जयपुर : अफगानिस्तान को एक बार फिर से तालिबान ने पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है. वर्तमान में अफगानिस्तान में न कोई सरकार है और न किसी तरह का कोई कानून. अब अफगानिस्तान में सिर्फ और सिर्फ तालिबान का खौफ (fear of taliban) है.
तालिबान के अत्याचारों (Taliban atrocities) से अफगानिस्तान के नागरिक काफी परेशान हैं. बड़ी संख्या में वहां से पलायन (escape from afghanistan) हो रहा है. वहीं अफगानिस्तान के वे नागरिक जो किसी काम से भारत आए थे और अफगानिस्तान में हालात खराब होने पर यहीं फंस गये, वे लगातार भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. साथ ही अफगानिस्तान में मौजूद अपने परिवार को लेकर काफी परेशान हैं.
जयपुर में भी व्यापार के सिलसिले में 1 महीने पहले अफगानिस्तान से कुछ व्यापारी (Afghan merchant) आए थे, जो अब यहीं पर फंस कर रह गए हैं. जयपुर में फंसे हुए अफगानी नागरिकों के बारे में जानकारी जुटाकर जब ईटीवी भारत की टीम उनके पास पहुंची तो उनके चेहरों पर तालिबान का खौफ साफ झलक रहा था. जयपुर में फंसे हुए अफगानी नागरिकों में व्यापारी और विद्यार्थी (Afghan students) दोनों शामिल हैं. वे अब वापस अपने मुल्क नहीं जाना चाहते. इसके साथ ही उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अफगानिस्तान में मौजूद अपने परिवार को लेकर हो रही है.
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ईटीवी भारत के जरिए केंद्र सरकार से लगाई मदद की गुहार
जयपुर में फंसे हुए अफगानी नागरिकों ने ईटीवी भारत के माध्यम से केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उनके वीजा की अवधि (Duration of Visa) को आगे बढ़ाने की अपील की है. इसके साथ ही अफगानी नागरिकों की भारत सरकार से यह भी अपील है कि अफगानिस्तान में मौजूद उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षित भारत लाया जाए.
अफगानी नागरिकों का कहना है कि भारत के साथ अफगानिस्तान के काफी घनिष्ठ मैत्री संबंध (india afghanistan friendship) रहे हैं. दोनों मुल्क काफी लंबे समय से व्यापार व अन्य माध्यमों से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. भारत के अलावा अफगानिस्तान के जो अन्य पड़ोसी मुल्क (Afghanistan neighboring countries) हैं, वे बिल्कुल भी मददगार नहीं हैं. साथ ही तालिबान का समर्थन करने वाले हैं. ऐसे में अफगानी नागरिकों को सिर्फ भारत सरकार से ही मदद की उम्मीद है.
1 महीने पहले सब कुछ ठीक था, अब सब कुछ तबाह...
अफगानी नागरिक अब्दुल शब्बीर का कहना है कि जब वो 1 महीने पहले व्यापार के सिलसिले में अफगानिस्तान से भारत आए थे, तब उनके मुल्क में सब कुछ सामान्य था. अफगानी सरकार काफी अच्छा काम कर रही थी. अचानक से तालिबान ने हमला (Taliban attacked) कर एक बार फिर से अफगानिस्तान पर अपना कब्जा (capture of afghanistan) कर लिया. लड़ाकों ने पूरे सिस्टम को अपने हाथ में ले लिया.
अब न अफगानिस्तान में कोई सरकार (government in afghanistan) है और न कोई कानून. तालिबान की ओर से बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं. लेकिन तालिबान का जो बैकग्राउंड (background of taliban) रहा है उसके चलते किसी को भी उस पर विश्वास नहीं है. अफगानिस्तान के झंडे (flag of afghanistan) को कुछ समय बाद 101 साल पूरे होने जा रहे हैं. जिस झंडे के लिए मुल्क के लोगों ने अपनी कुर्बानी दी, उस झंडे को हटाकर तालिबान अपना झंडा (flag of taliban) लगा रहा है. जिसका दर्द सभी अफगानी नागरिकों के दिल में है.
