हैदराबाद : भारत की सफलता की कहानी की शुरुआत अर्थव्यवस्था से होती है. यह तरक्की का वह पैमाना है, जिससे प्रगति आंकी जाती है. आर्थिक कहानी बताती है कि भारत कितना सशक्त हुआ है.
अर्थव्यवस्था : भारत का पहला बजट 5 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के लिए पेश किया गया था. इसमें करीब 171 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था, बजट में अनुमानित खर्च करीब 197 करोड़ रुपये का था.1947 में गरीबी से जूझ रहा भारत इन 75 वर्षों में विश्व की 5 बड़ी अर्थवस्था वाले देश के क्लब में शामिल हो गया है. इससे पहले भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 60 साल लगे. 1991 में उदारीकरण के बाद 2007 में भारत की जीडीपी एक ट्रिलियन डॉलर की हो गई. 1 ट्रिलियन से 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 10 साल बीत गए. 2017 में भारत 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया. इसके 4 साल बाद 2021 में भारत की इकोनॉमी 3 ट्रिलियन डॉलर की हो गई. उदारीकरण के बाद निवेश का दौर भी शुरू हुआ. संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत में 64 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया और विदेशी निवेश के लिहाज से हम दुनिया में पांचवे नंबर पर रहे.
- साल 1947 में जब हमारा देश आजाद हुआ था, तब भारत दुनिया की जीडीपी का केवल 3 फीसदी की हिस्सेदारी करता था. 2021 की आर्थिक दुनिया में भारत का शेयर 7.45 फीसदी है.
- जब देश आजाद हुआ था तब डॉलर और रुपये की कीमत बराबर थी. एक रुपया की वैल्यू एक डॉलर थी. 75 साल में एक डॉलर की कीमत करीब 77 रुपये हो गई है.
- 1947 में भारत की 70 फीसदी आबादी गरीबी रेखा में आती थी जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 21 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है.
- उस समय सोना 88 रुपये प्रति तोला बिकता था, आज गोल्ड के रेट करीब 56 हजार प्रति 10 ग्राम से अधिक है.
आबादी : 75 साल में भारत की आबादी करीब 4 गुनी से ज्यादा हो गई है. आजादी के बाद भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी. 2011 की जनगणना में भारत की आबादी एक अरब 21 करोड़ थी. ग्रोथ रेट के हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2021 में भारत की आबादी करीब एक अरब 40 करोड़ होगी. 1947 में डेंनसिटी 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर थी, अब 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. वर्ल्ड वैरोमीटर के मुताबिक भारत की आबादी विश्व की जनसंख्या का 17.7 प्रतिशत है. आजादी के दौरान देश में 84.1 फीसद हिंदू, 9.8 फीसद मुस्लिम, 1.89 पर्सेंट सिख, 2.3 पर्सेंट क्रिश्चियन और 0.46 पर्सेंट बौद्ध थे. 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 80.5% हिंदू, 13.4% मुस्लिम, 1.9 पर्सेंट सिख, 0.8 पर्सेंट बौद्ध हैं.
- भारत की 35 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है, आजादी के बाद महज 17 फीसद लोग शहरों मे रहते थे.
- 2021 में भारत की औसत आयु 28.4 वर्ष आंकी गई है. यानी भारत विश्व के युवा देश में शुमार है.
- 1947 में भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 32 साल थी, अभी आंकलन किया गया है कि आम आदमी की औसत जिंदगी 69.4 वर्ष हो गई है.
शिक्षा : साल 1947 में पूरे भारत में कुल 27 विश्वविद्यालय हुआ करते थे. अब देश में यूनिवर्सिटीज की संख्या बढ़ कर 565 के पार पहुंच चुकी है. 1951 में लगभग 13 हजार प्राथमिक और 7,000 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय थे. 2011 में योजना आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक भारत में स्कूलों की कुल संख्या लगभग 15 लाख है. 1951 में देश की साक्षरता दर 12 प्रतिशत थी, जो आज 74.37 प्रतिशत से अधिक है. आजादी के साल तक देश के सिर्फ 46 फीसदी बच्चे स्कूल जाते थे जबकि आज 96 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं.
- भारत में IIT कॉलेजों की संख्या 23 है, इनमें सीटों कुल संख्या 11,279 हैं
- भारत में कुल मेडिकल कॉलेज 562 है उसमे से 286 सरकारी मेडिकल कॉलेज है वही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की संख्या 276 है
- वर्तमान में भारत में 5000 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनमें से लगभग 4000 से अधिक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज हैं
- क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में विश्व के टॉप 200 शिक्षण संस्थानों में तीन भारतीय संस्थानों ने अपनी जगह बनाई है. टाइम्स हायर एजुकेशन एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में 18 विश्वविद्यालयों ने टॉप 200 में स्थान प्राप्त किया है.
- भारत में 6-13 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. इनमें से अधिकांश एससी-एसटी और मॉइनरिटी कैटिगरी के हैं.
