नई दिल्ली : पिछले साल 'ऑपरेशन देवी शक्ति' के तहत अफगानिस्तान से 669 लोगों को निकाला गया था. तालिबान के कब्जे के बाद निकाले गए लोगों में अफगान हिंदू / सिख अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों सहित 206 अफगान शामिल थे. सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में ये जानकारी दी.
अशरफ गनी की सरकार के अचानक गिरने और उसके बाद तालिबान द्वारा अधिग्रहण के बाद की स्थिति पर जानकारी देते हुए केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि 'पिछले साल अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति में तेजी से गिरावट को देखते हुए, सभी भारतीयों को देश छोड़ने की सलाह दी गई थी. अफगानिस्तान से प्रत्यावर्तन और अन्य अनुरोधों की सुविधा के लिए विदेश मंत्रालय में एक विशेष अफगानिस्तान सेल (Special Afghanistan Cell) की स्थापना की गई थी.'
गुरुद्वारे पर हमले को लेकर केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि '18 जून 2022 को काबुल में गुरुद्वारा कारते परवान साहिब पर हुए आतंकवादी हमले में एक अफगान सिख सहित दो अफगान नागरिकों की जान चली गई और तीन अन्य नागरिक घायल हो गए.' उन्होंने कहा,' अफगान सिखों और हिंदुओं को निकालने के लिए भारत सरकार अगस्त 2021 से ई-वीजा प्रदान कर रही है.'
गौरतलब है कि लगभग एक साल बीत चुका है और फिर भी तालिबान शासन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है. इसका कारण यहां लोकतांत्रिक विरोध और जबरदस्त धार्मिक प्रथाओं को लागू करना और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों की उपस्थिति है.
काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद रूस, चीन, ईरान और पाकिस्तान ने अपने दूतावासों को बंद नहीं किया था. जिन लोगों ने हाल ही में वहां अपने मिशन खोले हैं उनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मध्य एशियाई राज्य, तुर्की, कतर, इंडोनेशिया और अब भारत शामिल हैं.