नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले पांच साल में ड्यूटी के दौरान रेलगाड़ियों की चपेट में आने से 382 रेलवे ट्रैक रखरखाव कर्मियों की जान चली गई है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सीपीएम सांसद ए. ए. रहीम के एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे. सीपीएम सांसद ने पिछले पांच वर्षों के दौरान ड्यूटी पर मारे गए रेल कर्मियों की सूची मांगी थी.
सांसद के प्रश्व के जवाब में सरकार की ओर से पेश आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में मृतकों की संख्या 61 के साथ सूची में सबसे ऊपर है इसके बाद महाराष्ट्र में 48, पश्चिम बंगाल में 35, आंध्र प्रदेश में 33, बिहार में 29 और अन्य मारे गए.
इस तरह की मौतों से बचने के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि ट्रैक के पास काम करते समय व्यक्तिगत सुरक्षा पहल के लिए सेमिनारों/कार्यशालाओं के माध्यम से ट्रैक मेंटेनरों की नियमित काउंसलिंग की जा रही है. कार्य स्थल, रिमोट कंट्रोल हूटर और आने वाली ट्रेन को लेकर जागरूक करने के लिए कर्मियों को सीटी प्रदान की गई है. सुरक्षा के मद्देनजर ट्रैक नवीनीकरण कार्य करते समय लाइनों पर गति प्रतिबंध लगाया गया है.
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शोक संतप्त परिवारों को प्रदान किए गए मुआवजे और क्या मुआवजे को बढ़ाने की कोई योजना है, इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'उन रेलवे कर्मचारियों के परिवारों को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है, जिनकी सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है. अनुग्रह राशि स्वीकृत करने के अधिकार क्षेत्रीय रेलवे के मंडल रेल प्रबंधकों को सौंपे गए हैं. उन्होंने कहा, 'इस मामले में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन किया जाता है.'