाइल टावरों का निर्माण करके बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाएगा.