सूरत : यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अनपॉलिश्ड डायमंड की सप्लायर कंपनी अलरोसा कंपनी पर प्रतिबंध ने सूरत हीरा कारोबारियों की मुसीबत बढ़ा दी है. डायमंड इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों ने इससे जुड़े लोगों की रोजी-रोटी बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है.
कच्चे हीरे की सप्लायर अलरोसा कंपनी एक रुसी फर्म है, जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है. इस कंपनी से विश्व के सभी देशों को कच्चे हीरे (Rough Diamond) की सप्लाई की जाती है. भारत की डायमंड इंडस्ट्री भी अलरोसा से काफी मात्रा में हीरा खरीदती है. जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के रीजनल हेड दिनेश नवादिया के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से अमेरिकी डायमंड इंडस्ट्री प्रभावित हुई है. कच्चे हीरे की सप्लाई प्रभावित होने से सूरत के डायमंड सप्लायर्स को कच्चे हीरे की कमी का सामना करना पड़ सकता है. इज़राइली मीडिया के अनुसार, इस कारण ग्लोबल डायमंड इंडस्ट्री पर भी आफत आ सकती है.
सूरत डायमंड इंडस्ट्री में करीब 5,000 छोटे कारखाने हैं. इन फैक्ट्रियों में दक्षिण अफ्रीका और रूस से लाए गए कच्चे हीरों को तराशा जाता है. दुनिया भर में कच्चे हीरो का करीब 20 अरब डॉलर का कारोबार होता है. सूरत की इंडस्ट्री में अलरोसा कंपनी के तीस फीसदी हीरे तराशे जाते हैं. भारत में इसका कारोबार 4.5 अरब डॉलर का है. भारत हर साल 40 करोड़ डॉलर के कच्चे हीरे का व्यापार करता है और 2 लाख कैरेट कच्चे हीरे का आयात करता है.
दुनिया भर में उत्पादन होने वाले कच्चे हीरे का 30 फीसदी हिस्सा अलरोसा कंपनी के पास है. अब अमेरिकी प्रतिबंध के बाद मुंबई-गुजरात में रफ डायमंड की कमी हो सकती है. सप्लाई में कमी के कारण रफ डायमंड की कीमत के बढ़ने का अंदेशा भी है. फिर तराशे गए हीरों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी, इसलिए कारोबारियों को चिंता सताने लगी है. दिनेश नवादिया के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद अधिकतर कंपनियों ने अपने बैंकिंग ऑपरेशन रोक दिए हैं, इस कारण भारतीय कारोबारियों के सामने भुगतान का संकट खड़ा हो गया है. दुनिया की कई कंपनियों ने रूसी फर्म के साथ लेन-देन बंद कर दिया है. भारत के डायमंड कारोबारियों ने भुगतान के लिए दुबई, बेल्जियम और कुछ निजी भारतीय बैंकों का सहारा लिया था, मगर पिछले पांच दिनों से ये भी पेमेंट नहीं कर रहे हैं.
पिछले एक पखवाड़े से भारत और रूस के बीच रुपया-रूबल कारोबारी लेन-देन की चर्चा हो रही है, लेकिन कोई वास्तविक फैसला नहीं हुआ है. नतीजतन, हीरा व्यावसायी बिना पॉलिश किए हीरे नहीं खरीद पा रहे हैं. दिनेश नवादिया का कहना है कि सूरत के हीरा कारोबार से करीब 1.5 मिलियन लोग जुड़े हैं. अगर सरकार जल्द कोई रास्ता नहीं निकालती है तो इन पर इफेक्ट पड़ना तय है. इसके अलावा गुजरात की इकोनॉमी पर भी इसका असर दिखेगा.
उन्होंने कहा कि दिसंबर में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या का समाधान निकालते हैं तो उनकी छवि देश के बाहर भी बड़े नेता के तौर पर और निखरेगी. सूरत हीरा उद्योग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हीरा उद्योग के पक्ष में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
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