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अफगान संकट : यूएन के मंच पर बोला भारत, पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़े रहेंगे - eam S jaishankar at unsc

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान एक अहम और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और वहां बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आना चाहिए.

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Published : Sep 13, 2021, 8:20 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 11:39 PM IST

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट के बीच भारत ने सोमवार को कहा कि वह पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा. भारत ने अफगानिस्तान को सहायता करने वाले देशों को निर्बाध पहुंच प्रदान किए जाने और समाज के सभी वर्गों को राहत सामग्री के बिना भेदभाव के वितरण की भी जरूरत बताई.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान एक अहम और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और वहां बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आना चाहिए.

अफगानिस्तान में मानवीय हालात पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक में डिजिटल तरीके से अपने संक्षिप्त संबोधन में विदेश मंत्री ने गरीबी के बढ़ते स्तर के खतरे पर भी जोर दिया और कहा कि इसका क्षेत्रीय स्थिरता के लिए विनाशकारी असर हो सकता है.

उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का सतत समर्थन किया है. उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा इसके लोगों के साथ हमारी ऐतिहासिक मित्रता द्वारा निर्देशित होता रहा है, आगे भी ऐसा ही रहेगा.'

जयशंकर ने कहा, 'आज मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि भारत अफगान जनता के साथ खड़े रहने को तैयार है जैसा वह पहले रहा है. इसे तेजी से और प्रभावी तरीके से करने के लिए हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यथासंभव अनुकूल माहौल बनाने के लिए साथ आना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'आज के हालात में जो चुनौतियां हैं, उनमें साजो-सामान संबंधी भी है. इसलिए जरूरी है कि मानवीय सहायता प्रदान करने वालों को अफगानिस्तान से निर्बाध तथा सीधा संपर्क प्रदान किया जाना चाहिए.'

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में राहत सामग्री पहुंच जाएगी तो दुनिया अफगान समाज के सभी वर्गों में मानवती सहायता के भेदभाव रहित वितरण की स्वाभाविक रूप से अपेक्षा रखेगी.

जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आम-सहमति बनाने के लिए देशों के छोटे-छोटे समूहों के बजाय एक बहुपक्षीय मंच हमेशा प्रभावशाली रहता है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव और इसके परिणाम स्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है.

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के करीबी पड़ोसी के रूप में वहां के घटनाक्रम पर भारत नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि यात्रा और सुरक्षित आवाजाही का मुद्दा मानवीय सहायता में अवरोध बन सकता है जिसे तत्काल सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में आना और बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें बिना किसी रुकावट के ऐसी सुविधाएं दी जानी चाहिए.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान संकट पर पीएम मोदी का बड़ा बयान, हिंदुओं-सिखों को देंगे शरण

अफगानिस्तान-तालिबान से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. फेसबुक ने तालिबान का समर्थन करने वाली सामग्री प्रतिबंधित की: रिपोर्ट
  2. अफगानिस्तान में फंसे 114 भारतीयों ने मोदी सरकार से मांगी मदद, जारी किया वीडियो
  3. आतंकवादी समूहों द्वारा न हो अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल : टीएस तिरुमूर्ति
  4. अफगानिस्तान : जान बचाने के लिए विमान के चक्के से लटके लोग
  5. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी नकदी से भरे हेलीकॉप्टर में काबुल से भागे : मीडिया रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- तालिबान ने 'आम माफी' का एलान किया, सरकार में शामिल होने की महिलाओं से अपील

काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

अफगानिस्तान-तालिबान संकट को समझने के लिए पढ़ें ये खबरें

  1. जानिए कौन हैं तालिबान लड़ाकों के आका, कैसे अरबों डॉलर कमाते हैं तालिबानी
  2. अफगान पर तालिबान का कब्जा, जानिए तालिबान कौन हैं और क्या है इसका मतलब
  3. मुल्ला बरादर : जिसने लिखी फतह की इबारत, क्या मिलेगी उसे अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ?
  4. Afghan-Taliban crisis : भारत के अरबों डॉलर के निवेश पर संकट, व्यापार पर भी असर
  5. रेड यूनिट की बदौलत अफगानिस्तान में काबिज हुआ तालिबान, जानिए कब तैयार किए लड़ाके
  6. अफगानिस्तान में तालिबान 2.0 को मान्यता क्यों देगा भारत, क्या सेटिंमेंटस पर भारी पड़ेगी कूटनीति ?
  7. अफगानिस्तान में तालिबान पर चीन मेहरबान, जानें इस दोस्ती का मकसद क्या है ?

गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद से हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं. काबुल से बचाकर लाए गए अफगान सांसद नरिंदर सिंह खालसा ने भारत पहुंचने के बाद कहा था कि 'मुझे रोने का मन करता है ... पिछले 20 वर्षों में जो कुछ भी बनाया गया था वह अब समाप्त हो गया है.'

पढ़ें- काबुल हवाईअड्डे पर हालात खराब, भगदड़ में 7 अफगान मारे गए : ब्रिटिश सेना

दरअसल, काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास रविवार को मची अफरा-तफरी के बीच भीड़ में सात अफगान नागरिक मारे गए. रविवार को, ब्रिटिश सेना ने काबुल में भीड़ में सात नागरिकों की मौत को स्वीकार किया. भगदड़ मचने और कुचलने से लोगों को चोटें आई हैं. माना जा रहा है कि घटना उस समय हुई जब तालिबान लड़ाके देश से बाहर किसी भी उड़ान पर जाने के लिए बेताब लोगों को खदेड़ने के लिए हवा में गोलियां चला रहे थे.

इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों की काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरें उन्हें 22 साल पहले की भयावहता की याद दिलाती हैं. इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 को दिसंबर, 1999 में अगवा कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था और उसे पूरे सप्ताह बंधक बनाकर रखा गया था.

यह भी पढ़ें- IC-814 विमान के कैप्टन बोले- काबुल एयरपोर्ट की तस्वीर कंधार की याद दिलाती है

अफगानिस्तान के ताजा हालात पर कैप्टन सरन ने कहा था कि ऐसा लग रहा है जैसे मैं 22 साल पीछे चला गया हूं. बीस साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन, (आज की) तस्वीरें वैसी ही हैं. सरन ने कहा कि सामने आई विभिन्न तस्वीरों एवं वीडियो में काबुल हवाई अड्डे के अंदर और बाहर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है, जो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर काबिज हुए तालिबान से बचने के लिए रनवे पर विमान में सवार होने के लिए आपाधापी कर रही है. ये तस्वीरें एवं वीडियो (दिसंबर, 1999) नहीं भूलने वाली सर्दी की मायूसी की याद दिला देती हैं.

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट के बीच भारत ने सोमवार को कहा कि वह पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा. भारत ने अफगानिस्तान को सहायता करने वाले देशों को निर्बाध पहुंच प्रदान किए जाने और समाज के सभी वर्गों को राहत सामग्री के बिना भेदभाव के वितरण की भी जरूरत बताई.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान एक अहम और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और वहां बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आना चाहिए.

अफगानिस्तान में मानवीय हालात पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक में डिजिटल तरीके से अपने संक्षिप्त संबोधन में विदेश मंत्री ने गरीबी के बढ़ते स्तर के खतरे पर भी जोर दिया और कहा कि इसका क्षेत्रीय स्थिरता के लिए विनाशकारी असर हो सकता है.

उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का सतत समर्थन किया है. उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा इसके लोगों के साथ हमारी ऐतिहासिक मित्रता द्वारा निर्देशित होता रहा है, आगे भी ऐसा ही रहेगा.'

जयशंकर ने कहा, 'आज मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि भारत अफगान जनता के साथ खड़े रहने को तैयार है जैसा वह पहले रहा है. इसे तेजी से और प्रभावी तरीके से करने के लिए हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यथासंभव अनुकूल माहौल बनाने के लिए साथ आना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'आज के हालात में जो चुनौतियां हैं, उनमें साजो-सामान संबंधी भी है. इसलिए जरूरी है कि मानवीय सहायता प्रदान करने वालों को अफगानिस्तान से निर्बाध तथा सीधा संपर्क प्रदान किया जाना चाहिए.'

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में राहत सामग्री पहुंच जाएगी तो दुनिया अफगान समाज के सभी वर्गों में मानवती सहायता के भेदभाव रहित वितरण की स्वाभाविक रूप से अपेक्षा रखेगी.

जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आम-सहमति बनाने के लिए देशों के छोटे-छोटे समूहों के बजाय एक बहुपक्षीय मंच हमेशा प्रभावशाली रहता है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव और इसके परिणाम स्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है.

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के करीबी पड़ोसी के रूप में वहां के घटनाक्रम पर भारत नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि यात्रा और सुरक्षित आवाजाही का मुद्दा मानवीय सहायता में अवरोध बन सकता है जिसे तत्काल सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में आना और बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें बिना किसी रुकावट के ऐसी सुविधाएं दी जानी चाहिए.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान संकट पर पीएम मोदी का बड़ा बयान, हिंदुओं-सिखों को देंगे शरण

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  1. फेसबुक ने तालिबान का समर्थन करने वाली सामग्री प्रतिबंधित की: रिपोर्ट
  2. अफगानिस्तान में फंसे 114 भारतीयों ने मोदी सरकार से मांगी मदद, जारी किया वीडियो
  3. आतंकवादी समूहों द्वारा न हो अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल : टीएस तिरुमूर्ति
  4. अफगानिस्तान : जान बचाने के लिए विमान के चक्के से लटके लोग
  5. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी नकदी से भरे हेलीकॉप्टर में काबुल से भागे : मीडिया रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- तालिबान ने 'आम माफी' का एलान किया, सरकार में शामिल होने की महिलाओं से अपील

काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

अफगानिस्तान-तालिबान संकट को समझने के लिए पढ़ें ये खबरें

  1. जानिए कौन हैं तालिबान लड़ाकों के आका, कैसे अरबों डॉलर कमाते हैं तालिबानी
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  3. मुल्ला बरादर : जिसने लिखी फतह की इबारत, क्या मिलेगी उसे अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ?
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  5. रेड यूनिट की बदौलत अफगानिस्तान में काबिज हुआ तालिबान, जानिए कब तैयार किए लड़ाके
  6. अफगानिस्तान में तालिबान 2.0 को मान्यता क्यों देगा भारत, क्या सेटिंमेंटस पर भारी पड़ेगी कूटनीति ?
  7. अफगानिस्तान में तालिबान पर चीन मेहरबान, जानें इस दोस्ती का मकसद क्या है ?

गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद से हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं. काबुल से बचाकर लाए गए अफगान सांसद नरिंदर सिंह खालसा ने भारत पहुंचने के बाद कहा था कि 'मुझे रोने का मन करता है ... पिछले 20 वर्षों में जो कुछ भी बनाया गया था वह अब समाप्त हो गया है.'

पढ़ें- काबुल हवाईअड्डे पर हालात खराब, भगदड़ में 7 अफगान मारे गए : ब्रिटिश सेना

दरअसल, काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास रविवार को मची अफरा-तफरी के बीच भीड़ में सात अफगान नागरिक मारे गए. रविवार को, ब्रिटिश सेना ने काबुल में भीड़ में सात नागरिकों की मौत को स्वीकार किया. भगदड़ मचने और कुचलने से लोगों को चोटें आई हैं. माना जा रहा है कि घटना उस समय हुई जब तालिबान लड़ाके देश से बाहर किसी भी उड़ान पर जाने के लिए बेताब लोगों को खदेड़ने के लिए हवा में गोलियां चला रहे थे.

इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों की काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरें उन्हें 22 साल पहले की भयावहता की याद दिलाती हैं. इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 को दिसंबर, 1999 में अगवा कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था और उसे पूरे सप्ताह बंधक बनाकर रखा गया था.

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अफगानिस्तान के ताजा हालात पर कैप्टन सरन ने कहा था कि ऐसा लग रहा है जैसे मैं 22 साल पीछे चला गया हूं. बीस साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन, (आज की) तस्वीरें वैसी ही हैं. सरन ने कहा कि सामने आई विभिन्न तस्वीरों एवं वीडियो में काबुल हवाई अड्डे के अंदर और बाहर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है, जो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर काबिज हुए तालिबान से बचने के लिए रनवे पर विमान में सवार होने के लिए आपाधापी कर रही है. ये तस्वीरें एवं वीडियो (दिसंबर, 1999) नहीं भूलने वाली सर्दी की मायूसी की याद दिला देती हैं.

Last Updated : Sep 13, 2021, 11:39 PM IST
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