नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और उनके मेघालय समकक्ष कोनराड संगमा (Conrad Sangma) दशकों से चल रहे सीमा संघर्ष को समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं. इसे लेकर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने बुधवार को अपनी मांग दोहराई कि आम सहमति से पहले 'विवादित क्षेत्र' में रहने वाले स्थानीय लोगों को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
असम के प्रभावशाली छात्र संगठन (AASU) के अध्यक्ष दीपंका कुमार नाथ (Dipanka Kumar Nath) ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करने पर हमने पाया कि विवादित क्षेत्रों में रहने वाले कई परिवार असम के साथ रहना चाहते हैं जबकि कुछ मेघालय के साथ रहना पसंद करते हैं. स्थानीय लोगों की सहमति के बिना मामले को हल नहीं किया जा सकता है.'
उन्होंने कहा कि वह असम और केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि आसू, गारो स्टूडेंट्स यूनियन (GSU), ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU), ऑल राभा स्टूडेंट्स यूनियन (ARSU), ऑल असम गोरखा स्टूडेंट्स यूनियन (AAGSU) सहित कई छात्र संघों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ विवादित क्षेत्रों का दौरा किया और पिछले कई दशकों से वहां रहने वाले लोगों से बातचीत की.
दीपंका कुमार नाथ ने कहा, 'हमने कामरूप जिले में पश्चिम गुवाहाटी निर्वाचन क्षेत्र के तहत विवादित बोकलापारा क्षेत्र के कई स्थानों का दौरा किया. हमने पाया कि कई गारो और खासी लोग मेघालय के साथ रहना चाहते हैं जबकि असम मूल के कई परिवार असम के साथ रहना चाहते हैं.' प्रतिनिधिमंडल ने अथियाबारी, चुटिया बाजार, हाहिम, सालबारी, मलचापारा, गोहनिमारा, अमागांव और अन्य स्थानों पर लोगों से बातचीत की.
गौरतलब है कि कई दौर की चर्चा के बाद असम और मेघालय सरकार ने 884 किलोमीटर की सीमा के साथ 12 'विवादित क्षेत्रों' में से छह में सीमा विवादों को समाप्त करने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है. 36.79 वर्ग किमी भूमि के लिए प्रस्ताव बनाया गया, जिसकी एक प्रति गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी गई थी. इसके तहत असम को 18.51 वर्ग किमी और शेष 18.28 वर्ग किमी जमीन मेघालय को दी जाएगी.
सरमा और संगमा दोनों बुधवार को दिल्ली पहुंचे. सीमा समझौते को अंतिम रूप देने से पहले सहमति लेने के लिए गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं. विपक्षी दलों के विरोध के बीच असम और मेघालय कैबिनेट दोनों ने पहले ही इस सिफारिश को मंजूरी दे दी थी. नाथ ने कहा, 'सौदे पर सहमति बनाने के लिए अंतिम प्रस्ताव विधानसभा में रखा जाना चाहिए.'
वास्तव में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने पहले ही दोनों सरकारों की नीति के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी. मेघालय में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से इस पर चर्चा करने के लिए सौदे का विरोध किया. मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता मुकुल संगमा ( TMC leader Mukul Sangma) ने राज्य सरकार से जल्दबाजी में कोई समझौता करने से बचने की अपील की. संगमा ने संवाददाता से कहा, 'सरकार को दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद से जुड़े जटिल और विवादास्पद मुद्दों की व्यावहारिक समझ रखने की जरूरत है.'
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