छतरपुर : बक्सवाहा के जंगलों में मिले शैल चित्र 25 हजार साल से ज्यादा पुराने हैं, इसकी पुष्टी पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में हो चुकी है. ऐसे में हीरा खनन के लिए वहां जंगलों को काटे जाने पर फिलहाल रोक लगी हुई है. पाषाण काल की इन रॉक पेंटिंग्स की हर कहीं चर्चा है. लेकिन इन पेंटिंग्स की सुरक्षा के लिए पुरातत्व विभाग ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं.
ईटीवी की टीम पहुंची बक्सवाहा के जंगल
ईटीवी की टीम ने घने जंगल में जाकर उन रॉक पेंटिंग्स का मुआयना किया. घने जंगल के बीच मौजूद इन शैल चित्रों तक पहुंचना ही जंग जीतने से कम नहीं है. इस दौरान ईटीवी की टीम का जंगली भालू से भी सामना हुआ. घने जंगल के बीच चट्टानों पर बने इन शैल चित्रों की खूबसूरती देखते ही बनती है. ये शैल चित्र उस समय को जीवंत करते हुए नजर आते हैं जब मनुष्य जंगलों में रहता था और उसके पास कोई संसाधन नहीं थे.
ASI की टीम कर चुकी है सर्वे
ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इन चट्टानों पर आकर जांच करके जा चुकी है. अपनी रिपोर्ट में इस टीम ने इन शैल चित्रों के 25 हजार साल पुराने होने की पुष्टि भी की है, लेकिन अभी तक पुरातत्व विभाग के अधिकारी इसकी सुध नहीं ले पाए हैं. बताया जा रहा है कि इन चित्रों को देखने के लिए अक्सर आसपास के लोग मौके पर आते हैं. ऐसे में लोग इन शैल चित्रों को बार-बार हाथ लगाकर खराब भी कर रहे हैं.
हीरों की खदान के लिए काटे जाने है 2 लाख से ज्यादा पेड़
बता दें कि बक्सवाहा के जंगल हीरों के खदान को लेकर चर्चा में है. इस जंगल में 2 लाख से ज्यादा पेड़ों को काटकर यहां हीरों की खदान बनना है. पेड़ों को काटने का विरोध चल ही रहा था कि अब जंगलों में इन शैल चित्रों के होने की जानकारी सामने आई है. अब पेड़ों के काटने के विरोध के साथ इन रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित करने की मांग भी की जा रही है.