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सावधान ! बिना लक्षण के भी जानलेवा है कोरोना, कर्नाटक में 5 दिन में 790 की मौत - एसिम्प्टोमेटिक मरीजों की कोरोना से मौत

कर्नाटक में 5 दिन में कोरोना से 790 ऐसे लोगों की मौत हुई है जिनमें कोरोना के लक्षण ही नहीं थे. इन 5 दिनों में ऐसी मौत का आंकड़ा करीब 37 फीसदी दर्ज किया गया है. आखिर क्या है इसकी वजह, क्या कहते हैं एक्सपर्ट. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

बिना लक्षण वाली 'मौत'
बिना लक्षण वाली 'मौत'
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Published : May 11, 2021, 3:56 PM IST

बेंगलुरू: देशभर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है. रोजाना औसतन 3.5 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक रोजाना औसतन 3800 से 4 हजार मरीजों की मौत भी हो रही है. लेकिन इससे भी ज्यादा डरावना यह है कि कोरोना बिना लक्षण दिखाए भी लोगों की जान ले रहा है. सोचिये अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है लेकिन उसका शरीर में न तो कोई लक्षण दिखता है और ना ही कोरोना जांच के दौरान संक्रमण की पुष्टि होती है. लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो जाए और मौत की वजह कोरोना हो तो ये स्थिति सबके लिए डराने वाली है. कर्नाटक में इस महीने ऐसे एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों मौत के मामले सामने आए हैं.

5 दिन में 790 बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. रोजाना एक केस और मौत के आंकड़े ने भी सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लेकिन इस बीच सबसे बड़ी चिंता का विषय बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा है. इस महीने 4 मई से 8 मई के बीच अर्थात 5 दिन के दौरान कर्नाटक में 2140 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई, जिनमें से 790 मृतक ऐसे थे जिनमें कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं थे. इस हिसाब से इन 5 दिनों में ऐसे मरीजों की तादाद करीब 37 फीसद थी.

36% बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत
36% बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत

रोज सामने आ रहे हैं ऐसे मामले

कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में कोहराम मचाया हुआ है और कर्नाटक भी इससे अछूता नहीं है. बढ़ते संक्रमण के शुरुआती दिनों में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत का आंकड़ा बहुत कम था लेकिन 4 मई से 8 मई के बीच 5 दिनों में ऐसे 790 लोगों की मौत खतरे की घंटी बजा रही है.

4 मई, 2021- इस दिन कर्नाटक में कुल 392 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई जिनमें से 11 बिना लक्षण वाले थे. जो कुल मौत का 28.3 फीसदी थे

5 मई, 2021- पांच मई को कुल 346 कोरोना मरीजों की मौत हुई जिनमें से 136 मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे जो कि कुल मौत के 39.3 फीसदी थे

6 मई, 2021- सबसे ज्यादा डराने वाले आंकड़े 6 मई को सामने आए जब कोरोना से मरने वाले 50 फीसदी से ज्यादा मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे. 6 मई को 328 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई जिनमें 167 बिना लक्षण वाले थे.

7 मई, 2021- इस दिन कर्नाटक में मृतकों का आंकड़ा 592 पहुंच गया, इनमें से 208 मरीज ऐसे थे जिनमें लक्षण नहीं थे.

8 मई, 2021- आठ मई को कर्नाटक में 482 मरीजों की मौत हुई जिनमें से 34.8 फीसदी यानी 168 मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे.

कर्नाटक में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत
कर्नाटक में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मनिपाल अस्पताल के डॉक्टर सचिन बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा लहर में म्यूटेंट वायरस बहुत ही खतरनाक है जो बहुत तेजी से फैलता है. डॉ. सचिन के मुताबिक कोरोना का नया म्यूटेंट फेफड़ों को निशाना बनाता है और आरटीपीसीआर में भी इसका पता नहीं चलता है. सिर्फ सीटी स्कैन के जरिये ही फेफड़ों में हो रहे संक्रमण का पता चलता है और ज्यादातर मामलों में बहुत देर हो चुकी होती है.

ऐसे मामले ज्यादा खतरनाक हैं

विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामले ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि वो अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी खतरा बन रहा है. पहले तो वो अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित करते रहते हैं क्योंकि उन्हें कोरोना के कोई लक्षण नहीं होते. इस तरह का संक्रमित व्यक्ति आरटीपीसीआर जांच के दौरान भी नेगेटिव पाया जाता है. ऐसे में वो डॉक्टरी सलाह या इलाज भी नहीं लेते और कोरोना कुछ ही दिनों में उनके फेफड़ों को इतना संक्रमित कर देता है कि उसकी मौत तक हो जाती है. कर्नाटक में 5 दिन में 790 ऐसे लोगों की मौत इसकी गवाही देते हैं.

