ETV Bharat / bharat

हैदरपोरा एनकाउंटर : बेटे की मौत पर पिता ने मांगा इंसाफ, रामबन जिले में धारा 144 - पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती

सुरक्षा बलों व आतंकवादियों के बीच हुई हैदरपोरा एनकाउंटर में मारे गए नागरिकों में आमिर नाम का एक युवक भी था. पुलिस के अनुसार वह आतंकियों का साथ देता था. आमिर के पिता अब्दुल लतीफ ने बेटे की मौत पर सवाल उठाए हैं. लतीफ ने 2005 में एक आतंकी को पत्थर से कूचकर मार डाला था. उसके बाद सेना ने न सिर्फ उसे प्रशस्ति पत्र दिया था, बल्कि सुरक्षा भी मुहैया कराई थी. लतीफ पीओके को छोड़कर श्रीनगर में रहने आया था. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए रामबन जिले में निषेधाज्ञा लागू की गई है.

सुरक्षाबलों से मुठभेड़
सुरक्षाबलों से मुठभेड़
author img

By

Published : Nov 17, 2021, 11:46 AM IST

Updated : Nov 19, 2021, 6:57 AM IST

श्रीनगर : सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच सोमवार को हैदरपोरा एनकाउंटर में पुलिस ने जिन चार लोगों को मार गिराया था, उसमें अब्दुल लतीफ मागरे का बेटा आमिर भी था. आज मागरे अपने बेटे की मौत पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने पूछा है कि उनके बेटे की क्या खता थी. लेकिन पुलिस ने साफ कर दिया है कि मारे गए चारों युवक आतंकियों से सहयोगी थे.

बुधवार को रामबन जिले के कुछ गांवों में निषेधाज्ञा लागू करते हुए एक स्थान पर पांच या इससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई. यह कदम स्पष्ट रूप से प्रभावित परिवार के किसी भी विरोध को विफल करने के लिए उठाया गया है.

रामबन के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट हरबंस लाल शर्मा ने आमिर के परिवार के विरोध को रोकने के लिये संगलदान और सेरीपुरा के साथ फैमरोटे गांव में बुधवार सुबह 9 बजे से अगले आदेश तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने का आदेश दिया.

आदेश में कहा गया, 'वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, रामबन इस आदेश का अक्षरश: क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे.'

पुलिस के अनुसार रामबन के फैमरोटे गांव का निवासी मोहम्मद आमिर एक आतंकवादी था और हैदरपुरा में सोमवार शाम को हुई मुठभेड़ में अपने पाकिस्तानी साथी के साथ मारा गया. हैदरपुरा में कथित तौर पर एक अवैध कॉल सेंटर चलाया जा रहा था और यहां आतंकवादियों का एक ठिकाना था.

पुलिस ने बताया कि दो लोगों अल्ताफ भट और मुदस्सिर गुल की गोलीबारी में मौत हो गई, जिसके चलते उनके परिवारों में आक्रोश है. उन्होने दावा किया है कि वे निर्दोष थे और आतंकवाद से उनका कोई जुड़ाव नहीं था.

अब्दुल लतीफ मागरे ने दावा किया है कि आमिर निर्दोष था. लतीफ के अनुसार उनका बेटा श्रीनगर में एक दुकान में काम करता था. लतीफ का कहना है कि उसे अब तक बेटे का शव नहीं सौंपा गया है.

लतीफ ने कहा कि एक समय था, जब मैं खुद आतंकियों के खिलाफ था. मैंने खुद गोलियां खाई हैं. मेरा परिवार विस्थापित है. पुलिस ने इसके जवाब में कहा कि इसका मतलब ये नहीं हो जाता है कि आपका बेटा निर्दोष था. वह आतंकियों का साथ दे रहा था.

गौरतलब है कि साल 2005 में अब्दुल लतीफ मागरे ने एक आतंकी को पत्थर से मारकर मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद उन्हें सेना की ओर से सम्मानित भी किया गया था.

इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हैदरपोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ को लेकर मंगलवार को न्यायिक जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा, 'यह देखकर दुख होता है कि आपने (पुलिस ने) आतंकवादियों से लड़ते हुए नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.'

