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पहाड़ी संस्कृति और साहसिक पर्यटन का 'कॉकटेल', जानें NIM के इस म्यूजियम की खासियत - nehru institute of mountaineering in uttarkashi

उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ी शैली में म्यूजियम बनाया गया है. जिसमें आप पर्वतारोहण और साहसिक गतिविधियों का अद्भुत अनुभव करेंगे.

उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ी शैली में म्यूजियम बनाया गया
उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ी शैली में म्यूजियम बनाया गया
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Published : Sep 1, 2021, 5:02 AM IST

उत्तरकाशी: अगर आपको भी पर्वतारोहण और साहसिक गतिविधियों (mountaineering and adventure activities) में दिलचस्पी है तो ये खबर आपकों रोमांचित कर देगी. इसके लिए आपको अब बर्फीली चोटियों के बीच जाने की जरूरत नहीं है. बल्कि आप नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) में पहाड़ी शैली में म्यूजियम में क्रेवास (crevasses in Museum) के ऊपर से चलकर इस अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं.

जी हां, क्योंकि आप भी ऊंचे-ऊंचे बर्फीली चोटियों के बीच क्रेवास के ऊपर सीढ़ी के सहारे पार करने अनुभव यहां ले सकते हैं. साथ ही पर्वतारोहण सहित चारों धामों और पहाड़ी संस्कृति (mountain culture) से भी इस म्यूजियम में 3डी ऑडियो और विजुअल के साथ रूबरू हो सकते हैं. निम के अधिकारियों का कहना है कि यह उत्तर भारत का पहला इस प्रकार का म्यूजियम है.

पहाड़ी संस्कृति और साहसिक पर्यटन

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) में पर्वतारोहण और पहाड़ की संस्कृति से देश और विदेश के लोगों को जीवंत रूबरू कराने के लिए 2019 में करीब आठ करोड़ की लागत से पहाड़ी शैली में म्यूजियम का निर्माण शुरू किया गया. जिसमें पहाड़ी पत्थरों सहित लकड़ी का प्रयोग कर इसको खूबसूरत रूप दिया गया है.

संग्राहालय अध्यक्ष डॉ. विशाल रंजन ने बताया कि यह उत्तर भारत का पहला म्यूजियम होगा, जहां पर पर्वतारोहण से जुड़ी बारीकियों को 3डी ऑडियो और विजुअलाइजेशन के साथ दिखाया गया है. उन्होंने ने बताया कि किस प्रकार नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पर्वतारोही अपने प्रशिक्षण के दौरान बेसिक से लेकर रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन के साथ ऊंची-ऊंची चोटियों के आरोहण के समय गुर सीखते हैं.

ये भी पढ़ें: Test The Fear: रोमांच के शौकीनों के लिए खुल गई दुनिया की सबसे खतरनाक गली 'गरतांग'

यह सब इस म्यूजियम में जीवंत दिखता है. इसके साथ ही सबसे अहम क्रेवास को पार करने का अनुभव यहां पर लिया जा सकता है. म्यूजियम में पहाड़ की संस्कृति, पारंपरिक शैली सहित जीवन शैली सहित चारों धामों का जीवंत रूप देखने को मिलता है. पहाड़ की ठेढ जीवनशैली के रंग इस संग्राहालय में देखने को मिलेंगे.

वहीं, यह नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में बना यह म्यूजियम जनपद के पर्यटन के लिए एक मिल का पत्थर साबित हो सकता है. संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि संग्राहालय के उद्धघाटन के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सितंबर माह में निम आ सकते हैं. केंद्रीय रक्षा मंत्री के कार्यक्रम के लिए प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया गया है. साथ ही संग्रहालय निम की ट्रेनिंग और पहाड़ की जीवन शैली को महसूस करने का अनुभव देता है.

उत्तरकाशी: अगर आपको भी पर्वतारोहण और साहसिक गतिविधियों (mountaineering and adventure activities) में दिलचस्पी है तो ये खबर आपकों रोमांचित कर देगी. इसके लिए आपको अब बर्फीली चोटियों के बीच जाने की जरूरत नहीं है. बल्कि आप नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) में पहाड़ी शैली में म्यूजियम में क्रेवास (crevasses in Museum) के ऊपर से चलकर इस अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं.

जी हां, क्योंकि आप भी ऊंचे-ऊंचे बर्फीली चोटियों के बीच क्रेवास के ऊपर सीढ़ी के सहारे पार करने अनुभव यहां ले सकते हैं. साथ ही पर्वतारोहण सहित चारों धामों और पहाड़ी संस्कृति (mountain culture) से भी इस म्यूजियम में 3डी ऑडियो और विजुअल के साथ रूबरू हो सकते हैं. निम के अधिकारियों का कहना है कि यह उत्तर भारत का पहला इस प्रकार का म्यूजियम है.

पहाड़ी संस्कृति और साहसिक पर्यटन

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) में पर्वतारोहण और पहाड़ की संस्कृति से देश और विदेश के लोगों को जीवंत रूबरू कराने के लिए 2019 में करीब आठ करोड़ की लागत से पहाड़ी शैली में म्यूजियम का निर्माण शुरू किया गया. जिसमें पहाड़ी पत्थरों सहित लकड़ी का प्रयोग कर इसको खूबसूरत रूप दिया गया है.

संग्राहालय अध्यक्ष डॉ. विशाल रंजन ने बताया कि यह उत्तर भारत का पहला म्यूजियम होगा, जहां पर पर्वतारोहण से जुड़ी बारीकियों को 3डी ऑडियो और विजुअलाइजेशन के साथ दिखाया गया है. उन्होंने ने बताया कि किस प्रकार नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पर्वतारोही अपने प्रशिक्षण के दौरान बेसिक से लेकर रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन के साथ ऊंची-ऊंची चोटियों के आरोहण के समय गुर सीखते हैं.

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यह सब इस म्यूजियम में जीवंत दिखता है. इसके साथ ही सबसे अहम क्रेवास को पार करने का अनुभव यहां पर लिया जा सकता है. म्यूजियम में पहाड़ की संस्कृति, पारंपरिक शैली सहित जीवन शैली सहित चारों धामों का जीवंत रूप देखने को मिलता है. पहाड़ की ठेढ जीवनशैली के रंग इस संग्राहालय में देखने को मिलेंगे.

वहीं, यह नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में बना यह म्यूजियम जनपद के पर्यटन के लिए एक मिल का पत्थर साबित हो सकता है. संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि संग्राहालय के उद्धघाटन के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सितंबर माह में निम आ सकते हैं. केंद्रीय रक्षा मंत्री के कार्यक्रम के लिए प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया गया है. साथ ही संग्रहालय निम की ट्रेनिंग और पहाड़ की जीवन शैली को महसूस करने का अनुभव देता है.

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