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8 सूत्रीय मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर ONGC कर्मी - भूख हड़ताल पर ONGC कर्मी

आठ सूत्रीय मांगों को लेकर ओएनजीसी (ONGC) त्रिपुरा एसेट के एक हजार से अधिक कर्मचारी और स्टाफ भूखहड़ताल हैं.

ONGC कर्मी
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Published : Apr 21, 2021, 2:28 PM IST

गुवाहाटी : ओएनजीसी (ONGC) त्रिपुरा एसेट के एक हजार से अधिक कर्मचारियों और स्टाफ के अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर भूखहड़ताल हैं. एसोसिएशन ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल ऑफिसर्स (एएसटीओ) के बैनर तले कर्मचारियों ने ओएनजीसी प्रबंधन के समक्ष आठ दिन के चार्टर ऑफ डिमांड को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया है.

कर्मचारियों के अनुसार, प्रमुख आठ सूत्रीय मांगों में शामिल है- पीआरबीएस (PRBS) खाते में नियोक्ता के योगदान में तत्काल 15 प्रतिशत की बहाली, एक जनवरी 2017 से क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों को वैधानिक भत्ते का भुगतान, अतिरिक्त कर्तव्यों के लिए मुआवजा, फील्ड गोइंग एग्जिक्यूटिव्स को सीऑफ (C-off) देना, एनई (NE) ट्रांसफर की तत्काल रिलीज और टीए (TA) खर्चों का संशोधन आदि.

पढ़ें- कांग्रेस विधायक को पीएम मोदी पर ट्वीट करना पड़ा महंगा, मांगी माफी

त्रिपुरा ओएनजीसी के अधिकांश अधिकारियों का तीन साल का कार्यकाल होता है. कार्यकाल पूरा होने के बाद, वह अपने नए कार्यों में जुट जाते हैं, लेकिन, कोविड-19 के कारण पिछले दो वर्षों से कोई हस्तांतरण नहीं हुआ. वहीं, पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवाजाही में प्रतिबंध के कारण, स्थानान्तरण को निलंबित कर दिया गया.

गुवाहाटी : ओएनजीसी (ONGC) त्रिपुरा एसेट के एक हजार से अधिक कर्मचारियों और स्टाफ के अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर भूखहड़ताल हैं. एसोसिएशन ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल ऑफिसर्स (एएसटीओ) के बैनर तले कर्मचारियों ने ओएनजीसी प्रबंधन के समक्ष आठ दिन के चार्टर ऑफ डिमांड को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया है.

कर्मचारियों के अनुसार, प्रमुख आठ सूत्रीय मांगों में शामिल है- पीआरबीएस (PRBS) खाते में नियोक्ता के योगदान में तत्काल 15 प्रतिशत की बहाली, एक जनवरी 2017 से क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों को वैधानिक भत्ते का भुगतान, अतिरिक्त कर्तव्यों के लिए मुआवजा, फील्ड गोइंग एग्जिक्यूटिव्स को सीऑफ (C-off) देना, एनई (NE) ट्रांसफर की तत्काल रिलीज और टीए (TA) खर्चों का संशोधन आदि.

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त्रिपुरा ओएनजीसी के अधिकांश अधिकारियों का तीन साल का कार्यकाल होता है. कार्यकाल पूरा होने के बाद, वह अपने नए कार्यों में जुट जाते हैं, लेकिन, कोविड-19 के कारण पिछले दो वर्षों से कोई हस्तांतरण नहीं हुआ. वहीं, पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवाजाही में प्रतिबंध के कारण, स्थानान्तरण को निलंबित कर दिया गया.

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