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58 साल की उम्र में हासिल की मास्टर्स डिग्री, बनीं प्रेरणास्त्रोत - 58 year old Asha Kumari of Bihar

बिहार के पटना की 58 साल की बुजुर्ग महिला आशा कुमारी (Asha Kumari Of Patna) लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. उम्र के इस पड़ाव में भी वे दिन रात पढ़ती हैं. आशा ने दूसरी महिलाओं से भी शर्म छोड़कर पढ़ाई शुरू करने की अपील की है. पढ़ें पूरी खबर..

Asha Kumari Patna
आशा कुमारी पटना
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Published : Apr 26, 2022, 8:47 PM IST

पटना: कहते हैं पढ़ाई और सीखने की कोई उम्र नहीं होती. इसको चरितार्थ कर रही हैं पटना की आशा कुमारी. 58 वर्ष की आयु में इन्होंने इग्नू (58 year old Asha Kumari of Bihar) से पॉलिटिकल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की है. आशा कुमारी का कहना है कि पढ़ाई और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हर वर्ग और भेद को मिटा सकता है. और तो और यह समाज में असमानता को भी मिटाता है, इसलिए शिक्षा से बड़ी कोई चीज नहीं है. बता दें कि आशा कुमारी ने इससे पहले हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

58 साल की आशा ने हासिल की मास्टर डिग्री: दरअसल मंगलवार को राजधानी पटना के विद्यापति भवन में इग्नू पटना के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से इग्नू का 35वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र बनीं आशा कुमारी. आशा कुमारी जब वह मंच पर आईं तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा. सफेद बाल, चेहरे पर मुस्कान और सादे लिबास के साथ जब 58 वर्षीय आशा कुमारी ने पॉलिटिकल साइंस में मास्टर की डिग्री हासिल की तो, वह उन महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं जो अच्छी शिक्षा का सपना पाले हुए भी परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी हैं.

बिहार की आशा कुमारी ने हासिल की मास्टर्स की डिग्री

पारिवारिक कारणों से छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई: आशा कुमारी ने बताया कि यह उनकी दूसरी मास्टर डिग्री है. इससे पहले कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इग्नू से ही हिस्ट्री में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी और अब जाकर पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. सामाजिक तथ्यों और उससे जुड़ी तमाम चीजों को जानने की ललक के कारण ही आशा ने पॉलिटिकल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की है. उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से पढ़ाई से बहुत लगाव है. अच्छी शिक्षा हासिल करने का शौक रहा है लेकिन कुछ पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से वह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं और उच्च शिक्षा का सपना उनका अधूरा रह गया था.

'जब परिवार की जिम्मेदारियां पूरी हो गई तो सबसे पहले अधूरे सपने का ख्याल आया. अपनी उच्च शिक्षा हासिल करने के सपने को पूरा करने का निर्णय लिया. खाली समय में पढ़ाई करना मुझे बहुत पसंद है. हमेशा पढ़ते रहना चाहिए. शिक्षा हर भेद को मिटाती है. सोना भी शिक्षा से कम ही मूल्यवान है.'- आशा कुमारी

आगे भी पढ़ाई रखूंगी जारी: आशा कुमारी ने कहा कि पढ़ाई से बहुत प्रेम करती हूं और पढ़ाई प्राणों से भी प्यारा है. खाली समय को कुछ पढ़ने और लिखने में ही व्यतीत करती हूं. अब आगे सोच रही हूं की किसी विषय में पीएचडी करूं या फिर कोई अन्य सामाजिक विषय में मास्टर्स की पढ़ाई करूं. उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती. जन्म से कब्र तक सीखने और पढ़ने की प्रक्रिया चलती है. सीखना जीवन पर्यंत होता है और इसे कभी भी छोड़ा नहीं जा सकता.

यह भी पढ़ें-एक साथ दो डिग्री, अटेंडेंस-परीक्षा-प्रैक्टिकल के लिए बनेगा नया कैलेंडेर

महिलाओं को दिया ये संदेश: आशा कुमारी ने समाज की दूसरी महिलाओं को भी संदेश देते हुए कहा कि जो महिलाएं पढ़ाई करना चाहती हैं लेकिन अधिक उम्र के कारण वह पढ़ने से डर रही हैं वो अपने आत्मबल को मजबूत करें और पढ़ाई के लिए आगे आएं. पढ़ने सीखने की कोई उम्र नहीं होती. पढ़ाई ही एकमात्र वह माध्यम है जो समाज में जाति वर्ग भेद और अन्य प्रकार की गैर बराबरी को मिटाता है, इसलिए शिक्षा से बड़ा जीवन में कुछ भी नहीं है. महिलाओं को सोना प्रिय होता है लेकिन पढ़ाई सोने से भी कीमती है. आशा ने कहा कि सोना छूट जाए तो छूट जाए लेकिन शिक्षा नहीं छूटे, इसका सभी को प्रयास करना चाहिए. स्थिति परिस्थिति चाहे कुछ भी हो शिक्षा को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि शिक्षा वह धन है जो कभी नष्ट नहीं होता.

