ETV Bharat / bharat

आगरा के चंबल नदी में छोड़े गए 35 घड़ियाल, विलुप्तप्राय घड़ियालों का कुनबा बढ़ा

आगरा जनपद के बाह क्षेत्र से सटी चंबल नदी में विश्व से विलुप्त घड़ियालों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. साथ ही यहां लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र में जन्में 35 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा गया है.

croc
croc
author img

By

Published : Mar 27, 2021, 9:28 AM IST

Updated : Mar 27, 2021, 11:07 AM IST

लखनऊ : विश्व भर से विलुप्त जलीय जीव घड़ियाल की प्रजाति चंबल नदी में लगातार बढ़ रही है. इनका कुनबा दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है. चंबल नदी में वाइल्ड लाइफ वन विभाग की देखरेख में इनका संरक्षण किया जा रहा है. वहीं लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र में जन्मे 35 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा गया. जिसमें 12 नंदगवां, 11 सहसों, 12 महुआ सूडा चंबल नदी घाट पर पानी में छोड़े गए.

चंबल नदी की बालू से घड़ियालों के अंडे लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र ले जाए गए थे. यहां से इनका संरक्षण होने के बाद चंबल नदी में छोड़ा गया है. पूर्व में हुए वन विभाग और एक्सपर्टो के सर्वे में 2,176 घड़ियाल मिले थे. अब इनकी संख्या बढ़कर 2,211 हो गई है. चंबल नदी के किनारे रेत पर मई-जून में मादा घड़ियाल अंडे देती है. जहां से अंडों को इकट्ठा करके लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र ले जाते हैं.

यहां देख-रेख के बाद इनकी हेचिंग होती है. अंडों से घड़ियाल के बच्चे बाहर निकलते ही 3 साल तक मछलियां खिलाकर इनका संरक्षण किया जाता है. विश्व भर में घड़ियाल प्रजाति संकट से गुजर रही है. जबकि इनकी सर्वाधिक आबादी 80 फीसदी चंबल में मौजूद है. लगातार इनका कुनबा हर वर्ष बढ़ता चला जा रहा है. वन विभाग एवं एक्सपर्ट्स की टीम के सर्वे में हर वर्ष रिजल्ट सैकड़ों में बदल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : कानपुर जू में मना बब्बर शेर का बर्थडे, शुरू हुई नई पहल

चंबल नदी में सन 1979 से घड़ियाल प्रजाति का संरक्षण वन विभाग की देखरेख में किया जा रहा है. इसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक भारी संख्या में पहुंचते हैं. विशालकाय घड़ियाल को देखकर पर्यटक खुश होते हैं. विशेषज्ञ जलाबुद्दीन के अनुसार चंबल नदी से घड़ियालों के अंडों को लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र में ले जाकर देखरेख और निगरानी में हैचिंग कराई जाती है. घड़ियाल किस जलवायु में राहत महसूस करते हैं. इस पर रिसर्च होता है. घड़ियाल बच्चे से बड़े हो जाने के बाद इनको चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है.

इसी संदर्भ में चंबल सेंचुरी रेंजर बाह आरके सिंह राठौर ने बताया कि 3 साल की देख रेख करने के बाद कड़ियाला की लंबाई 1 से 20 सेंमी होते ही चंबल नदी में छोड़ा गया है. करीब 2 महीने तक यह नदी के पानी में किनारों पर विचरण करेंगे. पानी की जलवायु में घुल मिल जाने के बाद यह गहरे पानी में अपना सफर करते हुए दिखाई देंगे. चंबल नदी में घड़ियाल का कुनबा बढ़ने से उन्होंने हर्ष व्यक्त किया है.

लखनऊ : विश्व भर से विलुप्त जलीय जीव घड़ियाल की प्रजाति चंबल नदी में लगातार बढ़ रही है. इनका कुनबा दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है. चंबल नदी में वाइल्ड लाइफ वन विभाग की देखरेख में इनका संरक्षण किया जा रहा है. वहीं लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र में जन्मे 35 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा गया. जिसमें 12 नंदगवां, 11 सहसों, 12 महुआ सूडा चंबल नदी घाट पर पानी में छोड़े गए.

चंबल नदी की बालू से घड़ियालों के अंडे लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र ले जाए गए थे. यहां से इनका संरक्षण होने के बाद चंबल नदी में छोड़ा गया है. पूर्व में हुए वन विभाग और एक्सपर्टो के सर्वे में 2,176 घड़ियाल मिले थे. अब इनकी संख्या बढ़कर 2,211 हो गई है. चंबल नदी के किनारे रेत पर मई-जून में मादा घड़ियाल अंडे देती है. जहां से अंडों को इकट्ठा करके लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र ले जाते हैं.

यहां देख-रेख के बाद इनकी हेचिंग होती है. अंडों से घड़ियाल के बच्चे बाहर निकलते ही 3 साल तक मछलियां खिलाकर इनका संरक्षण किया जाता है. विश्व भर में घड़ियाल प्रजाति संकट से गुजर रही है. जबकि इनकी सर्वाधिक आबादी 80 फीसदी चंबल में मौजूद है. लगातार इनका कुनबा हर वर्ष बढ़ता चला जा रहा है. वन विभाग एवं एक्सपर्ट्स की टीम के सर्वे में हर वर्ष रिजल्ट सैकड़ों में बदल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : कानपुर जू में मना बब्बर शेर का बर्थडे, शुरू हुई नई पहल

चंबल नदी में सन 1979 से घड़ियाल प्रजाति का संरक्षण वन विभाग की देखरेख में किया जा रहा है. इसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक भारी संख्या में पहुंचते हैं. विशालकाय घड़ियाल को देखकर पर्यटक खुश होते हैं. विशेषज्ञ जलाबुद्दीन के अनुसार चंबल नदी से घड़ियालों के अंडों को लखनऊ कुकरैल प्रजनन केंद्र में ले जाकर देखरेख और निगरानी में हैचिंग कराई जाती है. घड़ियाल किस जलवायु में राहत महसूस करते हैं. इस पर रिसर्च होता है. घड़ियाल बच्चे से बड़े हो जाने के बाद इनको चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है.

इसी संदर्भ में चंबल सेंचुरी रेंजर बाह आरके सिंह राठौर ने बताया कि 3 साल की देख रेख करने के बाद कड़ियाला की लंबाई 1 से 20 सेंमी होते ही चंबल नदी में छोड़ा गया है. करीब 2 महीने तक यह नदी के पानी में किनारों पर विचरण करेंगे. पानी की जलवायु में घुल मिल जाने के बाद यह गहरे पानी में अपना सफर करते हुए दिखाई देंगे. चंबल नदी में घड़ियाल का कुनबा बढ़ने से उन्होंने हर्ष व्यक्त किया है.

Last Updated : Mar 27, 2021, 11:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.