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'मृत्यु प्रमाण पत्र पर आधार का ब्योरा जरूरी नहीं' - madras high court death certificate

मृत्यु प्रमाण पत्र में आधार का ब्योरा क्यों जरूरी है. मद्रास हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता की उस दलील को नकार दिया, जिसमें उसने डेथ सर्टिफिकेट पर आधार का ब्योरा शामिल करने की मांग की थी. अदालत ने कहा कि यह फैसला संसद और चुनाव आयोग का होगा, न कि कोर्ट का.

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आधार कार्ड
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Published : Jul 14, 2021, 9:39 PM IST

हैदराबाद : मद्रास हाईकोर्ट ने उस सुझाव को नकार दिया है, जिसमें मांग की गई थी कि मृत्यु प्रमाण पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए ताकि चुनाव आयोग उनका नाम मतदाता सूची (electoral roll) से हटा सके.

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) में आधार का ब्योरा शामिल करने से चुनाव आयोग (election commission) आसानी से सत्यापित कर सकता है.

मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह निर्णय संसद और चुनाव आयोग का होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि ये एजेंसियां इस मामले पर बेहतर निर्णय ले सकती हैं. मतदाता सूची को और बेहतर कैसे बनाया जाए, वे निर्णय ले सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि मतदाता सूची की शुचिता बरकरार रहे, उसमे नामों का दोहराव न हो और जो व्यक्ति अब इस दुनिया में नहीं है, उनका नाम तत्काल हटाया जा सके.

कोर्ट ने कहा कि वैसे भी राज्य विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है. लिहाजा, अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं बनता है. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जा रहा है.

अदालत ने कहा कि जाहिर है याचिकाकर्ता का सुझाव अच्छा है. चुनाव आयोग को यह देखना चाहिए कि मृतकों के नाम मतदाता सूची से तत्काल हटे. पर इसके लिए चुनाव आयोग को हम निर्देश जारी नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें : क्या 'सर' कहने से जजों की गरिमा कम हो जाती है ?

हैदराबाद : मद्रास हाईकोर्ट ने उस सुझाव को नकार दिया है, जिसमें मांग की गई थी कि मृत्यु प्रमाण पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए ताकि चुनाव आयोग उनका नाम मतदाता सूची (electoral roll) से हटा सके.

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) में आधार का ब्योरा शामिल करने से चुनाव आयोग (election commission) आसानी से सत्यापित कर सकता है.

मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह निर्णय संसद और चुनाव आयोग का होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि ये एजेंसियां इस मामले पर बेहतर निर्णय ले सकती हैं. मतदाता सूची को और बेहतर कैसे बनाया जाए, वे निर्णय ले सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि मतदाता सूची की शुचिता बरकरार रहे, उसमे नामों का दोहराव न हो और जो व्यक्ति अब इस दुनिया में नहीं है, उनका नाम तत्काल हटाया जा सके.

कोर्ट ने कहा कि वैसे भी राज्य विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है. लिहाजा, अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं बनता है. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जा रहा है.

अदालत ने कहा कि जाहिर है याचिकाकर्ता का सुझाव अच्छा है. चुनाव आयोग को यह देखना चाहिए कि मृतकों के नाम मतदाता सूची से तत्काल हटे. पर इसके लिए चुनाव आयोग को हम निर्देश जारी नहीं करेंगे.

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