नई दिल्ली: देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने भारत की सियासत में हलचल पैदा कर दी है. विपक्ष लामबंद होकर जेपीसी की मांग पर अड़ा है और इस मुद्दे को लेकर संसद में लगातार दूसरे दिन भी हंगामा होता रहा, जिसकी वजह से संसद का कामकाज दूसरे दिन भी ठप रहा. अडाणी मामले पर संसद में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी, डीएमके और वामपंथी दलों ने हाई लेवल जांच समिति गठित करने की मांग कि जिसे लेकर राज्यसभा और लोकसभा में लगातार हंगामा होता रहा.
यहां तक कि राज्यसभा में सभापति ओ.पी. धनकड़ को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को चेतावनी भी देनी पड़ी. विपक्षी सांसद वेल में आकर सरकार से अडाणी मामले में जेपीसी की मांग कर रहे थे और सरकार से जवाब मांग रहे थे. हालांकि इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अडानी समूह से सरकार का कोई लेना देना नहीं है. इस मामले में विपक्ष सरकार को बेवजह घसीट रहा है. विपक्षी सांसदों की मांग है कि अडाणी मामले में सरकार जेपीसी बनाए या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कमेटी बनाई जाए.
विपक्ष के हंगामे के बीच आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने तो सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए, यहां तक कहा कि यह अडाणी समूह का घोटाला नहीं, बल्कि यह प्रधानमंत्री का घोटाला है. प्रधानमंत्री ने उन्हें पोत दिया, एयरपोर्ट दिया, बिजली दी, सब कुछ दिया तो फिर जांच समिति भी हाई लेवल की होनी चाहिए. सांसद संजय सिंह को राज्यसभा की चेयर से ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि वह संसदीय मर्यादाओं का ध्यान रखें.
सभापति धनखड़ ने कहा 'मिस्टर संजय, आप मुझे मजबूर कर रहे हैं, ( कार्रवाई के लिए ) आप अपनी सीट पर जाइए.' लेकिन इसके बाद भी हंगामा जारी रहा, जिसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया. लेकिन उससे पहले सख्त शब्दों में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा जो वेल में आ रहे हैं, नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं राज्यसभा सभापति धनखड़ ने हंगामा करने वाले सांसदों को चेतावनी दी है कि सोमवार से वेल में आने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
दोपहर 2:30 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने अडाणी पर जेपीसी की मांग को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया. इससे व्यथित धनखड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि संसद की गरिमा को खत्म किया जा रहा है. मैं इससे दुखी और व्यथित हूं. सांसदों को यहां चर्चा करने के लिए भेजा जाता है. आपने अपने-अपने मुद्दे मेरे सामने रखे और चेयर ने अपना फैसला दे दिया, लेकिन मेरे फैसले को लगातार नहीं माना जा रहा है.
हालांकि इस मुद्दे पर ज्यादातर बीजेपी के नेता चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन भाजपा के सांसद नरेश बंसल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां अडाणी मामले में बेवजह सरकार को घसीट रही है. उन्होंने कहा कि मैं उनसे यह पूछना चाहता हूं कि क्या अडाणी भाजपा की सरकार से पहले कारोबार नहीं करते थे. उन्होंने कहा कि अडाणी कांग्रेस की सरकार के समय भी कारोबार कर रहे थे. इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है और विपक्ष मुद्दा विहीन हो चुकी है, तो वह बेवजह की बातों को मुद्दा बना रही है.
भाजपा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि क्योंकि विपक्षी सांसद सरकार की तरफ से आए एक बढ़िया बजट को पचा नहीं पा रहे हैं. इस वजह से वह दूसरे मुद्दों पर लोगों का ध्यान भटकाना चाह रहे हैं, लेकिन आम जनता को बजट से काफी संतुष्टि है और इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि बजट में जिसने रियायतें दी गई है, हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखा गया है. यदि विपक्ष चाहे तो वह संसद को सुचारू रूप से चलने दे सकता है और अपनी बातों को रख सकता है, लेकिन विपक्ष जानबूझकर हंगामा कर रहा है, ताकि संसद की कार्यवाही में गतिरोध हो और यह जनता देख रही है.
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बहरहाल मामला चाहे जो कुछ भी हो सरकार विपक्ष की मांगों को कितना मानती है और सदन का गतिरोध कब तक खत्म होता है, यह कहना अभी मुश्किल होगा. लेकिन इस हंगामे को देखते हुए, ऐसा लगता है कि सोमवार को भी दोनों ही सदनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ सकती है, क्योंकि विपक्ष को हाथ लगे इस मुद्दे पर लगभग सभी पार्टियां धीरे-धीरे लामबंद हो रही है और वह यह मुद्दा हाथ से जाना नहीं देना चाहती.