ETV Bharat / bharat

देश के पहले डिजिटल विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया को छात्रों से अच्छी प्रतिक्रिया - भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी

देश के पहले डिजिटल विश्वविद्यालय, केरल डिजिटल विज्ञान, नवोन्मेष एवं तकनीकी विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया शुरू हो गई है. कोविड-19 की स्थिति के बावजूद छात्रों ने इसे जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है.

students
students
author img

By

Published : Jul 8, 2021, 3:03 PM IST

तिरुवनंतपुरम : विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि उच्च शिक्षा परिदृश्य को बाधित करने वाली महामारी के बीच डिजिटल विश्वविद्यालय केरल (डीयूके) ने पीएचडी कार्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन मांगे थे और 30 सीटों के लिए विश्वविद्यालय को करीब 500 आवेदन मिले हैं.

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान-केरल (आईआईआईटीएम-केरल) का उन्नयन जनवरी में एक अध्यादेश के जरिए डिजिटल विश्वविद्यालय में कर दिया गया था. सूत्रों ने कहा कि यह डीयूके में शुरू होने वाला पहला शैक्षणिक कार्यक्रम होगा. अधिकतर विद्यार्थियों ने नियमित पीएचडी के लिए आवेदन किया है जबकि इंडस्ट्री रेगुलर पीएचडी एक नया विकल्प है जिसमें कई को दिलचस्पी है.

उन्होंने बताया कि शोधार्थी को असली जिंदगी में आने वाली परेशानियों को हल करने के लिए उद्योग के एक मार्गदर्शक के साथ काम करना होगा जिससे उम्मीद है कि आईटी पेशेवरों को अपने करियर से ब्रेक लिए बिना डॉक्टरेट कार्यक्रम करने में मदद मिलेगी.

सूत्रों ने बताया कि डीयूके के डॉक्टरेट कार्यक्रमों की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण अनूठे विषय हैं जैसे एआई रोबोटिक्स, कम्प्यूटेशनल इंटेलिजेंस, कम्प्यूटेशनल इमेजिंग सिस्टम आदि. उन्होंने बताया कि 442 आवेदनों में से 259 छात्रों ने नियमित पीएचडी का विकल्प चुना है जबकि 169 विद्यार्थियों ने अंशकालिक का चयन किया है.

यह भी पढ़ें-मोदी के नए मंत्रियों ने संभाला कामकाज, जानें अब तक कितने मंत्रियों ने लिया चार्ज

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि डॉक्टरेट कार्यक्रमों में दाखिला प्रक्रिया तीन मई को शुरू हो गई थी. डीयूके कुलपति डॉ साजी गोपीनाथ ने कहा कि पीएचडी कार्यक्रम को मिली अच्छी प्रतिक्रिया से पता चलता है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों और विज्ञान के क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता वाले अनुसंधान की मांग है.

(पीटीआई-भाषा)

तिरुवनंतपुरम : विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि उच्च शिक्षा परिदृश्य को बाधित करने वाली महामारी के बीच डिजिटल विश्वविद्यालय केरल (डीयूके) ने पीएचडी कार्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन मांगे थे और 30 सीटों के लिए विश्वविद्यालय को करीब 500 आवेदन मिले हैं.

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान-केरल (आईआईआईटीएम-केरल) का उन्नयन जनवरी में एक अध्यादेश के जरिए डिजिटल विश्वविद्यालय में कर दिया गया था. सूत्रों ने कहा कि यह डीयूके में शुरू होने वाला पहला शैक्षणिक कार्यक्रम होगा. अधिकतर विद्यार्थियों ने नियमित पीएचडी के लिए आवेदन किया है जबकि इंडस्ट्री रेगुलर पीएचडी एक नया विकल्प है जिसमें कई को दिलचस्पी है.

उन्होंने बताया कि शोधार्थी को असली जिंदगी में आने वाली परेशानियों को हल करने के लिए उद्योग के एक मार्गदर्शक के साथ काम करना होगा जिससे उम्मीद है कि आईटी पेशेवरों को अपने करियर से ब्रेक लिए बिना डॉक्टरेट कार्यक्रम करने में मदद मिलेगी.

सूत्रों ने बताया कि डीयूके के डॉक्टरेट कार्यक्रमों की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण अनूठे विषय हैं जैसे एआई रोबोटिक्स, कम्प्यूटेशनल इंटेलिजेंस, कम्प्यूटेशनल इमेजिंग सिस्टम आदि. उन्होंने बताया कि 442 आवेदनों में से 259 छात्रों ने नियमित पीएचडी का विकल्प चुना है जबकि 169 विद्यार्थियों ने अंशकालिक का चयन किया है.

यह भी पढ़ें-मोदी के नए मंत्रियों ने संभाला कामकाज, जानें अब तक कितने मंत्रियों ने लिया चार्ज

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि डॉक्टरेट कार्यक्रमों में दाखिला प्रक्रिया तीन मई को शुरू हो गई थी. डीयूके कुलपति डॉ साजी गोपीनाथ ने कहा कि पीएचडी कार्यक्रम को मिली अच्छी प्रतिक्रिया से पता चलता है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों और विज्ञान के क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता वाले अनुसंधान की मांग है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.