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जानें, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की राय - one nation one election

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर जोर दे रहे हैं. उनका यह मानना है कि बार-बार चुनाव होने से विकास की प्रक्रिया बाधित होती है. भाजपा अब 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को लेकर आने वाले दिनों में वेबिनार का आयोजन करेगी. ऐसे में किस तरह से 'एक राष्ट्र एक चुनाव' संभव हो सकता है, इस पर ईटीवी भारत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से खास बातचीत की...

सत्यपाल जैन
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Published : Dec 28, 2020, 11:13 PM IST

चंडीगढ़ : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन का कहना है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से काफी पैसा बचेगा, क्योंकि एक लोकसभा चुनाव में 4,500 करोड़ रुपये का खर्च आता है और उसके लिए 25 लाख लोगों की तैनाती भी की जाती है. ऐसे में यदि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे काफी पैसा देश का बचेगा.

उन्होंने कहा कि उनकी तो निजी राय यह है कि पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए ताकि समय और पैसे की बर्बादी न हो. उन्होंने बताया कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' अगर करवाने हैं तो उसके लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है, क्योंकि संविधान में संशोधन करना पड़ेगा तभी इसे लागू किया जा सकता है.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से विशेष बातचीत का वीडियो

सत्यपाल जैन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी और राजनीतिक दल को इससे कोई परेशानी होगी कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हों. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे. 1967 में कुछ विधानसभाओं को भंग कर दिया गया था, उसके बाद यह क्रम टूटा और चुनाव अलग-अलग होने लगे.

पढ़ें- पंजाब : प्रदर्शनकारी किसानों ने तोड़े 1,500 से अधिक मोबाइल टावर

उन्होंने कहा कि उसके बाद यह देखा गया है कि कभी किसी राज्य में लोकसभा चुनाव है, तो किसी राज्य में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. पैसे और समय की बर्बादी के साथ आचार संहिता से भी लोग काफी परेशान रहते हैं. ऐसे में यदि चुनाव एक साथ होने लगें तो लोगों को काफी सहूलियत भी होगी और देश की सुचारू रूप से जो विकास की प्रक्रिया है वह भी चलती रहेगी.

चंडीगढ़ : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन का कहना है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से काफी पैसा बचेगा, क्योंकि एक लोकसभा चुनाव में 4,500 करोड़ रुपये का खर्च आता है और उसके लिए 25 लाख लोगों की तैनाती भी की जाती है. ऐसे में यदि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे काफी पैसा देश का बचेगा.

उन्होंने कहा कि उनकी तो निजी राय यह है कि पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए ताकि समय और पैसे की बर्बादी न हो. उन्होंने बताया कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' अगर करवाने हैं तो उसके लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है, क्योंकि संविधान में संशोधन करना पड़ेगा तभी इसे लागू किया जा सकता है.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से विशेष बातचीत का वीडियो

सत्यपाल जैन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी और राजनीतिक दल को इससे कोई परेशानी होगी कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हों. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे. 1967 में कुछ विधानसभाओं को भंग कर दिया गया था, उसके बाद यह क्रम टूटा और चुनाव अलग-अलग होने लगे.

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उन्होंने कहा कि उसके बाद यह देखा गया है कि कभी किसी राज्य में लोकसभा चुनाव है, तो किसी राज्य में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. पैसे और समय की बर्बादी के साथ आचार संहिता से भी लोग काफी परेशान रहते हैं. ऐसे में यदि चुनाव एक साथ होने लगें तो लोगों को काफी सहूलियत भी होगी और देश की सुचारू रूप से जो विकास की प्रक्रिया है वह भी चलती रहेगी.

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