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जनवरी से अब तक 30 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने किया ढेर

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Published : Apr 5, 2021, 7:38 PM IST

सरकार ने दावा किया है कि अनुच्छेद 370 और 35ए हटने के बाद आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है. जबकि जम्मू और कश्मीर पुलिस ने जो आंकड़ा जारी किया है उससे अलग ही तस्वीर सामने आ रही है.

जम्मू और कश्मीर में मार्च में मारे गए कुल 17 आतंकवादी
जम्मू और कश्मीर में मार्च में मारे गए कुल 17 आतंकवादी

श्रीनगर : भारत सरकार ने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है. लेकिन जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा संकलित आंकड़े भारत सरकार के दावों से अलग ही तस्वीर बयां कर रही है.

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 31 मार्च तक 20 आतंकवादी घटनाओं में कुल 41 हत्याएं हुई हैं, जिसमें जान गंवाने वालों में 30 मिलिटेंट, नौ सुरक्षाकर्मी और दो नागरिक शामिल हैं. पुलिस द्वारा मार्च महीने में सबसे ज्यादा हत्याएं दर्ज की गईं.

हालांकि, पिछले तीन वर्षों की तुलना में 2021 में हत्या की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इसे पर्याप्त और संतोषजनक नहीं माना जा सकता.

आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 के पहले तीन महीनों के दौरान, 73 लोगों की जान गई है, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान 129 लोग मारे गए थे और 2020 की बात करें तो 53 लोग मारे गए. 2019 के आंकड़ों में 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान भी शामिल हैं जो 14 फरवरी को पुलवामा आईईडी हमले में मारे गए थे.

2021 में हत्या की घटनाओं में कमी

पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी में कुल 11 लोग मारे गए थे, जिसमें 10 मिलिटेंट और एक सुरक्षा बल के अधिकारी शामिल हैं. फरवरी में, 13 लोग मारे गए थे, जिसमें नौ आतंकवादी, तीन सुरक्षा बल के जवान और एक नागरिक शामिल थे. पुलिस आंकड़ों में इस वर्ष सबसे अधिक मौत की दुर्घटनाएं मार्च में दर्ज की गईं. मार्च में, 11 आतंकी, पांच सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक सहित कुल 17 लोगों की जान गई.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत से साझा की जानकारी

नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारे आंकड़ों में वो मिलिटेंट भी शामिल हैं, जो नियंत्रण रेखा (एलओसी) से घुसपैठ करने की कोशिश में मारे गए. हालांकि, ऐसा नहीं है कि स्थिति में सुधार की वजह से आतंकी घटनाओं में कमी आई है, बल्कि अब आतंकवादियों ने सोशल मीडिया पर बंदूक के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट करना बंद कर दिया है.'

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : एलओसी के नजदीकी गांव से हैंड ग्रेनेड बरामद, सुरक्षाबलों ने किया निष्क्रिय

अधिकारी ने आगे कहा, 'जैसे ही हमें इस बात की जानकारी मिलती है कि कोई भी युवा लड़का पाकिस्तान स्थित हैंडलर द्वारा गुमराह होने के बाद मिलिटेंट रैंकों में शामिल हो गया है, हम उनके परिवार की काउंसलिंग करने की कोशिश करते हैं और फिर हैंडलर के जाल से बचाने के लिए इस तरह के लड़कों से बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब सारी कोशिश फेल हो जाती है तब हम उन्हें खत्म करने के लिए ऑपरेशन शुरू करने के लिए मजबूर होते हैं.'

आगे उन्होने कहा, 'कुछ दिनों पहले ही पुलवामा में ऑपरेशन में तीन आतंकवादी मारे गए थे, क्योंकि उन सभी ने पिछले साल नवंबर और दिसंबर में गलत रास्ता अपना लिया था.'

जम्मू कश्मीर में पुलिस द्वारा साझा किया गया डेटा

कुल घटनाएं - 20

मारे गए नागरिक - 2

सुरक्षाबल के जवान हुए शहीद - 9

मारे गए आतंकवादी - 30

कुल हत्याएं - 41

जनवरी

कुल घटनाएं - 4

मारे गए नागरिक - 0

सुरक्षाबल का जवान शहीद- 1

मारे गए आतंकवादी - 10

कुल हत्याएं - 11

फरवरी

कुल घटनाएं - 8

मारे गए नागरिक - 1

जवान शहीद - 3

मारे गए आतंकवादी - 9

कुल हत्याएं - 13

मार्च

कुल घटनाएं - 8

मारे गए नागरिक - 1

जवान शहीद - 5

मारे गए आतंकवादी - 11

कुल हत्याएं - 17

श्रीनगर : भारत सरकार ने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है. लेकिन जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा संकलित आंकड़े भारत सरकार के दावों से अलग ही तस्वीर बयां कर रही है.

