चंडीगढ़ : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन का कहना है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से काफी पैसा बचेगा, क्योंकि एक लोकसभा चुनाव में 4,500 करोड़ रुपये का खर्च आता है और उसके लिए 25 लाख लोगों की तैनाती भी की जाती है. ऐसे में यदि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे काफी पैसा देश का बचेगा.
उन्होंने कहा कि उनकी तो निजी राय यह है कि पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए ताकि समय और पैसे की बर्बादी न हो. उन्होंने बताया कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' अगर करवाने हैं तो उसके लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है, क्योंकि संविधान में संशोधन करना पड़ेगा तभी इसे लागू किया जा सकता है.
सत्यपाल जैन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी और राजनीतिक दल को इससे कोई परेशानी होगी कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हों. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे. 1967 में कुछ विधानसभाओं को भंग कर दिया गया था, उसके बाद यह क्रम टूटा और चुनाव अलग-अलग होने लगे.
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उन्होंने कहा कि उसके बाद यह देखा गया है कि कभी किसी राज्य में लोकसभा चुनाव है, तो किसी राज्य में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. पैसे और समय की बर्बादी के साथ आचार संहिता से भी लोग काफी परेशान रहते हैं. ऐसे में यदि चुनाव एक साथ होने लगें तो लोगों को काफी सहूलियत भी होगी और देश की सुचारू रूप से जो विकास की प्रक्रिया है वह भी चलती रहेगी.