स्वास्थ्य : आजादी के बाद मेडिकल साइंस ने भारत में तरक्की की. इसका फायदा भी नजर आया. मेडिकल कॉलेज की संख्या भी बढ़ी. इस कारण मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आई और आम भारतीय की लाइफ में उम्र के पड़ाव जुड़ गए. इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक, भारत जब आजाद हुआ था तब देश में कुल डॉक्टरों की संख्या 50 हजार थी. सभी राज्यों को मिलाकर 725 प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर थे. अभी भारत में करीब 12.5 लाख एलोपैथ के डॉक्टर हैं. जिनमें से 3.71 लाख एक्सपर्ट हैं. अभी 75500 से अधिक प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर लोगों का इलाज हो रहा है. रिपोर्टस के अनुसार, 2019 तक देश में करीब 69 हजार से अधिक रजिस्टर्ड हॉस्पिटल हैं. उत्तर प्रदेश में ही 17 हजार से अधिक अस्पताल हैं.
- स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, पर्याप्त इलाज नहीं मिलने से लगभग एक मिलियन भारतीयों की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती है
- 80 प्रतिशत एक्सपर्ट डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध हैं. इस कारण 70 करोड़ की आबादी को अपेक्षित इलाज नहीं मिल पाता है
- विश्व में हॉस्पिटल बेड का ऐवरेज1000 की आबादी के हिसाब से 3.96 है, जबकि भारत में यह 0.7 ही है.
- हेल्थ के आवंटित बजट का 70 प्रतिशत वेतन और पारिश्रमिक का व्यय होता है, इससे सेवाओं के विस्तार के लिए मुश्किल से संसाधन बचता है.
- देश में 11 हज़ार की आबादी पर एक एलोपैथिक डॉक्टर है, जो संख्या तय मानकों से 11 गुना कम है.
सुरक्षा : भारत दुनिया का चौथा शक्तिशाली देश है. पावरफुल सेना के मामले में चीन, अमेरिका और रुस के बाद भारत का नंबर है. रैकिंग में यह फ्रांस और इंग्लैंड से काफी आगे है. आज भारत 71 अरब डॉलर यानी लगभग 4,71,378 करोड़ रुपये अपनी सुरक्षा के लिए खर्च करता है. जबकि स्वतंत्र भारत के पहले बजट में यह राशि 92.74 करोड़ रुपये थी. 1947 भारत में कुल 4 लाख सैनिक थे. बंटवारे के बाद भारत के हिस्से में तो 2.6 लाख हिंदू और सिख सैनिक आए. आज इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) के मुताबिक, भारत के पास 14 लाख रेग्युलर सैनिक हैं. इसके अलावा देश में अर्धसैनिक बलों की संख्या 20 लाख से अधिक है. भारत के पास 9719 तोप, 3100 इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन, 3563 युद्ध टैंक, 336 सशस्त्र पर्सनल कैरियर्स और 9719 तोप हैं. भारत की वायु सैनिकों की संख्या 127,200 है. भारतीय नेवी के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर, 16 सबमरीन्स, 13 फ्रिगेट्स, 106 कोस्टल जहाज हैं. साथ में निगरानी के लिए 67,700 जवानों का दस्ता भी है.
- भारत की नौसेना पाकिस्तान की नौसेना की तुलना में तिगुनी है.
- सेना में जातियों और इलाके के नाम पर रेजिमेंट हैं. राजपूताना, जाट, सिख, पंजाब, मद्रास, डोगरा, कुमाऊं, गोरखा, गढ़वाल, जम्मू कश्मीर, नागा, असम और बिहार रेजिमेंट आदि. यह दुनिया की इकलौती परंपरा है
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Remarkable 243% growth.
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 11, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
India’s IT sector is emerging as a big destination for significant Foreign direct investment (FDI). pic.twitter.com/5TUFefOlrt
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75 सालों में भारत कंप्यूटर और दूर संचार क्रांति का हिस्सा बना. भारत का टेलिकॉम सेक्टर नेटवर्क दुनिया में दूसरे नंबर पर है. भारत में 1179.49 मिलियन ग्राहकों के पास फिक्स्ड और मोबाइल फोन है. भारत के टेलिकॉम सेक्टर में निजी ऑपरेटरों का बाजार 89. 50 प्रतिशत है. सॉफ्टवेयर निर्यात में भारत वर्ल्ड मार्केट का करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी रखता है. 2019-20 में भारतीय कंपनियों ने 250 बिलियन यूएस डॉलर के उत्पाद बेचे. 2020 में आईटी उद्योग का भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 8% हिस्सा था. अंतरिक्ष में भी भारत का दबदबा बढ़ा है. 2019 तक ISRO ने 370 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे थे. इस साल भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में 13,479.47 करोड़ खर्च कर रहा है. इसरो की योजना साल 2022 में 'गगनयान' को अंतरिक्ष में भेजने की है, जिसकी लागत 10,000 करोड़ रुपये होगी.