कब जाएं डॉक्टर के पास ?
कब जाएं डॉक्टर के पास ?

ऐसे में क्या करें

विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना का नया म्यूटेंट बहुत तेजी से फैलता हुआ सीधे फेफड़ों को खोखला कर रहा है. संक्रमित शख्स को शुरुआत में लक्षण नजर नहीं आते लेकिन जब तक उसे पता चलता है तब तक फेफड़ों में संक्रमण इतना फैल चुका होता है कि उसे सीधे आईसीयू में भर्ती करवाना पड़ता है और कई मरीजों की मौत हो जाती है. ऐसे में एक्सपर्ट मानते हैं कि डॉक्टरी सलाह के साथ-साथ मामूली लक्षणों की अनदेखी सबसे ज्यादा जानलेवा साबित होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब लक्षण नहीं नजर आएंगे और जांच रिपोर्ट भी नेगेटिव आएगी तो आखिर ऐसे मरीज क्या करें और कब ऐसे लोगों को डॉक्टरों के पास जाना चाहिए.

- कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने, यात्रा से लौटने या आस-पास केस बढ़ने पर सावधान हो जाएं और जांच करवाएं.

-थकावट होने, सांस फूलने या सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह लें.

-ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करते रहें, 94 से नीचे आने पर डॉक्टर से संपर्क करें.

- समय-समय पर डॉक्टरी सलाह पर फेफड़ों की जांच करवाएं.

-धूम्रपान करने वाले लोग अधिक सावधानी बरतें.

-मामूली लक्षण दिखने पर भी डॉक्टरी सलाह लें.

कई विशेषज्ञ कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी दोबारा टेस्ट करवाने या फेफड़ों की जांच करवाने की सलाह देते हैं. क्योंकि कोरोना का नया म्यूटेंट फफड़ों को खराब कर रहा है. कर्नाटक में 5 दिन में 790 लोगों की मौत के मामले एक बानगी है क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र समेत कुछ और प्रदेशों में भी ऐसे मामले सामने आए थे जहां बिना लक्षण के बावजूद लोग कोरोना संक्रमित पाए गए. ऐसे में आपकी सावधानी ही आपका बचाव है.

ये भी पढ़ें: ये मामूली लक्षण हो सकते हैं कोरोना की निशानी, डॉक्टर से मिलें और बरतें सावधानियां

बेंगलुरू: देशभर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है. रोजाना औसतन 3.5 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक रोजाना औसतन 3800 से 4 हजार मरीजों की मौत भी हो रही है. लेकिन इससे भी ज्यादा डरावना यह है कि कोरोना बिना लक्षण दिखाए भी लोगों की जान ले रहा है. सोचिये अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है लेकिन उसका शरीर में न तो कोई लक्षण दिखता है और ना ही कोरोना जांच के दौरान संक्रमण की पुष्टि होती है. लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो जाए और मौत की वजह कोरोना हो तो ये स्थिति सबके लिए डराने वाली है. कर्नाटक में इस महीने ऐसे एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों मौत के मामले सामने आए हैं.

5 दिन में 790 बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. रोजाना एक केस और मौत के आंकड़े ने भी सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लेकिन इस बीच सबसे बड़ी चिंता का विषय बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा है. इस महीने 4 मई से 8 मई के बीच अर्थात 5 दिन के दौरान कर्नाटक में 2140 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई, जिनमें से 790 मृतक ऐसे थे जिनमें कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं थे. इस हिसाब से इन 5 दिनों में ऐसे मरीजों की तादाद करीब 37 फीसद थी.

36% बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत
36% बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की मौत

रोज सामने आ रहे हैं ऐसे मामले

कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में कोहराम मचाया हुआ है और कर्नाटक भी इससे अछूता नहीं है. बढ़ते संक्रमण के शुरुआती दिनों में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत का आंकड़ा बहुत कम था लेकिन 4 मई से 8 मई के बीच 5 दिनों में ऐसे 790 लोगों की मौत खतरे की घंटी बजा रही है.

