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'केवल ब्राह्मण' श्मशान पर विवाद के बाद बदला नाम, अब बना 'स्वर्ग द्वार' - ओडिशा के केवल ब्राह्मण श्मशान

ओडिशा के केंद्रपाड़ा में केवल ब्राह्मण श्मशान घाट की आलोचना के बाद अब उसका नाम स्वर्गद्वार कर दिया गया है. यहां यह काफी समय से ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं अन्य जातियों के लोग अपने रिश्तेदारों के शवों का अंतिम संस्कार पास के एक अन्य श्मशान में करते हैं. पढ़िए पूरी खबर... Odishas Brahmin only creamtoriums name, changed to Swaragadwar,Kendrapara Shmashan

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श्मशान
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 7:35 PM IST

केंद्रपाड़ा: ओडिशा में एक नागरिक निकाय के अधिकारियों को 'केवल ब्राह्मण' श्मशान घाट पर आलोचना का सामना करने के एक दिन बाद, उन्होंने बुधवार को श्मशान घाट का नाम बदलकर 'स्वर्गद्वार' कर दिया गया. इससे समाज का वह पाखंड भी उजागर हो गया जहां मृतकों को भी उचित सम्मान नहीं दिया जाता है. हालांकि, श्मशान की चाबी अभी भी एक ब्राह्मण व्यक्ति के पास होती है.

राज्य की 155 साल पुरानी सबसे पुरानी केंद्रपाड़ा नगर पालिका ने पहले शहर के हजारी बागीचा इलाके में श्मशान घाट के प्रवेश द्वार पर 'ब्राह्मण श्मशान' का साइनबोर्ड लगाया था. स्थानीय सूत्रों ने कहा कि हालांकि श्मशान लंबे समय से ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं सरकारी अनुदान के साथ सुविधा के नवीनीकरण के बाद हाल ही में आधिकारिक बोर्ड लगाया गया था.

इस बारे में बताया गया कि अन्य जातियों के लोग अपने रिश्तेदारों के शवों का अंतिम संस्कार पास के एक अन्य श्मशान में करते हैं, जिसे हाल ही में पुनर्निर्मित किया गया था. केंद्रपाड़ा नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी प्रफुल्ल चंद्र बिस्वाल ने इस बारे में मंगलवार को कहा था कि कथित जातिगत भेदभाव को ठीक करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. इस मामले की दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने आलोचना की है.

इसी क्रम में ओडिशा दलित समाज की जिला इकाई के अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने कहा कि मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नगर पालिका लंबे समय से केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान का रखरखाव कर रही है. ऐसा करके, सरकारी संस्था कानून तोड़ रही है और जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दे रही है. इस प्रथा को जल्द से जल्द ख़त्म किया जाना चाहिए. वहीं सीपीआई (एम) जिला इकाई के सचिव गयाधर धाल ने कहा कि किसी नागरिक निकाय द्वारा केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान चलाना गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि अन्य जातियों के लोगों को भी श्मशान घाट पर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि केवल ब्राह्मणों का श्मशान सभी जातियों के लोगों को संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों के लिए एक अलग श्मशान भूमि आवंटित करना जातिगत असमानता को बढ़ावा देना है. इस पर जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि जहां सभी जातियों के लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है उसका नाम स्वर्ग का प्रवेश द्वार कहा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग द्वार पर अंतिम संस्कार करने से स्वर्ग में जगह मिलती है.

ये भी पढ़ें - Watch Video : जालंधर में श्मशान घाट पर भरा था पानी, बुजुर्ग का सड़क किनारे किया अंतिम संस्कार

केंद्रपाड़ा: ओडिशा में एक नागरिक निकाय के अधिकारियों को 'केवल ब्राह्मण' श्मशान घाट पर आलोचना का सामना करने के एक दिन बाद, उन्होंने बुधवार को श्मशान घाट का नाम बदलकर 'स्वर्गद्वार' कर दिया गया. इससे समाज का वह पाखंड भी उजागर हो गया जहां मृतकों को भी उचित सम्मान नहीं दिया जाता है. हालांकि, श्मशान की चाबी अभी भी एक ब्राह्मण व्यक्ति के पास होती है.

राज्य की 155 साल पुरानी सबसे पुरानी केंद्रपाड़ा नगर पालिका ने पहले शहर के हजारी बागीचा इलाके में श्मशान घाट के प्रवेश द्वार पर 'ब्राह्मण श्मशान' का साइनबोर्ड लगाया था. स्थानीय सूत्रों ने कहा कि हालांकि श्मशान लंबे समय से ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं सरकारी अनुदान के साथ सुविधा के नवीनीकरण के बाद हाल ही में आधिकारिक बोर्ड लगाया गया था.

इस बारे में बताया गया कि अन्य जातियों के लोग अपने रिश्तेदारों के शवों का अंतिम संस्कार पास के एक अन्य श्मशान में करते हैं, जिसे हाल ही में पुनर्निर्मित किया गया था. केंद्रपाड़ा नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी प्रफुल्ल चंद्र बिस्वाल ने इस बारे में मंगलवार को कहा था कि कथित जातिगत भेदभाव को ठीक करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. इस मामले की दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने आलोचना की है.

इसी क्रम में ओडिशा दलित समाज की जिला इकाई के अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने कहा कि मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नगर पालिका लंबे समय से केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान का रखरखाव कर रही है. ऐसा करके, सरकारी संस्था कानून तोड़ रही है और जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दे रही है. इस प्रथा को जल्द से जल्द ख़त्म किया जाना चाहिए. वहीं सीपीआई (एम) जिला इकाई के सचिव गयाधर धाल ने कहा कि किसी नागरिक निकाय द्वारा केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान चलाना गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि अन्य जातियों के लोगों को भी श्मशान घाट पर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि केवल ब्राह्मणों का श्मशान सभी जातियों के लोगों को संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों के लिए एक अलग श्मशान भूमि आवंटित करना जातिगत असमानता को बढ़ावा देना है. इस पर जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि जहां सभी जातियों के लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है उसका नाम स्वर्ग का प्रवेश द्वार कहा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग द्वार पर अंतिम संस्कार करने से स्वर्ग में जगह मिलती है.

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