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टूलकिट प्रकरण : आरोपियों ने पुलिस के आश्वासन पर अग्रिम जमानत अर्जियां वापस लीं

टूलकिट मामले में तीन आरोपियों ने पुलिस के इस आश्वासन के बाद दिल्ली की एक अदालत से अपनी अग्रिम जमानत याचिका वापस ले ली कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

टूलकिट प्रकरण
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Published : Mar 15, 2021, 9:03 PM IST

नई दिल्ली : टूलकिट मामले में तीन आरोपियों ने पुलिस के इस आश्वासन के बाद सोमवार को दिल्ली की एक अदालत से अपनी अग्रिम जमानत याचिका वापस ले ली कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और शुभम कर चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जियां निस्तारित कर दीं.

अदालत ने अभियोजन पक्ष एवं आरोपियों के बीच व्यवस्था पर सहमति बन जाने के बाद यह आदेश जारी किया.

इससे पहले अदालत ने इस मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि (21) को नियमित जमानत दी थी.

रवि को तीन नए कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन के सिलसिले में टूलकिट दस्तावेज बनाने एवं उसे साझा करने को लेकर बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. वह टूलकिट दस्तावेज के संपादकों में एक थीं.

पुलिस ने सोमवार को अदालत से कहा कि जांच विदेश आधारित सेवा प्रदाताओं पर आश्रित है और आरोपियों का आचरण देखते हुए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ जरूरी होगी.

पुलिस ने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, जहां हमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने से वंचित कर दिया जाए

अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है, जिसके लिए तकनीकी विश्लेषण जरूरी है.

यह भी पढ़ें- निकिता जैकब की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 9 मार्च तक टली

अदालत ने कहा कि इस मोड़ पर, बचाव पक्ष के वकील ने प्रस्ताव दिया है कि एजेंसी की निष्पक्षता के वास्ते वे इस शर्त पर याचिका वापस लेने के लिए इच्छुक हैं कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

अदालत ने कहा कि आरोपी इस दौरान अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं. पुलिस इस अनुरोध पर राजी हो गई. इन तीनों ही आरोपियों को इस मामले में ट्रांजिट जमानत दी गयी है. इस संबंध में भादंसं की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 (वैमनस्यता फैलाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

नई दिल्ली : टूलकिट मामले में तीन आरोपियों ने पुलिस के इस आश्वासन के बाद सोमवार को दिल्ली की एक अदालत से अपनी अग्रिम जमानत याचिका वापस ले ली कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और शुभम कर चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जियां निस्तारित कर दीं.

अदालत ने अभियोजन पक्ष एवं आरोपियों के बीच व्यवस्था पर सहमति बन जाने के बाद यह आदेश जारी किया.

इससे पहले अदालत ने इस मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि (21) को नियमित जमानत दी थी.

रवि को तीन नए कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन के सिलसिले में टूलकिट दस्तावेज बनाने एवं उसे साझा करने को लेकर बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. वह टूलकिट दस्तावेज के संपादकों में एक थीं.

पुलिस ने सोमवार को अदालत से कहा कि जांच विदेश आधारित सेवा प्रदाताओं पर आश्रित है और आरोपियों का आचरण देखते हुए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ जरूरी होगी.

पुलिस ने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, जहां हमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने से वंचित कर दिया जाए

अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है, जिसके लिए तकनीकी विश्लेषण जरूरी है.

यह भी पढ़ें- निकिता जैकब की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 9 मार्च तक टली

अदालत ने कहा कि इस मोड़ पर, बचाव पक्ष के वकील ने प्रस्ताव दिया है कि एजेंसी की निष्पक्षता के वास्ते वे इस शर्त पर याचिका वापस लेने के लिए इच्छुक हैं कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा.

अदालत ने कहा कि आरोपी इस दौरान अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं. पुलिस इस अनुरोध पर राजी हो गई. इन तीनों ही आरोपियों को इस मामले में ट्रांजिट जमानत दी गयी है. इस संबंध में भादंसं की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 (वैमनस्यता फैलाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

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