4 मई, 2021- इस दिन कर्नाटक में कुल 392 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई जिनमें से 11 बिना लक्षण वाले थे. जो कुल मौत का 28.3 फीसदी थे

5 मई, 2021- पांच मई को कुल 346 कोरोना मरीजों की मौत हुई जिनमें से 136 मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे जो कि कुल मौत के 39.3 फीसदी थे

6 मई, 2021- सबसे ज्यादा डराने वाले आंकड़े 6 मई को सामने आए जब कोरोना से मरने वाले 50 फीसदी से ज्यादा मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे. 6 मई को 328 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई जिनमें 167 बिना लक्षण वाले थे.

7 मई, 2021- इस दिन कर्नाटक में मृतकों का आंकड़ा 592 पहुंच गया, इनमें से 208 मरीज ऐसे थे जिनमें लक्षण नहीं थे.

8 मई, 2021- आठ मई को कर्नाटक में 482 मरीजों की मौत हुई जिनमें से 34.8 फीसदी यानी 168 मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे.

कर्नाटक में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत
कर्नाटक में बिना लक्षण वाले मरीजों की मौत

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मनिपाल अस्पताल के डॉक्टर सचिन बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा लहर में म्यूटेंट वायरस बहुत ही खतरनाक है जो बहुत तेजी से फैलता है. डॉ. सचिन के मुताबिक कोरोना का नया म्यूटेंट फेफड़ों को निशाना बनाता है और आरटीपीसीआर में भी इसका पता नहीं चलता है. सिर्फ सीटी स्कैन के जरिये ही फेफड़ों में हो रहे संक्रमण का पता चलता है और ज्यादातर मामलों में बहुत देर हो चुकी होती है.

ऐसे मामले ज्यादा खतरनाक हैं

विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामले ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि वो अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी खतरा बन रहा है. पहले तो वो अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित करते रहते हैं क्योंकि उन्हें कोरोना के कोई लक्षण नहीं होते. इस तरह का संक्रमित व्यक्ति आरटीपीसीआर जांच के दौरान भी नेगेटिव पाया जाता है. ऐसे में वो डॉक्टरी सलाह या इलाज भी नहीं लेते और कोरोना कुछ ही दिनों में उनके फेफड़ों को इतना संक्रमित कर देता है कि उसकी मौत तक हो जाती है. कर्नाटक में 5 दिन में 790 ऐसे लोगों की मौत इसकी गवाही देते हैं.

कब जाएं डॉक्टर के पास ?
कब जाएं डॉक्टर के पास ?

ऐसे में क्या करें

विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना का नया म्यूटेंट बहुत तेजी से फैलता हुआ सीधे फेफड़ों को खोखला कर रहा है. संक्रमित शख्स को शुरुआत में लक्षण नजर नहीं आते लेकिन जब तक उसे पता चलता है तब तक फेफड़ों में संक्रमण इतना फैल चुका होता है कि उसे सीधे आईसीयू में भर्ती करवाना पड़ता है और कई मरीजों की मौत हो जाती है. ऐसे में एक्सपर्ट मानते हैं कि डॉक्टरी सलाह के साथ-साथ मामूली लक्षणों की अनदेखी सबसे ज्यादा जानलेवा साबित होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब लक्षण नहीं नजर आएंगे और जांच रिपोर्ट भी नेगेटिव आएगी तो आखिर ऐसे मरीज क्या करें और कब ऐसे लोगों को डॉक्टरों के पास जाना चाहिए.

- कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने, यात्रा से लौटने या आस-पास केस बढ़ने पर सावधान हो जाएं और जांच करवाएं.

-थकावट होने, सांस फूलने या सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह लें.

-ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करते रहें, 94 से नीचे आने पर डॉक्टर से संपर्क करें.

- समय-समय पर डॉक्टरी सलाह पर फेफड़ों की जांच करवाएं.

-धूम्रपान करने वाले लोग अधिक सावधानी बरतें.

-मामूली लक्षण दिखने पर भी डॉक्टरी सलाह लें.

कई विशेषज्ञ कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी दोबारा टेस्ट करवाने या फेफड़ों की जांच करवाने की सलाह देते हैं. क्योंकि कोरोना का नया म्यूटेंट फफड़ों को खराब कर रहा है. कर्नाटक में 5 दिन में 790 लोगों की मौत के मामले एक बानगी है क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र समेत कुछ और प्रदेशों में भी ऐसे मामले सामने आए थे जहां बिना लक्षण के बावजूद लोग कोरोना संक्रमित पाए गए. ऐसे में आपकी सावधानी ही आपका बचाव है.

ये भी पढ़ें: ये मामूली लक्षण हो सकते हैं कोरोना की निशानी, डॉक्टर से मिलें और बरतें सावधानियां

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