बीकानेर. आस्था और विश्वास के बल पर भक्ति के कई अनूठे नजारे हम सभी को समय-समय पर देखने को मिलते हैं. श्रद्धा के सागर में डूबकी लगाने वाले कई भक्त ऐसे हुए हैं, जिनकी भक्ति की चर्चा हमेशा होती रही है. आस्था और विश्वास का ऐसा ही अनूठा नजारा इन दिनों सड़क पर देखने को मिल रहा है. कोलकाता के 73 वर्षीय गोपालदास राठी का राजस्थान के बीकानेर में स्थित देशनोक करणी माता के प्रति ऐसी अटूट आस्था है कि वे पैदल ही 2000 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने में जुटे हैं. 13 अगस्त को कोलकाता से रवाना हुए गोपाल दास राठी अब तक आधा से ज्यादा सफर तय कर चुके हैं. इस पदयात्रा का कारण पूछने पर वो इतना ही कहते हैं कि मां की भक्ति उन्हें लेकर जा रही है.
दो महीने में तय होगी दूरी : कोलकाता से देशनोक की दूरी करीब 2000 किलोमीटर है, जो दो महीने में पूरी होगी. 13 अगस्त को कोलकाता से गोपाल दास राठी देशनोक के लिए पैदल रवाना हुए और अब तक करीब 37 दिन में वे 1100 किलोमीटर पैदल चल चुके हैं. गोपाल दास राठी के साथ उनके परिचित भी चल रहे हैं, लेकिन पदयात्रा करते हुए वे खुद अकेले ही आ रहे हैं. साथ में चल रहे लोग उनकी देखभाल और बाकी व्यवस्था करते हैं. इस यात्रा में देशनोक का युवक सोनू भी साथ दे रहा है, जो राठी के हौंसले को देखते हुए उनके साथ लगातार पैदल चल रहा है. परिवार के लोगों की सहमति के सवाल पर वे कहते हैं कि सबने अपने हिसाब से रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरा निश्चय अटल था और सब सहमत हो गए.
गाड़ी में होते हैं देवी के पाठ : पदयात्रा करते हुए चल रहे गोपाल दास राठी के साथ आगे एक गाड़ी चल रही है, जिसमें मां करणी की तस्वीर रखी हुई है और ज्योत प्रज्वलित की हुई है. लगातार पंडित देवी के पाठ कर रहे हैं. मूल रूप से देशनोक के ही रहने वाले गोपाल दास राठी का भरा पूरा परिवार है. कोलकाता के साथ ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के इचलकरंजी में भी उनके कपड़े का बड़ा कारोबार है. उनके पूर्वज देशनोक से कोलकाता शिफ्ट हुए थे और वहीं व्यापार शुरू किया. इसके बाद करीब 30 साल पहले व्यापार को बढ़ाते हुए राठी ने इचलकरंजी में भी कपड़े की फैक्ट्री लगाई.
तीन बार कर चुके दंडवत ओरण परिक्रमा : गोपाल का मां करणी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास है. अपनी कंपनी भी उन्होंने मां करणी के नाम से ही रखा है. साथ ही अपनी फैक्ट्री में भी उन्होंने मां करणी का एक मंदिर बनाया हुआ है. महीने में चार दिन बिना खाए-पिए व्रत करते हुए पूरी तरह से मौन धारण रखते हैं और यात्रा में भी वे इसकी लगातार पालन कर रहे हैं. गोपाल दास अब तक देशनोक करणी माता के ओरण की तीन बार 35 किलोमीटर की दंडवत परिक्रमा कर चुके हैं. हर साल करीब पांच-छह बार वे खुद भी देशनोक करणी मां के दर्शन के लिए आते रहते हैं.