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असम : 28 साल बाद आस्मा को मिला मताधिकार, किया मतदान - बरपेटा जिले के बागबोर तहसील अंतर्गत सलकुरा गांव

असम के बरपेटा जिले के बागबोर तहसील अंतर्गत सलकुरा गांव की रहने वाली आस्मा खातून को आखिरकार 28 साल बाद मतदान करने का अधिकार मिला. आस्मा का नाम हाल ही में मतदाता सूची में शामिल किया गया. जिसके बाद आस्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

आस्मा को मिला मताधिकार
आस्मा को मिला मताधिकार
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Published : Apr 6, 2021, 9:12 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 10:05 PM IST

बरपेटा : असम में 12 जिलों के 40 विधानसभा क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार को अंतिम चरण का मतदान हुआ. इस दौरान एक चौंकाने वाली खबर भी सामने आई. यहां पर मतदाताओं की लाइन में एक ऐसी मतदाता थीं, जिसे 28 सालों के बाद मतदान का अधिकार मिला है.

ये मतदाता बरपेटा जिले के बागबोर तहसील अंतर्गत सलकुरा गांव के माजम खान की पत्नी आस्मा खातून हैं. आस्मा 28 सालों से अपने मताधिकार से लिए लड़ाई लड़ रही थीं. हाल में उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है. आखिरकार उन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ.

जानकारी के अनुसार आस्मा खातून का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने के बाद डी वोटर (संदिग्ध मतदाता) में जुड़ गया था. इस कारण वह अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पा रही थीं. अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए आस्मा ने सिस्टम से जंग लड़ी और अपना अधिकार वापस पाया.

पढ़ेंः असम में एक बूथ पर मतदाता सूची में सिर्फ 90 नाम, वोट पड़े 171

खातून ने अपना वोट सलकुरा एलपी स्कूल के मतदान केंद्र में डाला. आस्मा का नाम हाल ही में मतदाता सूची में शामिल किया गया. जिसके बाद आस्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

बरपेटा : असम में 12 जिलों के 40 विधानसभा क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार को अंतिम चरण का मतदान हुआ. इस दौरान एक चौंकाने वाली खबर भी सामने आई. यहां पर मतदाताओं की लाइन में एक ऐसी मतदाता थीं, जिसे 28 सालों के बाद मतदान का अधिकार मिला है.

ये मतदाता बरपेटा जिले के बागबोर तहसील अंतर्गत सलकुरा गांव के माजम खान की पत्नी आस्मा खातून हैं. आस्मा 28 सालों से अपने मताधिकार से लिए लड़ाई लड़ रही थीं. हाल में उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है. आखिरकार उन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ.

जानकारी के अनुसार आस्मा खातून का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने के बाद डी वोटर (संदिग्ध मतदाता) में जुड़ गया था. इस कारण वह अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पा रही थीं. अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए आस्मा ने सिस्टम से जंग लड़ी और अपना अधिकार वापस पाया.

पढ़ेंः असम में एक बूथ पर मतदाता सूची में सिर्फ 90 नाम, वोट पड़े 171

खातून ने अपना वोट सलकुरा एलपी स्कूल के मतदान केंद्र में डाला. आस्मा का नाम हाल ही में मतदाता सूची में शामिल किया गया. जिसके बाद आस्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

Last Updated : Apr 6, 2021, 10:05 PM IST
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