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 31 मार्च तक 20 आतंकवादी घटनाओं में कुल 41 हत्याएं हुई हैं, जिसमें जान गंवाने वालों में 30 मिलिटेंट, नौ सुरक्षाकर्मी और दो नागरिक शामिल हैं. पुलिस द्वारा मार्च महीने में सबसे ज्यादा हत्याएं दर्ज की गईं.

हालांकि, पिछले तीन वर्षों की तुलना में 2021 में हत्या की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इसे पर्याप्त और संतोषजनक नहीं माना जा सकता.

आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 के पहले तीन महीनों के दौरान, 73 लोगों की जान गई है, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान 129 लोग मारे गए थे और 2020 की बात करें तो 53 लोग मारे गए. 2019 के आंकड़ों में 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान भी शामिल हैं जो 14 फरवरी को पुलवामा आईईडी हमले में मारे गए थे.

2021 में हत्या की घटनाओं में कमी

पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी में कुल 11 लोग मारे गए थे, जिसमें 10 मिलिटेंट और एक सुरक्षा बल के अधिकारी शामिल हैं. फरवरी में, 13 लोग मारे गए थे, जिसमें नौ आतंकवादी, तीन सुरक्षा बल के जवान और एक नागरिक शामिल थे. पुलिस आंकड़ों में इस वर्ष सबसे अधिक मौत की दुर्घटनाएं मार्च में दर्ज की गईं. मार्च में, 11 आतंकी, पांच सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक सहित कुल 17 लोगों की जान गई.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत से साझा की जानकारी

नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारे आंकड़ों में वो मिलिटेंट भी शामिल हैं, जो नियंत्रण रेखा (एलओसी) से घुसपैठ करने की कोशिश में मारे गए. हालांकि, ऐसा नहीं है कि स्थिति में सुधार की वजह से आतंकी घटनाओं में कमी आई है, बल्कि अब आतंकवादियों ने सोशल मीडिया पर बंदूक के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट करना बंद कर दिया है.'

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : एलओसी के नजदीकी गांव से हैंड ग्रेनेड बरामद, सुरक्षाबलों ने किया निष्क्रिय

अधिकारी ने आगे कहा, 'जैसे ही हमें इस बात की जानकारी मिलती है कि कोई भी युवा लड़का पाकिस्तान स्थित हैंडलर द्वारा गुमराह होने के बाद मिलिटेंट रैंकों में शामिल हो गया है, हम उनके परिवार की काउंसलिंग करने की कोशिश करते हैं और फिर हैंडलर के जाल से बचाने के लिए इस तरह के लड़कों से बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब सारी कोशिश फेल हो जाती है तब हम उन्हें खत्म करने के लिए ऑपरेशन शुरू करने के लिए मजबूर होते हैं.'

आगे उन्होने कहा, 'कुछ दिनों पहले ही पुलवामा में ऑपरेशन में तीन आतंकवादी मारे गए थे, क्योंकि उन सभी ने पिछले साल नवंबर और दिसंबर में गलत रास्ता अपना लिया था.'

जम्मू कश्मीर में पुलिस द्वारा साझा किया गया डेटा

कुल घटनाएं - 20

मारे गए नागरिक - 2

सुरक्षाबल के जवान हुए शहीद - 9

मारे गए आतंकवादी - 30

कुल हत्याएं - 41

जनवरी

कुल घटनाएं - 4

मारे गए नागरिक - 0

सुरक्षाबल का जवान शहीद- 1

मारे गए आतंकवादी - 10

कुल हत्याएं - 11

फरवरी

कुल घटनाएं - 8

मारे गए नागरिक - 1

जवान शहीद - 3

मारे गए आतंकवादी - 9

कुल हत्याएं - 13

मार्च

कुल घटनाएं - 8

मारे गए नागरिक - 1

जवान शहीद - 5

मारे गए आतंकवादी - 11

कुल हत्याएं - 17

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