हैदराबाद : लाखों अफगान नागरिकों के पलायन की वजह से ही यह दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी विस्थापित आबादी है. अधिकांश अफगान शरणार्थी ऐतिहासिक रूप से पड़ोसी देशों के लिए प्रस्थान कर चुके हैं. बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थी यूरोप तक नहीं जाते हैं.
पिछले वर्ष की स्थिति के अनुसार वैश्विक स्तर पर पंजीकृत सभी अफगान शरणार्थियों में से 85% की मेजबानी पड़ोसी देश पाकिस्तान और ईरान में की जा रही है. पाकिस्तान 1970 के दशक से एक प्राथमिक गंतव्य रहा है और लगभग 1.4 मिलियन पंजीकृत अफगान शरणार्थियों का घर है.
वहीं ईरान में अफगान शरणार्थियों को दु:खद परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार केले इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान लगभग 600000 अफगान वापस लौटे या फिर पाकिस्तान और ईरान से निर्वासित कर दिए गए. अधिकांश ने रोजगार, चिकित्सा या उपचार लेने, संघर्ष से बचने या परिवार को देखने के लिए घर छोड़ दिया.
लगभग सभी निर्वासित लोगों ने कहा कि उनके पास उचित दस्तावेजीकरण की कमी है जो वे वास्तव में वहन करने में सक्षम नहीं थे. 2001 में तालिबान के पतन के कारण विदेशों से कई अफगान स्वदेश लौट आए. वास्तव में जर्मनी सहित कई देशों ने हाल के वर्षों में अफगान शरणार्थियों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है.
वर्तमान संकट और अफगानों का पलायन
कनाडा ने काबुल से लगभग 3700 लोगों को निकाला था, जिसमें कई अफगान भी शामिल थे. जिन्हें स्थानीय स्तर पर फिर से बसाया जाएगा. वहीं यूके ने 20000 से अधिक अफगान शरणार्थियों का स्वागत करने का वचन दिया है.
ऑस्ट्रेलिया ने मौजूदा पुनर्वास कार्यक्रम के तहत 3000 के लिए जगह बनाई है और ताजिकिस्तान, जो पहले से ही एक बड़ी अफगान शरणार्थी आबादी का घर है, ने 100000 लोगों को और लेने की तैयारी की है.
माना जा रहा है कि लगभग 20000 अफगान उन लोगों के लिए नामित अमेरिकी वीजा की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिन्होंने अमेरिकी सेना या राजनयिकों की मदद की. जिसे अब प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है. हालांकि अमेरिका ने स्टॉपगैप कार्यक्रम के तहत 50000 अफगानों के पुनर्वास करने का वचन दिया है.