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SIT on Manipur Violence : मणिपुर में हिंसा से जुड़े मामलों की तेजी से जांच के लिए बनेंगी 42 एसआईटी

मणिपुर में हुई हिंसा के दौरान मारे गए लोगों और प्रभावितों के मामलों की जांच के लिए 42 एसआईटी गठित किए गए हैं. आज इस संबंध में एक रिपोर्ट मणिपुर के राज्यपाल को सौंपी गई है.

Manipur Violence
मणिपुर हिंसा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 6:54 PM IST

इम्‍फाल : राजभवन के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर में हिंसा से संबंधित सभी मामलों की तेजी से जांच के लिए कम से कम 42 विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए जाएंगे. पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डी.डी. पडसलगीकर ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की और उन्हें राज्य में मौजूदा संकट से अवगत कराया. उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई और एसआईटी को सौंपे गए मामलों की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया था.

राजभवन के सूत्रों ने कहा कि पडसलगीकर ने राज्यपाल को सूचित किया कि शुरुआत में 42 एसआईटी गठित की जाएंगी और मणिपुर में हिंसा से जुड़े सभी मामलों की तेजी से जांच की जाएगी. पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को हाल ही में मुख्य रूप से सीबीआई और एसआईटी द्वारा जांच किए गए मामलों की निगरानी के लिए मणिपुर में तैनात किया गया है.

सूत्रों ने कहा, "जहां तक पहाड़ी जिलों के मामलों का सवाल है, पडसलगीकर ने राज्यपाल को सूचित किया कि मामलों की जांच के लिए बीएसएनएल और एनआईसी के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं प्रदान की जाएंगी." पडसलगीकर के मुताबिक, जांच की पहली स्टेटस रिपोर्ट अक्टूबर के पहले सप्‍ताह तक संबंधित अथॉरिटी को सौंप दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि उन्होंने कई राहत शिविरों का दौरा किया और शिविरों में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात की. पडसलगीकर ने राज्यपाल से लोगों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाने का अनुरोध किया.

राज्यपाल ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने हिंसा प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने के लिए पहले ही आवश्यक साझा कार्यक्रम शुरू कर दिया है और संबंधित राज्य मशीनरी को उन लोगों को सहायता प्रदान करने और उन्हें फिर से यथाशीघ्र उनके स्थानों पर बसाने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया है.

इस बीच, राज्यपाल ने मणिपुर और नागालैंड सेक्टर के नवनियुक्त सीआरपीएफ महानिरीक्षक अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ मणिपुर की मौजूदा स्थिति के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि सीआरपीएफ सहित केंद्रीय सुरक्षा बलों की समय पर तैनाती से स्थिति को बद से बदतर होने से रोका जा सका. इसके अलावा, राज्यपाल ने सिंह से घाटी और पहाड़ी जिलों में विभिन्न राहत शिविरों में शरण लेने वाले हिंसा प्रभावित लोगों को सहायता देने का अनुरोध किया.

सीआरपीएफ आईजी ने कहा कि जातीय संघर्ष से उपजे मौजूदा संकट से वह पहले से ही भलीभांति परिचित हैं. राजभवन के सूत्रों ने कहा, “इसके अलावा, आईजी ने राज्यपाल को सूचित किया कि वह राज्य में शांति बहाल करने के लिए अपनी ओर से पूरा सहयोग देंगे, जिसका राज्यपाल ने गर्मजोशी से जवाब दिया.”

राज्य में 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और 700 से अधिक घायल हुए हैं, जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था.

मणिपुर में जातीय संघर्ष के मद्देनजर, विभिन्न समुदायों के लगभग 70,000 पुरुष, महिलाएं और बच्चे विस्थापित हो गए हैं और अब वे मणिपुर के स्कूलों, सरकारी भवनों और सभागारों में स्थापित 350 शिविरों में शरण लिए हुए हैं और कई हजार लोगों ने मिज़ोरम सहित पड़ोसी राज्यों में शरण ली है.

ये भी पढे़ं : Manipur Violence : सीबीआई की स्पेशल टीम कर रही जांच, 27 मामलों में फिर से एफआईआर दर्ज

(आईएएनएस)

इम्‍फाल : राजभवन के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर में हिंसा से संबंधित सभी मामलों की तेजी से जांच के लिए कम से कम 42 विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए जाएंगे. पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डी.डी. पडसलगीकर ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की और उन्हें राज्य में मौजूदा संकट से अवगत कराया. उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई और एसआईटी को सौंपे गए मामलों की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया था.

राजभवन के सूत्रों ने कहा कि पडसलगीकर ने राज्यपाल को सूचित किया कि शुरुआत में 42 एसआईटी गठित की जाएंगी और मणिपुर में हिंसा से जुड़े सभी मामलों की तेजी से जांच की जाएगी. पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को हाल ही में मुख्य रूप से सीबीआई और एसआईटी द्वारा जांच किए गए मामलों की निगरानी के लिए मणिपुर में तैनात किया गया है.

सूत्रों ने कहा, "जहां तक पहाड़ी जिलों के मामलों का सवाल है, पडसलगीकर ने राज्यपाल को सूचित किया कि मामलों की जांच के लिए बीएसएनएल और एनआईसी के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं प्रदान की जाएंगी." पडसलगीकर के मुताबिक, जांच की पहली स्टेटस रिपोर्ट अक्टूबर के पहले सप्‍ताह तक संबंधित अथॉरिटी को सौंप दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि उन्होंने कई राहत शिविरों का दौरा किया और शिविरों में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात की. पडसलगीकर ने राज्यपाल से लोगों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाने का अनुरोध किया.

राज्यपाल ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने हिंसा प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने के लिए पहले ही आवश्यक साझा कार्यक्रम शुरू कर दिया है और संबंधित राज्य मशीनरी को उन लोगों को सहायता प्रदान करने और उन्हें फिर से यथाशीघ्र उनके स्थानों पर बसाने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया है.

इस बीच, राज्यपाल ने मणिपुर और नागालैंड सेक्टर के नवनियुक्त सीआरपीएफ महानिरीक्षक अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ मणिपुर की मौजूदा स्थिति के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि सीआरपीएफ सहित केंद्रीय सुरक्षा बलों की समय पर तैनाती से स्थिति को बद से बदतर होने से रोका जा सका. इसके अलावा, राज्यपाल ने सिंह से घाटी और पहाड़ी जिलों में विभिन्न राहत शिविरों में शरण लेने वाले हिंसा प्रभावित लोगों को सहायता देने का अनुरोध किया.

सीआरपीएफ आईजी ने कहा कि जातीय संघर्ष से उपजे मौजूदा संकट से वह पहले से ही भलीभांति परिचित हैं. राजभवन के सूत्रों ने कहा, “इसके अलावा, आईजी ने राज्यपाल को सूचित किया कि वह राज्य में शांति बहाल करने के लिए अपनी ओर से पूरा सहयोग देंगे, जिसका राज्यपाल ने गर्मजोशी से जवाब दिया.”

राज्य में 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और 700 से अधिक घायल हुए हैं, जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था.

मणिपुर में जातीय संघर्ष के मद्देनजर, विभिन्न समुदायों के लगभग 70,000 पुरुष, महिलाएं और बच्चे विस्थापित हो गए हैं और अब वे मणिपुर के स्कूलों, सरकारी भवनों और सभागारों में स्थापित 350 शिविरों में शरण लिए हुए हैं और कई हजार लोगों ने मिज़ोरम सहित पड़ोसी राज्यों में शरण ली है.

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(आईएएनएस)

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