नई दिल्ली : सैकड़ों अफगान नागरिकों ने सोमवार को दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees) के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आयोग से बंद मामलों को जल्द से जल्द दोबारा खोलने और उन दूतावासों को समर्थन पत्र प्रदान करने की मांग की जिन्होंने अफगान शरणार्थियों को शरण देने का एलान किया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए काबुल के रहने वाले मेष्टा ने कहा, 'मैं यहां भारत में लंबे समय से रह रहा हूं, लेकिन मेरे देश पर अब तालिबान का कब्जा है, मेरे परिवार को अब वहां कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे भारत में भी शिक्षा नहीं मिल रही है, क्योंकि एडमिशन के दौरान मुझे बताया गया कि मेरे पास शरणार्थी कार्ड (refugee card) नहीं है.' हम UNHRSC से शरणार्थी कार्ड देने की मांग करते हैं, ताकि हम उन देशों में रह सकें जो शरणार्थी वीजा (refugee visas) की पेशकश कर रहे हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरे पिता बेरोजगार हैं, हमने पिछले तीन महीने से किराया नहीं दिया है. मुझे अपने भविष्य की चिंता है, अगर हम यहां से ठीक से नहीं रह पा रहे हैं, तो हमें कम से कम उन देशों को मौका दिया जाना चाहिए, जिनके पास हमारे लिए दरवाजे खुले हैं.'
अफगान सॉलिडेरिटी कमेटी (Afghan Solidarity Committee) के प्रमुख अहमद जिया गनी (Ahmad Zia Ghani) ने कहा कि हमारी केवल तीन मांगें हैं, हम यूएनएचसीआर से उम्मीद करते हैं कि बिना किसी शर्त और विनियमन के जल्द से जल्द बंद किए गए मामलों को फिर से खोल दिया जाए और शरण चाहने वालों को शरणार्थियों के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए. अफगानिस्तान में वर्तमान हालात को देखते हुए उन्हें शरणार्थियों के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.
अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति के कारण सभी प्रकार के आने वाले वित्तीय स्रोतों को बंद कर दिया गया है, जिस पर अफगान शरणार्थी निर्भर थे, इसलिए हम चाहते हैं कि जब तक हम भारत में रहें यूएनएचसीआर और उनके सहयोगी हमारी आवश्यक रहने की सुविधाओं (essentials living facilities) को फिर से शुरू कर दें.
उन्होंने कहा कि हम यूएनएचसीआर से उन दूतावासों को समर्थन पत्र प्रदान करने की उम्मीद करते हैं, जो अपनी घोषणा के आधार पर शरणार्थियों को स्वीकार कर रहे हैं. हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे शरणार्थियों के प्रत्येक व्यक्ति को उन पत्रों की प्रतियां साझा करें.
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उन्होंने आगे कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के तहत अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को नागरिकता का दर्जा मिल सकता है और इसके तहत हमारे देश के मुसलमानों को भारत में नागरिकता नहीं मिल सकती है, हालांकि यूएनएचसीआर हमें समर्थन पत्र देता है तो हम कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में रह सकते हैं जिन्होंने शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं.
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति भयावह है और हम अपने परिवारों को लेकर बेहद चिंतित हैं. हमारे देश में एक उज्ज्वल और स्थिर भविष्य का कोई संकेत नहीं है. हमारा भविष्य विशेष रूप से हमारे बच्चों का भविष्य में खतरे है. हम अपने देश में नहीं लौट सकते हैं.