नई दिल्ली : अफगानिस्तान में पाकिस्तान के शामिल होने के खिलाफ गुरुवार को नई दिल्ली में अफगान शरणार्थियों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों के अफगानी प्रदर्शनकारी तख्तियां लिए हुए थे जिस पर 'आईएसआई छोड़ो अफगानिस्तान', 'मुक्त अफगानिस्तान', 'पंजशीर के लिए खड़े हो जाओ' आदि नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने और युद्धग्रस्त देश में पाकिस्तान की दोहरी रणनीति पर गुस्सा और निराशा जताई.
उन्होंने पाकिस्तान से अनुरोध किया कि वह अफगानिस्तान छोड़ दे और देश को अपनी घुसपैठ से मुक्त करे.इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए पुणे से दिल्ली पहुंचे एक अफगान शरणार्थी मोहम्मद अहमदी ने कहा कि हम यहां अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हस्तक्षेप के खिलाफ अपने आक्रोश का इजहार करने के लिए एकत्र हुए हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी अपना प्रतिरोध जारी रखेंगे.
उन्होंने कहा कि पंजशीर से प्रतिरोध शुरू हुआ लेकिन आईएसआई पाकिस्तान के सहयोग से तालिबान ने ड्रोन के साथ क्षेत्र पर बमबारी कर पंजशीर पर कब्जा कर लिया. हालांकि भौगोलिक दृष्टि से पंजशीर जरूर गिर गया है लेकिन पूरी दुनिया में अफगान पंजशीर के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि समस्याओं की वजह से अफगानिस्तान की आर्थिक व्यवस्था भी चरमरा गई है.
उनके पास अपने किराए का भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है इसलिए, हम सरकार से आवास, वित्तीय स्रोत या कुछ नौकरी के अवसर प्रदान करने का अनुरोध कर रहे हैं, खासकर उन छात्रों को जिन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है.
विरोध इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी के खिलाफ किए जा रहे एक ड्रोन हमले के मद्देनजर शुरू हुआ था जब तालिबान के सत्ता में आने के बाद पंजशीर में 5 सितंबर को विरोध के दौरान पत्रकार फहीम दशती की मौत हो गई थी. वहीं पंजशीर में विरोध के दौरान लड़ाई में अपनी जान गंवाने वालों में नेता अहमद मसूद के भतीजे जनरल अब्दुल वुडोद जारा भी शामिल हैं. इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान आईएसआई प्रमुख जनरल फैज हामिद तालिबान नेतृत्व से मिलने काबुल गए थे. इसके बाद से ही पाकिस्तान पंजशीर में विरोधियों को पराजित करने में तालिबान की मदद कर रहा था.
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान आईएसआई प्रमुख जनरल फैज हामिद तालिबान नेतृत्व से मिलने काबुल गए थे. इसके बाद से ही पाकिस्तान पंजशीर में विरोधियों को पराजित करने में तालिबान की मदद कर रहा था.
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जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन में नई दिल्ली और उसके आसपास रहने वाले 200 से अधिक अफगान शरणार्थियों ने भाग लिया. बाद में, नई दिल्ली में अफगान शरणार्थियों और शरण चाहने वालों की ओर से अफगान सॉलिडेरिटी कमेटी ने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें अफगानिस्तान में आंतरिक मामलों में पाकिस्तान के हस्तक्षेप को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया.
ज्ञापन में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना, कट्टरपंथी आतंकवादियों को पैदा करने, धार्मिक चरमपंथियों को प्रशिक्षण देने की वजह से हमारे देश में उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान के इशारे पर बनी तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देने का आग्रह किया. ज्ञापन में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना, कट्टरपंथी आतंकवादियों को पैदा करने, धार्मिक चरमपंथियों को प्रशिक्षण देने की वजह से हमारे देश में उत्पीड़न हो रहा है.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को लिखे एक ज्ञापन में अफगान शरणार्थियों ने कहा है कि हम आपसे सामाजिक न्याय, यात्रा उन्मुक्ति, मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की वास्तविक स्वतंत्रता और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह करते हैं. इसके अलावा एक पीड़ित अफगान समाज के लिए एक सुरक्षित जीवन देने की मांग करते हैं. इसीक्रम में फौजिया नाम के एक अन्य अफगान शरणार्थी ने कहा कि हम यहां पाकिस्तान दूतावास में ज्ञापन सौंपने के लिए आए हैं, जिसमें उनसे 'पीछे हटने' का आग्रह किया गया है.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति ने एक वित्तीय संकट भी पैदा कर दिया है, जिसके लिए मेरे परिवार को दैनिक खर्चों के लिए कोई पैसा नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं को बेरहमी से पीटा जाता है और इन सबके बाद भी पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा है. उन्होंने कहा कि उनके पति की 2009 में तालिबान ने हत्या कर दी थी इस वजह से वह पिछले 11 साल से भारत में रह रहीं हैं.