वर्तमान में जो हालात तालिबान ने अफगानिस्तान में पैदा किए हैं, उसके चलते अफगानी नागरिक अपना मुल्क छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं. अब्दुल शब्बीर का कहना है कि यदि उन्हें पता होता कि मुल्क में इस तरह के हालात हो जाएंगे तो वे भारतीय दूतावास (Indian Embassy) से संपर्क करके अपने परिवार के सदस्यों का भी वीजा (Visa) बनवाते और उन्हें अपने साथ भारत लेकर आते. अब अफगानिस्तान में न तो कोई दूतावास है और न ही कोई सरकार, जो उनकी मदद कर सके. ऐसे में अब पूरी उम्मीद भारत की सरकार से है, जो अफगानिस्तान से उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षित भारत ला सके.
न कोर्ट, न जज, न वकील..मौके पर ही दर्दनाक फैसला
अफगानी नागरिक मोहम्मद जहीर ने बताया कि वर्तमान में अफगानिस्तान में तालिबान ने जिस तरह से कब्जा किया है उसके चलते सभी लोगों के दिलों में काफी ख़ौफ देखा जा रहा है. अफगानिस्तान में मौजूद अपने परिवार के सदस्यों से जब बात की तो वे सब काफी डरे हुए थे. तालिबान ने पूरे मुल्क की कमान अपने हाथ में ले ली है. लेकिन सरकार एक सिस्टम से चलती है. सिस्टम में हर तरह की चीज का होना बेहद जरूरी है चाहे वह चिकित्सा हो, स्वास्थ्य हो या अन्य आवश्यक चीजें.
लेकिन तालिबान का जो बैकग्राउंड रहा है वह काफी नेगेटिव रहा है. ऐसे में अब उन्हें तालिबान हुकूमत से किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं है. तालिबानी हुकूमत में ऐसा कोई भी आदमी नहीं है जो सरकार को सिस्टमैटिक तरीके से चला सके. तालिबानी हुकूमत में पहले भी न कोर्ट होती थी, न कोई जज और न वकील, मौके पर ही उस आदमी को मारने का फैसला कर दिया जाता है.
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सिर्फ दीन-ए-इल्म (din-e-ilm) हासिल करके और नमाज पढ़कर कोई भी गवर्नमेंट नहीं चला सकता. उसके लिए पढ़ाई भी करनी होगी, डॉक्टर भी बनना पड़ेगा, महिलाओं का जो हक है वह भी उन्हें देना होगा, लेकिन वर्तमान में ऐसा कुछ भी अफगानिस्तान में नहीं हो रहा है.
स्टूडेंट्स का फ्यूचर पूरी तरह से तबाह हो गया
अफगानिस्तान से बीबीए करने भारत आए स्टूडेंट सोहेल ने बताया कि वह कई बड़े सपने लेकर पढ़ने के लिए आया था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह फिर से अपने मुल्क में लौट कर अच्छी नौकरी करना चाहता था. साथ ही मुल्क की तरक्की में अपना योगदान देना चाहता था. लेकिन जिस तरह के हालात तालिबान ने अफगानिस्तान में पैदा कर दिए हैं उसके चलते तमाम स्टूडेंट्स का फ्यूचर पूरी तरह से तबाह हो गया है.
अब अफगानिस्तान में पढ़ाई का कोई भी महत्व नहीं रह गया है. इसके साथ ही सोहेल ने कहा कि उसकी अपने पड़ोसी मुल्कों से भी यह अपील है कि इस हालात में वह अफगानिस्तान के आम नागरिकों का साथ दें, न कि तालिबान का. सोहेल ने यह भी कहा कि पाकिस्तान (Pakistan's Afghan Policy) पिछले 20 सालों से सिर्फ मदद की बातें कर रहा है लेकिन वह किसका साथ दे रहा है इसके बारे में सब लोगों को पता है.
छात्र सोहेल ने कहा कि अमेरिका (US Afghan policy) भी मदद की पेशकश करते हुए तालिबान को खदेड़ने के लिए अफगानिस्तान आया था, लेकिन अब वह भी वहां से वापस जा चुका है. अफगानिस्तान में परिवार के सदस्यों के साथ न जाने कब क्या घटना हो जाए, उसे सोच कर न अब पढ़ने का मन कर रहा है और न ही कुछ और करने का.