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दलितों के रहनुमा और पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम 'बाबूजी' की आज 35वीं पुण्यतिथि

जगजीवन राम ने 1977 में इंदिरा गांधी द्व्रारा आम चुनावों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नामक (Congress for Democracy) नामक एक पार्टी बनाई. जो 25 मार्च 1977 को जनता पार्टी गठबंधन में शामिल हो गई और 1977–79 तक जगजीवन राम को भारत का उपप्रधानमंत्री बनाया गया.

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Published : Jul 6, 2021, 6:01 AM IST

Babu Jagjivan Ram
बाबू जगजीवन राम

नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjivan Ram) की 6 जुलाई यानी आज 35वीं पुण्य तिथि मनाई जा रही है. 1986 में आज के ही दिन उनका दिल्ली में एक अस्पताल में निधन हुआ था. बिहार के एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले जगजीवन को 'बाबूजी' के नाम से जाना जाता था, वह एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ एक सामाजिक न्याय के योद्धा और दलितों के विकास के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति थे.

  • 40 वर्ष तक सासंद रहने का विश्व रिकॉर्ड जगजीवन राम के नाम

जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल को बिहार के एक सामान्य परिवार में हुआ था. वह कुल 6 भाई-बहन थे. उन्होंने आरा के एक स्कूल से पढ़ाई की. अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान 'बाबूजी' ने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव की पीढ़ा देखी. जिसके बाद उन्होंने इन सामाजिक भेदभाव को लांगा ही नहीं बल्कि इसका पुरजोर तरीके से विरोध भी किया और अपनी बात मनवाई. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जगजीवन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. वह 1936 से 1986 कर लगातार 40 वर्षों तक संसद के सदस्य रहे, जो एक विश्व रिकॉर्ड है.

  • 'Pre-independence & Post- Independence' देश के लिए जगजीवन का योगदान

जगजीवन राम (बाबूजी) का देश के लिए स्वतंत्रता से पहले और बाद बड़ा योगदान रहा. उनका संसदीय जीवन का इतिहास 50 वर्षों का रहा. वे आजादी से पहले बनी सरकारों में भी शामिल थे. वह 1946 में जवाहर लाल नेहरु की प्रोविजिनल कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. उन्होंने 1934-35 में दलितों के अधिकारों के लिए बने संगठन ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग (All India Depressed Classes League) में अपना विशेष योगदान दिया. वह दलितों के लिए सामाजिक समानता और समान अधिकारों के हिमायती थे. उन्होंने 1935 में हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दलितों को पीने के पानी के लिए कुएं में जाने की इजाजत और मंदिर में उनके प्रवेश के अधिकार शामिल थे.

  • 'बाबूजी' ने उठाई दलितों को मतदान का अधिकार दिलाने की मांग

1935 में पहली बार जगजीवन राम ने रांची में हैमंड कमीशन (Hammond Commission) के सामने दलितों के मतदान के अधिकार की मांग की थी. उन्हें 1940 के दौर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर दो बार जेल भेजा गया.

  • आजादी के बाद संभाले ये मंत्रालय

देश आजाद होने के बाद जगजीवन राम ने 1952 तक श्रम मंत्रालय संभाला उसके बाद वह 1952-56 तक संचार मंत्री रहे. इसके बाद लगातार 1956-62 परिवहन, रेलवे और 1962-63 तक परिवहन, संचार मंत्रालयों को उन्होंने संभाला था. जगजीवन राम 1967-70 तक देश के खाद्य व कृषि मंत्री रहे. 1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई, वह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए. यहां तक कि जब 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा गया था तब वह देश के रक्षा मंत्री थे.

  • 1977 में जगजीवन राम ने कहा कांग्रेस को अलविदा

जगजीवन राम ने 1977 में इंदिरा गांधी द्व्रारा आम चुनावों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नामक (Congress for Democracy) नामक एक पार्टी बनाई. जो 25 मार्च 1977 को जनता पार्टी गठबंधन में शामिल हो गई और 1977–79 तक जगजीवन राम को भारत का उपप्रधानमंत्री बनाया गया.

कांग्रेस कार्यालय पर मनाई गई बाबू जगजीवन राम की जयंती

  • सामाजिक न्याय के लिए 'बाबूजी' ने लड़ी इन मुद्दों पर लड़ाई

सामाजिक न्याय के लिए जगजीवन राम ने आरक्षण, दलितों को मंदिरों में प्रवेश, भूमिहीन किसानों को हक, दलितों को शिक्षा का अधिकार और जातिवादी मानसिकता को बदलने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. वह एक राष्ट्रीय स्तर के दलितों के हक के लिए लड़ने वाले नेता थे. आजादी से पहले के दौर में कोई सिर्फ देश की आजादी के लिए लड़ रहा था तो कोई सिर्फ दलितों के हक के लिए, लेकिन बाबूजी उन गिने-चुने लोगों में से थे जिन्होंने दोनों के लिए एक साथ लड़ाई लड़ी. 'बाबूजी' ने कहा था, "जातिप्रथा और लोकतंत्र एक दूसरे के परस्पर विरोधी हैं." (caste system and democracy are incompatible).

नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjivan Ram) की 6 जुलाई यानी आज 35वीं पुण्य तिथि मनाई जा रही है. 1986 में आज के ही दिन उनका दिल्ली में एक अस्पताल में निधन हुआ था. बिहार के एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले जगजीवन को 'बाबूजी' के नाम से जाना जाता था, वह एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ एक सामाजिक न्याय के योद्धा और दलितों के विकास के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति थे.

  • 40 वर्ष तक सासंद रहने का विश्व रिकॉर्ड जगजीवन राम के नाम

जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल को बिहार के एक सामान्य परिवार में हुआ था. वह कुल 6 भाई-बहन थे. उन्होंने आरा के एक स्कूल से पढ़ाई की. अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान 'बाबूजी' ने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव की पीढ़ा देखी. जिसके बाद उन्होंने इन सामाजिक भेदभाव को लांगा ही नहीं बल्कि इसका पुरजोर तरीके से विरोध भी किया और अपनी बात मनवाई. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जगजीवन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. वह 1936 से 1986 कर लगातार 40 वर्षों तक संसद के सदस्य रहे, जो एक विश्व रिकॉर्ड है.

  • 'Pre-independence & Post- Independence' देश के लिए जगजीवन का योगदान

जगजीवन राम (बाबूजी) का देश के लिए स्वतंत्रता से पहले और बाद बड़ा योगदान रहा. उनका संसदीय जीवन का इतिहास 50 वर्षों का रहा. वे आजादी से पहले बनी सरकारों में भी शामिल थे. वह 1946 में जवाहर लाल नेहरु की प्रोविजिनल कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. उन्होंने 1934-35 में दलितों के अधिकारों के लिए बने संगठन ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग (All India Depressed Classes League) में अपना विशेष योगदान दिया. वह दलितों के लिए सामाजिक समानता और समान अधिकारों के हिमायती थे. उन्होंने 1935 में हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दलितों को पीने के पानी के लिए कुएं में जाने की इजाजत और मंदिर में उनके प्रवेश के अधिकार शामिल थे.

  • 'बाबूजी' ने उठाई दलितों को मतदान का अधिकार दिलाने की मांग

1935 में पहली बार जगजीवन राम ने रांची में हैमंड कमीशन (Hammond Commission) के सामने दलितों के मतदान के अधिकार की मांग की थी. उन्हें 1940 के दौर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर दो बार जेल भेजा गया.

  • आजादी के बाद संभाले ये मंत्रालय

देश आजाद होने के बाद जगजीवन राम ने 1952 तक श्रम मंत्रालय संभाला उसके बाद वह 1952-56 तक संचार मंत्री रहे. इसके बाद लगातार 1956-62 परिवहन, रेलवे और 1962-63 तक परिवहन, संचार मंत्रालयों को उन्होंने संभाला था. जगजीवन राम 1967-70 तक देश के खाद्य व कृषि मंत्री रहे. 1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई, वह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए. यहां तक कि जब 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा गया था तब वह देश के रक्षा मंत्री थे.

  • 1977 में जगजीवन राम ने कहा कांग्रेस को अलविदा

जगजीवन राम ने 1977 में इंदिरा गांधी द्व्रारा आम चुनावों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नामक (Congress for Democracy) नामक एक पार्टी बनाई. जो 25 मार्च 1977 को जनता पार्टी गठबंधन में शामिल हो गई और 1977–79 तक जगजीवन राम को भारत का उपप्रधानमंत्री बनाया गया.

कांग्रेस कार्यालय पर मनाई गई बाबू जगजीवन राम की जयंती

  • सामाजिक न्याय के लिए 'बाबूजी' ने लड़ी इन मुद्दों पर लड़ाई

सामाजिक न्याय के लिए जगजीवन राम ने आरक्षण, दलितों को मंदिरों में प्रवेश, भूमिहीन किसानों को हक, दलितों को शिक्षा का अधिकार और जातिवादी मानसिकता को बदलने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. वह एक राष्ट्रीय स्तर के दलितों के हक के लिए लड़ने वाले नेता थे. आजादी से पहले के दौर में कोई सिर्फ देश की आजादी के लिए लड़ रहा था तो कोई सिर्फ दलितों के हक के लिए, लेकिन बाबूजी उन गिने-चुने लोगों में से थे जिन्होंने दोनों के लिए एक साथ लड़ाई लड़ी. 'बाबूजी' ने कहा था, "जातिप्रथा और लोकतंत्र एक दूसरे के परस्पर विरोधी हैं." (caste system and democracy are incompatible).

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