पटना: कहते हैं पढ़ाई और सीखने की कोई उम्र नहीं होती. इसको चरितार्थ कर रही हैं पटना की आशा कुमारी. 58 वर्ष की आयु में इन्होंने इग्नू (58 year old Asha Kumari of Bihar) से पॉलिटिकल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की है. आशा कुमारी का कहना है कि पढ़ाई और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हर वर्ग और भेद को मिटा सकता है. और तो और यह समाज में असमानता को भी मिटाता है, इसलिए शिक्षा से बड़ी कोई चीज नहीं है. बता दें कि आशा कुमारी ने इससे पहले हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

58 साल की आशा ने हासिल की मास्टर डिग्री: दरअसल मंगलवार को राजधानी पटना के विद्यापति भवन में इग्नू पटना के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से इग्नू का 35वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र बनीं आशा कुमारी. आशा कुमारी जब वह मंच पर आईं तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा. सफेद बाल, चेहरे पर मुस्कान और सादे लिबास के साथ जब 58 वर्षीय आशा कुमारी ने पॉलिटिकल साइंस में मास्टर की डिग्री हासिल की तो, वह उन महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं जो अच्छी शिक्षा का सपना पाले हुए भी परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी हैं.

बिहार की आशा कुमारी ने हासिल की मास्टर्स की डिग्री

पारिवारिक कारणों से छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई: आशा कुमारी ने बताया कि यह उनकी दूसरी मास्टर डिग्री है. इससे पहले कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इग्नू से ही हिस्ट्री में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी और अब जाकर पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. सामाजिक तथ्यों और उससे जुड़ी तमाम चीजों को जानने की ललक के कारण ही आशा ने पॉलिटिकल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की है. उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से पढ़ाई से बहुत लगाव है. अच्छी शिक्षा हासिल करने का शौक रहा है लेकिन कुछ पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से वह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं और उच्च शिक्षा का सपना उनका अधूरा रह गया था.

'जब परिवार की जिम्मेदारियां पूरी हो गई तो सबसे पहले अधूरे सपने का ख्याल आया. अपनी उच्च शिक्षा हासिल करने के सपने को पूरा करने का निर्णय लिया. खाली समय में पढ़ाई करना मुझे बहुत पसंद है. हमेशा पढ़ते रहना चाहिए. शिक्षा हर भेद को मिटाती है. सोना भी शिक्षा से कम ही मूल्यवान है.'- आशा कुमारी

आगे भी पढ़ाई रखूंगी जारी: आशा कुमारी ने कहा कि पढ़ाई से बहुत प्रेम करती हूं और पढ़ाई प्राणों से भी प्यारा है. खाली समय को कुछ पढ़ने और लिखने में ही व्यतीत करती हूं. अब आगे सोच रही हूं की किसी विषय में पीएचडी करूं या फिर कोई अन्य सामाजिक विषय में मास्टर्स की पढ़ाई करूं. उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती. जन्म से कब्र तक सीखने और पढ़ने की प्रक्रिया चलती है. सीखना जीवन पर्यंत होता है और इसे कभी भी छोड़ा नहीं जा सकता.

यह भी पढ़ें-एक साथ दो डिग्री, अटेंडेंस-परीक्षा-प्रैक्टिकल के लिए बनेगा नया कैलेंडेर

महिलाओं को दिया ये संदेश: आशा कुमारी ने समाज की दूसरी महिलाओं को भी संदेश देते हुए कहा कि जो महिलाएं पढ़ाई करना चाहती हैं लेकिन अधिक उम्र के कारण वह पढ़ने से डर रही हैं वो अपने आत्मबल को मजबूत करें और पढ़ाई के लिए आगे आएं. पढ़ने सीखने की कोई उम्र नहीं होती. पढ़ाई ही एकमात्र वह माध्यम है जो समाज में जाति वर्ग भेद और अन्य प्रकार की गैर बराबरी को मिटाता है, इसलिए शिक्षा से बड़ा जीवन में कुछ भी नहीं है. महिलाओं को सोना प्रिय होता है लेकिन पढ़ाई सोने से भी कीमती है. आशा ने कहा कि सोना छूट जाए तो छूट जाए लेकिन शिक्षा नहीं छूटे, इसका सभी को प्रयास करना चाहिए. स्थिति परिस्थिति चाहे कुछ भी हो शिक्षा को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि शिक्षा वह धन है जो कभी नष्ट नहीं होता.

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