श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में सोमवार देर शाम हुई मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके स्थानीय सहयोगी मारे गए. इसके एक डॉक्टर भी शामिल था. पुलिस ने डॉक्टर को 'आतंकी सहयोगी' बताया है. हालांकि, परिवार वाले ऐसा नहीं मानते हैं.

राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रही हैं. उनका कहना है कि सरकार इसकी न्यायिक जांच करवाए.

ये भी पढ़ें - महबूबा ने हैदरपुरा में हुई मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग की

श्रीनगर : सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच सोमवार को हैदरपोरा एनकाउंटर में पुलिस ने जिन चार लोगों को मार गिराया था, उसमें अब्दुल लतीफ मागरे का बेटा आमिर भी था. आज मागरे अपने बेटे की मौत पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने पूछा है कि उनके बेटे की क्या खता थी. लेकिन पुलिस ने साफ कर दिया है कि मारे गए चारों युवक आतंकियों से सहयोगी थे.

बुधवार को रामबन जिले के कुछ गांवों में निषेधाज्ञा लागू करते हुए एक स्थान पर पांच या इससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई. यह कदम स्पष्ट रूप से प्रभावित परिवार के किसी भी विरोध को विफल करने के लिए उठाया गया है.

रामबन के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट हरबंस लाल शर्मा ने आमिर के परिवार के विरोध को रोकने के लिये संगलदान और सेरीपुरा के साथ फैमरोटे गांव में बुधवार सुबह 9 बजे से अगले आदेश तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने का आदेश दिया.

आदेश में कहा गया, 'वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, रामबन इस आदेश का अक्षरश: क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे.'

पुलिस के अनुसार रामबन के फैमरोटे गांव का निवासी मोहम्मद आमिर एक आतंकवादी था और हैदरपुरा में सोमवार शाम को हुई मुठभेड़ में अपने पाकिस्तानी साथी के साथ मारा गया. हैदरपुरा में कथित तौर पर एक अवैध कॉल सेंटर चलाया जा रहा था और यहां आतंकवादियों का एक ठिकाना था.

पुलिस ने बताया कि दो लोगों अल्ताफ भट और मुदस्सिर गुल की गोलीबारी में मौत हो गई, जिसके चलते उनके परिवारों में आक्रोश है. उन्होने दावा किया है कि वे निर्दोष थे और आतंकवाद से उनका कोई जुड़ाव नहीं था.

अब्दुल लतीफ मागरे ने दावा किया है कि आमिर निर्दोष था. लतीफ के अनुसार उनका बेटा श्रीनगर में एक दुकान में काम करता था. लतीफ का कहना है कि उसे अब तक बेटे का शव नहीं सौंपा गया है.

लतीफ ने कहा कि एक समय था, जब मैं खुद आतंकियों के खिलाफ था. मैंने खुद गोलियां खाई हैं. मेरा परिवार विस्थापित है. पुलिस ने इसके जवाब में कहा कि इसका मतलब ये नहीं हो जाता है कि आपका बेटा निर्दोष था. वह आतंकियों का साथ दे रहा था.

गौरतलब है कि साल 2005 में अब्दुल लतीफ मागरे ने एक आतंकी को पत्थर से मारकर मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद उन्हें सेना की ओर से सम्मानित भी किया गया था.

इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हैदरपोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ को लेकर मंगलवार को न्यायिक जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा, 'यह देखकर दुख होता है कि आपने (पुलिस ने) आतंकवादियों से लड़ते हुए नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.'

श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में सोमवार देर शाम हुई मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके स्थानीय सहयोगी मारे गए. इसके एक डॉक्टर भी शामिल था. पुलिस ने डॉक्टर को 'आतंकी सहयोगी' बताया है. हालांकि, परिवार वाले ऐसा नहीं मानते हैं.

राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रही हैं. उनका कहना है कि सरकार इसकी न्यायिक जांच करवाए.

ये भी पढ़ें - महबूबा ने हैदरपुरा में हुई मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग की

Last Updated : Nov 19, 2021, 6:57 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.